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63 दिनों बाद फिर से जेल की सलाखों में होंगे आशीष मिश्रा, गांव में पसरा सन्नाटा - 63 दिनों बाद फिर से जेल की सलाखों में होंगे आशीष मिश्रा

यूपी के लखीमपुर तिकुनिया हिंसा मामले का मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू 63 दिन जेल से बाहर रहने के बाद अब फिर जेल की सलाखों के पीछे होगा. सुप्रीम कोर्ट ने तिकुनिया हिंसा मामले में हाईकोर्ट का जमानत आदेश पलट दिया है.

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Published : Apr 18, 2022, 5:38 PM IST

लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर तिकुनिया हिंसा मामले का मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू 63 दिन जेल से बाहर रहने के बाद अब फिर जेल की सलाखों के पीछे होगा. सुप्रीम कोर्ट ने तिकुनिया हिंसा मामले में हाईकोर्ट का जमानत आदेश पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू की जमानत रद्द करते हुए एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही खीरी जिले में फिर मीडिया का जमावड़ा बढ़ गया है.

वहीं, आशीष मिश्र के लखीमपुर और तिकुनिया इलाके के बनवीरपुर गांव में सन्नाटा छाया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के संसदीय कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा है.वहीं, किसानों ने कहा कि उनका न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है. तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में किसान आंदोलन कर रहे थे. आरोप है कि आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू ने अपने साथियों के साथ थार जीप चढ़ाकर मौत के घाट उतार दिया था.

लखीमपुर खीरी हिंसा मामला

इस हादसे में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या में आशीष मिश्र और 13 अन्य आरोपी जेल भेजे गए. वहीं, तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही थी. एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष को मुख्य आरोपी बताते हुए जानबूझकर सोची-समझी साजिश के तहत हत्या करने के आरोप लगाए. 10 फरवरी को इस मामले में हाईकोर्ट ने आशीष मिश्र को जमानत दे दी थी.

15 फरवरी को आशीष मिश्र जेल से बाहर आ गया था. जमानत आदेश को रद्द करने के लिए किसान परिवार 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए थे. 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश पर फैंसला सुरक्षित कर लिया था. आज फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया. तिकुनिया हिंसा मामले में सिर्फ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मोनू को ही जमानत मिली थी. इसके अलावा मामले के 12 अन्य आरोपी अभी भी जेल में हैं. आशीष के एक अन्य रिश्तेदार को भी जमानत मिल गई थी. इसके अलावा अंकित दास, सुमित जायसवाल समेत 12 आरोपी लखीमपुर जिला जेल के सीखचों के पीछे हैं.

यह भी पढ़ें- आशीष मिश्रा की जमानत रद्द, सुप्रीम कोर्ट का एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने का आदेश

पीड़ित किसान परिवार के लोग बोले न्याय की उम्मीद जगी: लखीमपुर हिंसा में मृतक किसान नक्षत्र सिंह के बेटे जगदीप ने कहा हमें माननीय सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी. आज के फैसले से आम आदमी और किसानों की न्याय व्यवस्था से न्याय की उम्मीद जगी है. उधर मामले में मृत पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर अब आम जनता का भरोसा बढा है. हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है. तिकुनिया हिंसा मामले में पीड़ित किसानों के वकील मोहम्मद अरमान ने कहा कि न्याय पर भरोसा बढ़ा है.

लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर तिकुनिया हिंसा मामले का मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू 63 दिन जेल से बाहर रहने के बाद अब फिर जेल की सलाखों के पीछे होगा. सुप्रीम कोर्ट ने तिकुनिया हिंसा मामले में हाईकोर्ट का जमानत आदेश पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू की जमानत रद्द करते हुए एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही खीरी जिले में फिर मीडिया का जमावड़ा बढ़ गया है.

वहीं, आशीष मिश्र के लखीमपुर और तिकुनिया इलाके के बनवीरपुर गांव में सन्नाटा छाया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के संसदीय कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा है.वहीं, किसानों ने कहा कि उनका न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है. तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में किसान आंदोलन कर रहे थे. आरोप है कि आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू ने अपने साथियों के साथ थार जीप चढ़ाकर मौत के घाट उतार दिया था.

लखीमपुर खीरी हिंसा मामला

इस हादसे में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या में आशीष मिश्र और 13 अन्य आरोपी जेल भेजे गए. वहीं, तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही थी. एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष को मुख्य आरोपी बताते हुए जानबूझकर सोची-समझी साजिश के तहत हत्या करने के आरोप लगाए. 10 फरवरी को इस मामले में हाईकोर्ट ने आशीष मिश्र को जमानत दे दी थी.

15 फरवरी को आशीष मिश्र जेल से बाहर आ गया था. जमानत आदेश को रद्द करने के लिए किसान परिवार 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए थे. 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश पर फैंसला सुरक्षित कर लिया था. आज फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया. तिकुनिया हिंसा मामले में सिर्फ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मोनू को ही जमानत मिली थी. इसके अलावा मामले के 12 अन्य आरोपी अभी भी जेल में हैं. आशीष के एक अन्य रिश्तेदार को भी जमानत मिल गई थी. इसके अलावा अंकित दास, सुमित जायसवाल समेत 12 आरोपी लखीमपुर जिला जेल के सीखचों के पीछे हैं.

यह भी पढ़ें- आशीष मिश्रा की जमानत रद्द, सुप्रीम कोर्ट का एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने का आदेश

पीड़ित किसान परिवार के लोग बोले न्याय की उम्मीद जगी: लखीमपुर हिंसा में मृतक किसान नक्षत्र सिंह के बेटे जगदीप ने कहा हमें माननीय सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी. आज के फैसले से आम आदमी और किसानों की न्याय व्यवस्था से न्याय की उम्मीद जगी है. उधर मामले में मृत पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर अब आम जनता का भरोसा बढा है. हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है. तिकुनिया हिंसा मामले में पीड़ित किसानों के वकील मोहम्मद अरमान ने कहा कि न्याय पर भरोसा बढ़ा है.

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