नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक सितंबर से प्रत्यक्ष रूप से मामलों की अंतिम सुनवाई के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है और कोविड उपयुक्त मानदंडों के पालन के बीच मंगलवार से गुरूवार तक हाइब्रिड विकल्प का उपयोग होगा.
उच्चतम न्यायालय पिछले साल मार्च से महामारी के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रहा है और कई बार निकाय और वकील मांग कर रहे हैं कि प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई फिर से शुरू हो लेकिन, 28 अगस्त को महासचिव द्वारा जारी एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि अदालत सोमवार और शुक्रवार को डिजिटल माध्यम से विविध मामलों की सुनवाई करती रहेंगी.
आपको बता दें कि एसओपी में कहा गया है कि मास्क पहनना, सैनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल और अदालत कक्ष सहित उच्चतम न्यायालय परिसर में सभी आगंतुकों के लिए सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य होगा और एक बार वादी और वकील प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई का विकल्प चुनते हैं तो संबंधित पक्ष को वीडियो / टेली-कॉन्फ्रेंस मोड के माध्यम से सुनवाई की सुविधा नहीं होगी.
एसओपी प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण के निर्देश पर जारी की गई है, जिन्होंने बार निकायों के अभ्यावेदन और अनुरोधों पर विचार करने के लिए पहले गठित न्यायाधीशों की समिति की सिफारिशों पर ध्यान दिया कि कई वकीलों के समक्ष वित्तीय और तकनीकी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई शुरू की जाए.
एसओपी में कहा गया है कि प्रत्यक्ष सुनवाई को धीरे-धीरे फिर से शुरू करने के मद्देनजर, गैर-विविध दिनों में सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई/नियमित मामलों को भौतिक रूप (हाइब्रिड विकल्प के साथ) से सुना जा सकता है, जैसा कि पीठ द्वारा तय किया जा सकता है और कहा गया है विविध दिनों में सूचीबद्ध मामलों सहित अन्य सभी मामलों की सुनवाई वीडियो / टेलीकॉन्फ्रेंस के माध्यम से जारी रहेगी.
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एसओपी के अनुसार पीठ, प्रत्यक्ष रूप से मामलों की सुनवाई के दौरान लगभग 15 मिनट की अवधि के लिए विराम लेने का फैसला कर सकती है, ताकि अदालत कक्ष को साफ किया जा सके और कहा गया है कि यदि पक्षों के लिए अधिवक्ताओं की संख्या 20 से अधिक है, तो कोविड मानदंडों के अनुसार पीठ किसी भी समय डिजिटल सुनवाई का सहारा ले सकती है.
वकीलों को शीर्ष अदालत के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करने के 24 घंटे के भीतर पीठ के समक्ष पेश होने के लिए अपनी प्राथमिकताएं सौंपनी होंगी. किसी मामले में पक्षकारों को सुनवाई शुरू होने से दस मिनट से पहले प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
(पीटीआई-भाषा)