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संविधान दिवस2022 में पीएम मोदी बोले- मौलिक कर्तव्यों का पालन होना चाहिए नागरिकों की पहली प्राथमिकता

पीएमओ के मुताबिक जस्टआईएस मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालत और मुकदमों के कारगर प्रबंधन के लिए उपलब्ध एक उपकरण है, जो न सिर्फ उनकी अपनी अदालत बल्कि उनके अधीन काम करने वाले विभिन्न न्यायाधीशों के समक्ष लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी करता है.

Etv Bharat PM Modi at Constitution Day function
Etv Bharat संविधान दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी
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Published : Nov 26, 2022, 7:01 AM IST

Updated : Nov 26, 2022, 12:39 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ऐसे में जब देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ रहा है, उसे और अधिक ऊंचाई पर ले जाने के लिए मौलिक कर्तव्यों का पालन करना नागरिकों की पहली प्राथमिकता होना चाहिए. उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है जो तेजी से विकास और आर्थिक विकास हासिल कर रहा है.

मोदी ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलिक अधिकार वे जिम्मेदारियां हैं जिन्हें नागरिकों को अत्यंत समर्पण और सच्ची ईमानदारी के साथ पूरा करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा, एक व्यक्ति हो या संस्थान, हमारे कर्तव्य हमारी पहली प्राथमिकता हैं. अमृत काल हमारे लिए कर्तव्यों का युग है. मोदी ने 2008 में हुए 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को भी याद किया जो तब हुआ जब भारत संविधान को अंगीकार करने का जश्न मना रहा था.

प्रधानमंत्री ने ई-अदालत परियोजना के तहत नयी पहल भी शुरू की, जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम अदालतों के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करती हैं. मोदी द्वारा शुरू की गई पहलों में 'वर्चुअल जस्टिस क्लॉक', 'जस्टआईएस' मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और 'एस3डब्ल्यूएएस' वेबसाइट शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था, जिसके उपलक्ष्य में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. संविधान दिवस मनाने की शुरुआत 2015 में हुई थी.

पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ई-न्यायालय परियोजना के तहत जिन पहलों की शुरुआत करेंगे, उनमें 'वर्चुअल जस्टिस क्लॉक', 'जस्टआईएस मोबाइल एप 2.0', डिजिटल अदालतें और 'एसथ्रीडब्ल्यूएएएस' शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि ई-कोर्ट परियोजना कुशल और समयबद्ध, वादी केंद्रित, वहनीय, सुलभ, किफायती, पारदर्शी और जवाबदेह न्याय प्रणाली की परिकल्पना पर आधारित है. पीएमओ ने कहा कि यह परियोजना वादियों, वकीलों और न्यापालिका को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने का प्रयास है.

पीएमओ के अनुसार 'वर्चुअल जस्टिस क्लॉक' न्यायालय स्तर पर न्याय वितरण प्रणाली के महत्वपूर्ण आंकड़ों को प्रदर्शित करने की एक पहल है, जिसमें दिन, सप्ताह, महीने के आधार पर न्यायालय स्तर पर दायर मामलों, निपटाए गए मामलों और लंबित मामलों का विवरण दिया गया है. बयान में कहा गया कि यह न्यायालय द्वारा निपटाये गये मुकदमों की स्थिति को जनता के साथ साझा कर न्यायालयों के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने का एक प्रयास है. आम लोग जिला न्यायालय की वेबसाइट पर किसी भी न्यायालय प्रतिष्ठान की वर्चुअल जस्टिस क्लॉक का उपयोग कर सकते हैं.

पीएमओ के मुताबिक जस्टआईएस मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालत और मुकदमों के कारगर प्रबंधन के लिए उपलब्ध एक उपकरण है, जो न सिर्फ उनकी अपनी अदालत बल्कि उनके अधीन काम करने वाले विभिन्न न्यायाधीशों के समक्ष लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी करता है. यह ऐप उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है जो अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी कर सकते हैं.

डिजिटल अदालत, अदालतों को कागज रहित बनाने की दिशा में बदलाव लाने के उद्देश्य से न्यायाधीश को अदालत के रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने से संबंधित एक पहल है. पीएमओ ने कहा कि 'एसथ्रीडब्ल्यूएएएस वेबसाइट्स' जिला स्तर की न्यायपालिका से संबंधित निर्दिष्ट जानकारी और सेवाओं को प्रकाशित करने हेतु विभिन्न वेबसाइटों को बनाने और प्रबंधित करने का एक ढांचा है. यह एक क्लाउड सेवा है जिसे सरकारी संस्थाओं के लिए सुरक्षित, मापनीय और सुगम्य वेबसाइट बनाने के लिए विकसित किया गया है. यह बहुभाषी, नागरिकों व दिव्यांगों के अनुकूल है.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ऐसे में जब देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ रहा है, उसे और अधिक ऊंचाई पर ले जाने के लिए मौलिक कर्तव्यों का पालन करना नागरिकों की पहली प्राथमिकता होना चाहिए. उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है जो तेजी से विकास और आर्थिक विकास हासिल कर रहा है.

मोदी ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलिक अधिकार वे जिम्मेदारियां हैं जिन्हें नागरिकों को अत्यंत समर्पण और सच्ची ईमानदारी के साथ पूरा करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा, एक व्यक्ति हो या संस्थान, हमारे कर्तव्य हमारी पहली प्राथमिकता हैं. अमृत काल हमारे लिए कर्तव्यों का युग है. मोदी ने 2008 में हुए 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को भी याद किया जो तब हुआ जब भारत संविधान को अंगीकार करने का जश्न मना रहा था.

प्रधानमंत्री ने ई-अदालत परियोजना के तहत नयी पहल भी शुरू की, जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम अदालतों के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करती हैं. मोदी द्वारा शुरू की गई पहलों में 'वर्चुअल जस्टिस क्लॉक', 'जस्टआईएस' मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और 'एस3डब्ल्यूएएस' वेबसाइट शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था, जिसके उपलक्ष्य में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. संविधान दिवस मनाने की शुरुआत 2015 में हुई थी.

पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ई-न्यायालय परियोजना के तहत जिन पहलों की शुरुआत करेंगे, उनमें 'वर्चुअल जस्टिस क्लॉक', 'जस्टआईएस मोबाइल एप 2.0', डिजिटल अदालतें और 'एसथ्रीडब्ल्यूएएएस' शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि ई-कोर्ट परियोजना कुशल और समयबद्ध, वादी केंद्रित, वहनीय, सुलभ, किफायती, पारदर्शी और जवाबदेह न्याय प्रणाली की परिकल्पना पर आधारित है. पीएमओ ने कहा कि यह परियोजना वादियों, वकीलों और न्यापालिका को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने का प्रयास है.

पीएमओ के अनुसार 'वर्चुअल जस्टिस क्लॉक' न्यायालय स्तर पर न्याय वितरण प्रणाली के महत्वपूर्ण आंकड़ों को प्रदर्शित करने की एक पहल है, जिसमें दिन, सप्ताह, महीने के आधार पर न्यायालय स्तर पर दायर मामलों, निपटाए गए मामलों और लंबित मामलों का विवरण दिया गया है. बयान में कहा गया कि यह न्यायालय द्वारा निपटाये गये मुकदमों की स्थिति को जनता के साथ साझा कर न्यायालयों के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने का एक प्रयास है. आम लोग जिला न्यायालय की वेबसाइट पर किसी भी न्यायालय प्रतिष्ठान की वर्चुअल जस्टिस क्लॉक का उपयोग कर सकते हैं.

पीएमओ के मुताबिक जस्टआईएस मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालत और मुकदमों के कारगर प्रबंधन के लिए उपलब्ध एक उपकरण है, जो न सिर्फ उनकी अपनी अदालत बल्कि उनके अधीन काम करने वाले विभिन्न न्यायाधीशों के समक्ष लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी करता है. यह ऐप उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है जो अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी कर सकते हैं.

डिजिटल अदालत, अदालतों को कागज रहित बनाने की दिशा में बदलाव लाने के उद्देश्य से न्यायाधीश को अदालत के रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने से संबंधित एक पहल है. पीएमओ ने कहा कि 'एसथ्रीडब्ल्यूएएएस वेबसाइट्स' जिला स्तर की न्यायपालिका से संबंधित निर्दिष्ट जानकारी और सेवाओं को प्रकाशित करने हेतु विभिन्न वेबसाइटों को बनाने और प्रबंधित करने का एक ढांचा है. यह एक क्लाउड सेवा है जिसे सरकारी संस्थाओं के लिए सुरक्षित, मापनीय और सुगम्य वेबसाइट बनाने के लिए विकसित किया गया है. यह बहुभाषी, नागरिकों व दिव्यांगों के अनुकूल है.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Nov 26, 2022, 12:39 PM IST
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