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एनडीपीएस विधेयक पर चर्चा : सुप्रिया सुले ने मानवीय संवेदना का जिक्र किया, शिवसेना की भी आपत्ति

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Published : Dec 13, 2021, 6:38 PM IST

एनडीपीएस संशोधन बिल, 2021 पर चर्चा के दौरान रांकापा सांसद सुप्रिया सुले ने अधिकारियों को दी जाने वाली शक्तियों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने नाम लिए बिना एनसीपी विधायक नवाब मलिक के दामाद पर एनसीबी की कार्रवाई की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा कि ड्रग्स से जुड़े कानून के तहत कार्रवाई के दौरान मानवीय संवेदना का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. सुले के अलावा शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि एनडीपीएस संशोधन बिल के माध्यम से संशोधित काननू को पूर्व प्रभाव से लागू करना उचित नहीं है और यह गैरकानूनी है.

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सुप्रिया सुले

नई दिल्ली : लोक सभा में आज एनडीपीएस संशोधन विधेयक, 2021 पर चर्चा की गई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने चर्चा के दौरान कहा कि ड्रग युवाओं और देश की जनता से जुड़ा मुद्दा है और इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के मुद्दे बॉलीवुड के लोगों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.

सुप्रिया ने सवाल किया कि कानून का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों का क्या किया जाएगा? इसे कैसे रोका जाएगा? क्या फर्जी मामलों में सरकार की जवाबदेही क्या होगी? उन्होंने कहा कि इस विधेयक को वापस लिया जाए और एक समग्र विधेयक लाया जाए.

लोक सभा में सुप्रिया सुले का बयान

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस प्रस्तावित कानून के पूर्व प्रभाव से लागू होने को लेकर सवाल किया और कहा कि वित्त मंत्रालय में आमतौर पर यह धारणा है कि कर संबंधी कानून पूर्व प्रभाव से लागू हो सकते हैं तथा अदालत ने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि आप पूर्व प्रभाव से कर की वसूली कर सकते हैं, लेकिन जुर्माने और जब्ती पूर्व प्रभाव से नहीं हो सकती.

तिवारी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि आपके द्वारा लाया गया (सरकार) यह कानून किसी अदालत में टिकेगा. बेहतर होगा कि इसमें संशोधन करिये और यह प्रावधान करिये कि इस कानून के लागू होने की तिथि से यह प्रभावी होगा.'

उन्होंने गुजरात के एक बंदरगाह से पिछले दिनों ड्रग की बरामदगी का उल्लेख करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन आने के बाद नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ेगी और इससे भारत पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ेगा. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाये जाएं.

चर्चा में हिस्सा लेते हुए द्रमुक के वीरास्वामी कलानिधि ने छोटी मात्रा में ड्रग बरामद किए जाने पर छह महीने की सजा का प्रावधान उचित नहीं है जबकि ऐसे मामलों में नशामुक्ति केंद्र भेजने जैसी व्यवस्था होनी चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि उम्मीद की जानी चाहिए कि इस कानून का दुरुपयोग नहीं होगा क्योंकि अतीत में ऐसा होता रहा है. उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित संशोधन का विरोध करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मदिला गुरुमूर्ति विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को सख्त कानूनी प्रावधान के साथ ही मादक पदार्थों के संदर्भ में युवाओं के बीच जागरुकता फैलानी चाहिए.

वहीं, शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि एक अभिनेता (सुशांत सिंह राजपूत) के निधन के बाद मुंबई में ड्रग्स का मुद्दा उछाला गया और फिल्म के उद्योग के लोगों को निशाना बनाया गया. उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई गलत कर रहा है तो उस पर कार्रवाई की जाए, लेकिन फिल्म उद्योग को बदनाम करना उचित नहीं है.

यह भी पढ़ें- NDPS Amendment Bill : विपक्षी दलों के विरोध के बीच लोक सभा में चर्चा जारी

चर्चा में हिस्सा लेते हुए जनता दल (यू) के आलोक कुमार सुमन ने कहा कि मादक पदार्थों के नशे को रोकना बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी चपेट में शहरों के साथ गांवों के लोग भी आ रहे है. इस स्थिति को देखते हुए यह संशोधन विधेयक जरूरी है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, बिहार में सालाना शराबबंदी से 5000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, लेकिन जनता का 10,000 करोड़ रुपये बच रहा है.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : लोक सभा में आज एनडीपीएस संशोधन विधेयक, 2021 पर चर्चा की गई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने चर्चा के दौरान कहा कि ड्रग युवाओं और देश की जनता से जुड़ा मुद्दा है और इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के मुद्दे बॉलीवुड के लोगों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.

सुप्रिया ने सवाल किया कि कानून का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों का क्या किया जाएगा? इसे कैसे रोका जाएगा? क्या फर्जी मामलों में सरकार की जवाबदेही क्या होगी? उन्होंने कहा कि इस विधेयक को वापस लिया जाए और एक समग्र विधेयक लाया जाए.

लोक सभा में सुप्रिया सुले का बयान

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस प्रस्तावित कानून के पूर्व प्रभाव से लागू होने को लेकर सवाल किया और कहा कि वित्त मंत्रालय में आमतौर पर यह धारणा है कि कर संबंधी कानून पूर्व प्रभाव से लागू हो सकते हैं तथा अदालत ने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि आप पूर्व प्रभाव से कर की वसूली कर सकते हैं, लेकिन जुर्माने और जब्ती पूर्व प्रभाव से नहीं हो सकती.

तिवारी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि आपके द्वारा लाया गया (सरकार) यह कानून किसी अदालत में टिकेगा. बेहतर होगा कि इसमें संशोधन करिये और यह प्रावधान करिये कि इस कानून के लागू होने की तिथि से यह प्रभावी होगा.'

उन्होंने गुजरात के एक बंदरगाह से पिछले दिनों ड्रग की बरामदगी का उल्लेख करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन आने के बाद नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ेगी और इससे भारत पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ेगा. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाये जाएं.

चर्चा में हिस्सा लेते हुए द्रमुक के वीरास्वामी कलानिधि ने छोटी मात्रा में ड्रग बरामद किए जाने पर छह महीने की सजा का प्रावधान उचित नहीं है जबकि ऐसे मामलों में नशामुक्ति केंद्र भेजने जैसी व्यवस्था होनी चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि उम्मीद की जानी चाहिए कि इस कानून का दुरुपयोग नहीं होगा क्योंकि अतीत में ऐसा होता रहा है. उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित संशोधन का विरोध करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मदिला गुरुमूर्ति विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को सख्त कानूनी प्रावधान के साथ ही मादक पदार्थों के संदर्भ में युवाओं के बीच जागरुकता फैलानी चाहिए.

वहीं, शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि एक अभिनेता (सुशांत सिंह राजपूत) के निधन के बाद मुंबई में ड्रग्स का मुद्दा उछाला गया और फिल्म के उद्योग के लोगों को निशाना बनाया गया. उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई गलत कर रहा है तो उस पर कार्रवाई की जाए, लेकिन फिल्म उद्योग को बदनाम करना उचित नहीं है.

यह भी पढ़ें- NDPS Amendment Bill : विपक्षी दलों के विरोध के बीच लोक सभा में चर्चा जारी

चर्चा में हिस्सा लेते हुए जनता दल (यू) के आलोक कुमार सुमन ने कहा कि मादक पदार्थों के नशे को रोकना बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी चपेट में शहरों के साथ गांवों के लोग भी आ रहे है. इस स्थिति को देखते हुए यह संशोधन विधेयक जरूरी है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, बिहार में सालाना शराबबंदी से 5000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, लेकिन जनता का 10,000 करोड़ रुपये बच रहा है.

(एजेंसी इनपुट)

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