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छत्तीसगढ़ में नक्सल से बड़ी समस्या 'कुपोषण', आखिर क्यों ?

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) के महत्वपूर्ण कदम के बाद भी छत्तीसगढ़ में कुपोषण की समस्या (problem of malnutrition) से छुटकारा नहीं मिल सका है. आलम यह है कि नक्सलवाद (racism) के बाद अब लोग प्रदेश को कुपोषित राज्य (malnourished state) के रूप में जानने लगे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत के द्वारा उठाए गए सवाल पर आरोप-प्रत्यारोप (Counter charges) के अलावा मूल समस्या को दूर करने पर कोई कदम फिलहाल सामने नहीं आ रहा है.

कुपोषण
कुपोषण
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Published : Sep 23, 2021, 2:36 AM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ के लिए नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण है. यह कहना है प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) का. उन्होंने यह बातें पंडो जनजाति (Pando tribe) के लोगों की कुपोषण के चलते मौत के मामले में कही थी.

आखिर ऐसी क्या वजह रही कि मुख्यमंत्री को ऐसा कहना पड़ा. इसके लिए भी मुख्यमंत्री कहीं ना कहीं पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार (BJP government responsible) ठहरा रहे हैं. वहीं भाजपा प्रदेश में व्याप्त कुपोषण (rampant malnutrition) के लिए छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार (Congress government) को जिम्मेदार ठहरा रही है. जानकारों की मानें तो सरकार के द्वारा योजना सूची बनाई जाती है, लेकिन उसके क्रियान्वयन में कहीं न कहीं कोताही बरती जाती है. जिसके कारण योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों (needy) तक नहीं पहुंच पाता. इसी विषय पर हम बात करने जा रहे हैं कि आखिर नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण (problem malnutrition) क्यों है?

छत्तीसगढ़ में नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण
संतुलित आहार न मिलना ही कुपोषणडॉक्टर सारिका श्रीवास्तव कहती हैं कि जरूरी संतुलित आहार काफी लंबे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण होता है. कुपोषण होने का मुख्य कारण सही खाना नहीं मिलना होता है और बच्चों में पाई जाने वाली यह बीमारी जानलेवा भी साबित होती है. अगर वक्त रहते इसका इलाज न किया जाए तो जान भी जा सकती है. यह बीमारी होने पर शरीर और मानसिक स्वास्थ्य (body and mental health) पर बुरा प्रभाव पड़ता है और एकाग्रता की कमी हो जाती है. शरीर बेहद ही कमजोर (body is very weak) हो जाता है और कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है.

अब कुपोषण के रूप में हो रही राज्य की पहचान
प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने की दिशा में ना तो पूर्ववर्ती सरकारों ने कोई ठोस कदम उठाया है और ना ही वर्तमान सरकार के द्वारा कोई बड़े प्रयास किए गए. यही कारण है कि आज कुपोषण नक्सल (Malnutrition Naxal) से बड़ी समस्या बन चुका है. लोग इस प्रदेश को पहले नक्सल के नाम से जानते थे, अब कुपोषण के नाम से जानने लगे हैं. आइए देखते हैं कि प्रदेश में कुपोषण (Malnutrition in the state) की क्या स्थिति है.

2019 में की गई मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत
भूपेश सरकार ने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ संकल्पना के साथ 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150 वीं जयंती के दिन पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की थी. अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया. प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में कुपोषित बच्चों (malnourished children) की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी. इसमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 फीसदी अर्थात 1 लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया (Malnutrition and anemia) की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान (anemia free campaign) की शुरुआत की गई थी. इस सर्वेक्षण रिपोर्ट (survey report) के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के 37.7 फीसदी बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की आयु की 47 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं. इन आंकड़ों को देखें तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ अंचल इलाकों के बच्चे थे.

पढ़ें- मध्य प्रदेश : सरकारी स्कूलों का ड्रेस कोड हाफ पेंट- शर्ट, डेंगू से कैसे बचेंगे दो लाख बच्चे

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत जनवरी 2019 में चिन्हित और 2021 में जिलेवार कुपोषण मुक्त हुए बच्चों के आंकड़ेः

जिला पाए गए कुपोषित बच्चे कुपोषण मुक्त हुए बच्चे
बालोद 12881 1402
बलौदा बाजार 30917 6032
बलरामपुर-रामानुजगंज 27352 14106
बस्तर 15753 3633
बेमेतरा 12429 354
बीजापुर 12429 3993
बिलासपुर 29354 8492
दंतेवाड़ा 8115 2168
धमतरी 7144 605
जिला पाए गए कुपोषित बच्चे कुपोषण मुक्त हुए बच्चे
दुर्ग 12810 6983
गरियाबंद 11658 5173
जांजगीर चांपा 17869 8463
जशपुर 15341 5784
कांकेर 9038 7022
कबीरधाम 13146 3011
कोंडागांव 14047 1447
कोरबा 17965 2696
महासमुंद 19153 1473
जिला पाए गए कुपोषित बच्चे कुपोषण मुक्त हुए बच्चे
मुंगेली 10242 648
नारायणपुर 3626 1622
रायगढ़ 24041 16358
रायपुर 25456 8323
राजनंदगांव 28386 10097
सरगुजा 19293 7009
सुकमा 6486 3332
सूरजपुर237167857


सीएम ने साधा पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पंडो जनजाति के बारे में काम करने की बहुत आवश्यकता है. लेकिन इस दौरान सीएम बघेल ने भाजपा पर भी जम कर वार किया. सीएम बघेल ने कहा कि रमन सिंह और बीजेपी के लोग बताएं कि 15 साल तक उन्होंने पंडो जनजाति (Pando tribe) के लिए क्या किया. 15 साल तक उनके लिए कोई योजना अगर बनाई हो तो बताएं? छत्तीसगढ़ में नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण (Malnutrition bigger problem than Naxal) है. प्रदेश में 5 साल से कम आयु के 41 फीसदी लोग कुपोषित हैं. 45 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है. इस दिशा में हमने काम शुरू किए हैं. हमारी सरकार में कुपोषण में लगातार कमी आई है.

पंडो जनजाति के साथ बीजेपी की हमदर्दी
विपक्ष से भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास ने कहा कि आज राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति भुखमरी की कगार से गुजर रही है. इस जनजाति के लोग कुपोषित हो रहे हैं. आलम यह है कि भूख की वजह से हम इनकी मौत भी हो रही है लेकिन सरकार इससे निपटने अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है. भाजपा ने प्रदेश में व्याप्त कुपोषण के लिए सीधे तौर पर राज्य की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

प्रशासनिक अमला है जिम्मेवार
वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि सरकार के द्वारा कुपोषण से निपटने की योजनाएं बनाई गई हैं. इसके तहत बच्चों और महिलाओं को पोषक आहार भी दिया जा रहा है. स्कूलों में भी मध्यान भोजन की व्यवस्था की गई है. बावजूद इसके यदि कुपोषण बढ़ता है तो सीधी तौर पर इसके लिए प्रशासनिक अमला जिम्मेदार है, जो सरकार की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं कर रहा है. यदि सरकार इन योजनाओं के क्रियान्वयन में तत्परता लाती है तो हो सकता कि आने वाले समय में प्रदेश को कुपोषण की समस्या से निजात मिल सके.

रायपुरः छत्तीसगढ़ के लिए नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण है. यह कहना है प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) का. उन्होंने यह बातें पंडो जनजाति (Pando tribe) के लोगों की कुपोषण के चलते मौत के मामले में कही थी.

आखिर ऐसी क्या वजह रही कि मुख्यमंत्री को ऐसा कहना पड़ा. इसके लिए भी मुख्यमंत्री कहीं ना कहीं पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार (BJP government responsible) ठहरा रहे हैं. वहीं भाजपा प्रदेश में व्याप्त कुपोषण (rampant malnutrition) के लिए छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार (Congress government) को जिम्मेदार ठहरा रही है. जानकारों की मानें तो सरकार के द्वारा योजना सूची बनाई जाती है, लेकिन उसके क्रियान्वयन में कहीं न कहीं कोताही बरती जाती है. जिसके कारण योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों (needy) तक नहीं पहुंच पाता. इसी विषय पर हम बात करने जा रहे हैं कि आखिर नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण (problem malnutrition) क्यों है?

छत्तीसगढ़ में नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण
संतुलित आहार न मिलना ही कुपोषणडॉक्टर सारिका श्रीवास्तव कहती हैं कि जरूरी संतुलित आहार काफी लंबे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण होता है. कुपोषण होने का मुख्य कारण सही खाना नहीं मिलना होता है और बच्चों में पाई जाने वाली यह बीमारी जानलेवा भी साबित होती है. अगर वक्त रहते इसका इलाज न किया जाए तो जान भी जा सकती है. यह बीमारी होने पर शरीर और मानसिक स्वास्थ्य (body and mental health) पर बुरा प्रभाव पड़ता है और एकाग्रता की कमी हो जाती है. शरीर बेहद ही कमजोर (body is very weak) हो जाता है और कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है.

अब कुपोषण के रूप में हो रही राज्य की पहचान
प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने की दिशा में ना तो पूर्ववर्ती सरकारों ने कोई ठोस कदम उठाया है और ना ही वर्तमान सरकार के द्वारा कोई बड़े प्रयास किए गए. यही कारण है कि आज कुपोषण नक्सल (Malnutrition Naxal) से बड़ी समस्या बन चुका है. लोग इस प्रदेश को पहले नक्सल के नाम से जानते थे, अब कुपोषण के नाम से जानने लगे हैं. आइए देखते हैं कि प्रदेश में कुपोषण (Malnutrition in the state) की क्या स्थिति है.

2019 में की गई मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत
भूपेश सरकार ने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ संकल्पना के साथ 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150 वीं जयंती के दिन पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की थी. अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया. प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में कुपोषित बच्चों (malnourished children) की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी. इसमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 फीसदी अर्थात 1 लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया (Malnutrition and anemia) की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान (anemia free campaign) की शुरुआत की गई थी. इस सर्वेक्षण रिपोर्ट (survey report) के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के 37.7 फीसदी बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की आयु की 47 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं. इन आंकड़ों को देखें तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ अंचल इलाकों के बच्चे थे.

पढ़ें- मध्य प्रदेश : सरकारी स्कूलों का ड्रेस कोड हाफ पेंट- शर्ट, डेंगू से कैसे बचेंगे दो लाख बच्चे

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत जनवरी 2019 में चिन्हित और 2021 में जिलेवार कुपोषण मुक्त हुए बच्चों के आंकड़ेः

जिला पाए गए कुपोषित बच्चे कुपोषण मुक्त हुए बच्चे
बालोद 12881 1402
बलौदा बाजार 30917 6032
बलरामपुर-रामानुजगंज 27352 14106
बस्तर 15753 3633
बेमेतरा 12429 354
बीजापुर 12429 3993
बिलासपुर 29354 8492
दंतेवाड़ा 8115 2168
धमतरी 7144 605
जिला पाए गए कुपोषित बच्चे कुपोषण मुक्त हुए बच्चे
दुर्ग 12810 6983
गरियाबंद 11658 5173
जांजगीर चांपा 17869 8463
जशपुर 15341 5784
कांकेर 9038 7022
कबीरधाम 13146 3011
कोंडागांव 14047 1447
कोरबा 17965 2696
महासमुंद 19153 1473
जिला पाए गए कुपोषित बच्चे कुपोषण मुक्त हुए बच्चे
मुंगेली 10242 648
नारायणपुर 3626 1622
रायगढ़ 24041 16358
रायपुर 25456 8323
राजनंदगांव 28386 10097
सरगुजा 19293 7009
सुकमा 6486 3332
सूरजपुर237167857


सीएम ने साधा पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पंडो जनजाति के बारे में काम करने की बहुत आवश्यकता है. लेकिन इस दौरान सीएम बघेल ने भाजपा पर भी जम कर वार किया. सीएम बघेल ने कहा कि रमन सिंह और बीजेपी के लोग बताएं कि 15 साल तक उन्होंने पंडो जनजाति (Pando tribe) के लिए क्या किया. 15 साल तक उनके लिए कोई योजना अगर बनाई हो तो बताएं? छत्तीसगढ़ में नक्सल से बड़ी समस्या कुपोषण (Malnutrition bigger problem than Naxal) है. प्रदेश में 5 साल से कम आयु के 41 फीसदी लोग कुपोषित हैं. 45 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है. इस दिशा में हमने काम शुरू किए हैं. हमारी सरकार में कुपोषण में लगातार कमी आई है.

पंडो जनजाति के साथ बीजेपी की हमदर्दी
विपक्ष से भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास ने कहा कि आज राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति भुखमरी की कगार से गुजर रही है. इस जनजाति के लोग कुपोषित हो रहे हैं. आलम यह है कि भूख की वजह से हम इनकी मौत भी हो रही है लेकिन सरकार इससे निपटने अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है. भाजपा ने प्रदेश में व्याप्त कुपोषण के लिए सीधे तौर पर राज्य की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

प्रशासनिक अमला है जिम्मेवार
वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि सरकार के द्वारा कुपोषण से निपटने की योजनाएं बनाई गई हैं. इसके तहत बच्चों और महिलाओं को पोषक आहार भी दिया जा रहा है. स्कूलों में भी मध्यान भोजन की व्यवस्था की गई है. बावजूद इसके यदि कुपोषण बढ़ता है तो सीधी तौर पर इसके लिए प्रशासनिक अमला जिम्मेदार है, जो सरकार की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं कर रहा है. यदि सरकार इन योजनाओं के क्रियान्वयन में तत्परता लाती है तो हो सकता कि आने वाले समय में प्रदेश को कुपोषण की समस्या से निजात मिल सके.

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