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Ambedkar Jayanti 2023: जब नासिक के दादासाहेब गायकवाड़ ने दो बार बचाई भीमराव आंबेडकर की जान

आज पूरा देश बाबासाहेब आंबेडर की जयंती मना रहा है. नासिक के कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ और डॉ. भीमराव आंबेडकर के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता था. इस मौके पर कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ के पोते कैप्टन कुणाल गायकवाड़ ने बताया कि दादासाहेब ने दो बार डॉ. भीमराव आंबेडकर की जान बचाई थी.

Gaikwad saved life of Babasaheb Ambedkar
दादासाहेब गायकवाड़ ने दो बार बचाई बाबासाहेब की जान
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Published : Apr 14, 2023, 9:39 AM IST

नासिक: हर साल देश भर में 14 अप्रैल को भारत का संविधान निर्माता और भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है. डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था. बाबासाहेब और नासिक के कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता था. इस रिश्ते के जरिए दादासाहेब गायकवाड़ ने मुसीबत के समय में दो बार बाबासाहेब की जान बचाई थी. कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ के पोते कैप्टन कुणाल गायकवाड़ ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि वास्तव में उस समय क्या हुआ था?

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कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ और डॉ. भीमराव आंबेडकर.

दादासाहेब गायकवाड़ के बारे में कैप्टन कुणाल गायकवाड़ कहते हैं कि बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने निजी जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया है. उन्होंने इससे बाहर निकलने का रास्ता निकाला और वंचितों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कड़ी मेहनत की. उनके निजी जीवन में ऐसी दो घटनाएं हुईं लेकिन दादासाहेब गायकवाड़ ने बाबासाहेब को सुरक्षित निकाल लिया.

बाबासाहेब ने जताई नदी में नहाने की इच्छा: उन्होंने बताया कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अक्सर कोर्ट के काम से नासिक आते थे, तब वे दादासाहेब गायकवाड़ के साथ रहते थे, जो नासिक में शाहू बोर्डिंग के अधीक्षक थे. बाबासाहेब और दादासाहेब के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता था. दादासाहेब गायकवाड़ रोज सुबह गोदावरी नदी में स्नान करने जाया करते थे. एक बार बाबासाहेब ने दादासाहेब से आग्रह किया कि वह भी नदी में तैरना चाहते हैं और दादासाहेब उन्हें नदी में ले गए लेकिन गायकवाड़ ने बाबासाहेब से यह कहते हुए नदी में न उतरने का अनुरोध किया कि समुद्र और नदी में अंतर है लेकिन बाबासाहेब तैरने के लिए नदी में कूद गए.

बाबासाहेब के नदी में कूदने के कुछ देर बार स्थान पर भंवर बनने लगी और बाबासाहेब भंवर में फंसकर डूबने लगे, बाबासाहेब ने दादासाहेब को आवाज दी. बाबासाहेब के डूबने का एहसास होते ही दादासाहेब तुरंत दौड़े और उन्हें नदी से बाहर निकाला. दादासाहेब ने बाबासाहेब के मुंह में घुसा पानी निकाला, कुछ देर बाद बाबासाहेब को होश आया.

ये भी पढ़ें- 125 feet tall statue of Ambedkar: KCR आज अंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे

वरना डस लेता सांप: एक बार जब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 'चवदार तले सत्याग्रह' के लिए महाड़ गए, तो दादासाहेब गायकवाड़ भी उनके साथ थे. इस बीच बाबासाहेब रात में आंदोलन के बारे में सोचते हुए सड़क पर चल रहे थे. दादासाहेब ने उन्हें देखा और उनका पीछा करने लगे. सड़क पर एक स्थान पर उनके पीछे चल रहे दादासाहेब ने अचानक डॉ. बाबासाहेब को पीछे से उठा लिया और उन्हें एक तरफ ले गए. जब ​​बाबासाहेब ने पूछा कि क्या हुआ, तो दादासाहेब ने उन्हें दिखाया कि आपके दोनों पैरों के बीच एक सांप था, जो बाबासाहेब को डस लेता.

नासिक: हर साल देश भर में 14 अप्रैल को भारत का संविधान निर्माता और भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है. डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था. बाबासाहेब और नासिक के कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता था. इस रिश्ते के जरिए दादासाहेब गायकवाड़ ने मुसीबत के समय में दो बार बाबासाहेब की जान बचाई थी. कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ के पोते कैप्टन कुणाल गायकवाड़ ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि वास्तव में उस समय क्या हुआ था?

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कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ और डॉ. भीमराव आंबेडकर.

दादासाहेब गायकवाड़ के बारे में कैप्टन कुणाल गायकवाड़ कहते हैं कि बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने निजी जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया है. उन्होंने इससे बाहर निकलने का रास्ता निकाला और वंचितों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कड़ी मेहनत की. उनके निजी जीवन में ऐसी दो घटनाएं हुईं लेकिन दादासाहेब गायकवाड़ ने बाबासाहेब को सुरक्षित निकाल लिया.

बाबासाहेब ने जताई नदी में नहाने की इच्छा: उन्होंने बताया कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अक्सर कोर्ट के काम से नासिक आते थे, तब वे दादासाहेब गायकवाड़ के साथ रहते थे, जो नासिक में शाहू बोर्डिंग के अधीक्षक थे. बाबासाहेब और दादासाहेब के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता था. दादासाहेब गायकवाड़ रोज सुबह गोदावरी नदी में स्नान करने जाया करते थे. एक बार बाबासाहेब ने दादासाहेब से आग्रह किया कि वह भी नदी में तैरना चाहते हैं और दादासाहेब उन्हें नदी में ले गए लेकिन गायकवाड़ ने बाबासाहेब से यह कहते हुए नदी में न उतरने का अनुरोध किया कि समुद्र और नदी में अंतर है लेकिन बाबासाहेब तैरने के लिए नदी में कूद गए.

बाबासाहेब के नदी में कूदने के कुछ देर बार स्थान पर भंवर बनने लगी और बाबासाहेब भंवर में फंसकर डूबने लगे, बाबासाहेब ने दादासाहेब को आवाज दी. बाबासाहेब के डूबने का एहसास होते ही दादासाहेब तुरंत दौड़े और उन्हें नदी से बाहर निकाला. दादासाहेब ने बाबासाहेब के मुंह में घुसा पानी निकाला, कुछ देर बाद बाबासाहेब को होश आया.

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वरना डस लेता सांप: एक बार जब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 'चवदार तले सत्याग्रह' के लिए महाड़ गए, तो दादासाहेब गायकवाड़ भी उनके साथ थे. इस बीच बाबासाहेब रात में आंदोलन के बारे में सोचते हुए सड़क पर चल रहे थे. दादासाहेब ने उन्हें देखा और उनका पीछा करने लगे. सड़क पर एक स्थान पर उनके पीछे चल रहे दादासाहेब ने अचानक डॉ. बाबासाहेब को पीछे से उठा लिया और उन्हें एक तरफ ले गए. जब ​​बाबासाहेब ने पूछा कि क्या हुआ, तो दादासाहेब ने उन्हें दिखाया कि आपके दोनों पैरों के बीच एक सांप था, जो बाबासाहेब को डस लेता.

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