नई दिल्ली : जॉनसन एंड जॉनसन 2023 तक पूरी दुनिया में अपने बेबी टैल्कम पाउडर को बेचना बंद कर देगी. जे एंज जे का टैल्कम पाउडर अमेरिका और कनाडा में 2020 में ही बंद हो चुका है, कंपनी अब टैल्क बेस्ड पाउडर की जगह कॉर्न स्टार्च बेस्ड पाउडर लाएगी. बता दें कि दुनियाभर में इसको लेकर दावे किए जाते रहे हैं कि इस बेबी पाउडर के प्रयोग से कैंसर होने का खतरा रहता है. हालांकि कैंसर होने की आशंका वाली रिपोर्ट के सामने आने की वजह से उत्पाद की बिक्री में काफी गिरावट दर्ज की गई थी. दूसरी तरफ कंपनी ने हमेशा इस पाउडर को सेफ बताया.
जे एंड जे ने इस बारे में गुरुवार को कहा कि 'उसने अपने पोर्टफोलियो का विश्लेषण करने के बाद अपने सभी बेबी पाउडर प्रोडक्ट को टैल्कम पाउडर के बजाय कॉर्नस्टार्च का प्रयोग करके बनाने का कॉमर्शियल निर्णय लिया है.' फर्म ने कहा कि कॉर्नस्टार्च आधारित बेबी पाउडर पहले से ही दुनिया के कई देशों में बेचा जा रहा है. हालांकि जे एंड जे को उन हजारों मुकदमों का सामना करना पड़ा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसके टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस है जिसकी वजह से कैंसर होता है.
जानिए टैल्क क्या होता है : टैल्क एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला मिनरल है, जो पृथ्वी से निकाला जाता है. इसमें मैग्नीशियम, सिलिकॉन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन होता है. रासायनिक रूप से, टैल्क एक हाइड्रोस मैग्नीशियम सिलिकेट है, जिसका केमिकल फॉर्मूला Mg3Si4O10(OH)2 है. वहीं कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में टैल्क का इस्तेमाल होता है. टैल्क से कैंसर के खतरे होने का आरोप लगता रहा है. क्योंकि जहां से टैल्क को खदान से निकाला जाता है, वहीं से एस्बेस्टस भी निकलता है. एस्बेस्टस (अभ्रक) भी एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला सिलिकेट मिनरल है जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है. जब टैल्क की माइनिंग की जाती है तो उसमें एस्बेस्टस के भी मिलने का खतरा रहता है.
क्या है कॉर्नस्टार्च बेस्ड पाउडर: कॉर्नस्टार्च बेस्ड पाउडर में टैल्क नहीं होता. कॉर्नस्टार्च एक मिनरल फ्री फूड पदार्थ है जो आमतौर पर किचन में पाया जाता है. वहीं टैल्कम पाउडर की तरह, कॉर्नस्टार्च भी स्किन को ड्राय रखने में मदद करता है. कॉर्नस्टार्च बेस्ड पाउडर में एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं.
2019 में भारत में भी बंद करना पड़ा था उत्पादन : जॉनसन एंड जॉनसन को भारत में भी 2019 में पाउडर में एस्बेस्टस के आरोपों के बाद अपने प्लांट में प्रोडक्शन बंद करना पड़ा था. जबकि भारत के ड्रग कंट्रोलर ने टेस्टिंग में पाउडर में एस्बेस्टस नहीं पाया था. हालांकि इसके बाद कंपनी ने बद्दी और मुलुंड प्लांट में अपने बेबी पाउडर के उत्पादन फिर से प्रारंभ कर दिया था.
कंपनी करीब 7968 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी : कोर्ट केस में जे एंड जे के वकील का कहना है कि कंपनी बीते पांच साल में महज मुकदमों में एक बिलियन डॉलर (करीब 7968 करोड़ रुपये) से अधिक का भुगतान कर चुकी है. वहीं कंपनी के बैंकरप्सी की फाइलिंग के मुताबिक, जे एंड जे को सेटलमेंट के मामलों को सुलझाने के लिए अब तक करीब 3.5 बिलियन डॉलर (28 हजार करोड़ रुपए) का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया है.
सेंट लुइस में राज्य की कोर्ट के बाहर 2018 के जूरी के फैसले ने जे एंड जे को उन 20 महिलाओं को 2.5 बिलियन डॉलर (20 हजार करोड़ रुपए) का भुगतान करने के लिए मजबूर किया, जिन्होंने अपने ओवरी के कैंसर के लिए इसके बेबी पाउडर को टारगेट किया था. वहीं मिसौरी सुप्रीम कोर्ट और यूएस सुप्रीम कोर्ट दोनों ने फैसले को पलटने से इनकार कर दिया था.
जॉनसन बेबी पाउडर 1894 से बिक रहा: 1894 से बेचा जा रहा जॉनसन बेबी पाउडर फैमिली फ्रेंडली होने की वजह से कंपनी का सिंबल उत्पाद बन गया था. वहीं 1999 से कंपनी की इंटरनल बेबी प्रोडक्ट डिवीजन इसका मार्केटिंग रिप्रेजेंटेशन करती थी.
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