श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी का पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ (सूचनाओं की हानि) का शिकार हो गया और उससे संपर्क टूट गया है. उन्होंने बताया कि हालांकि, बाकी के तीन चरणों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया और अंतरिक्ष एजेंसी प्रक्षेपण यान तथा उपग्रहों की स्थिति का पता लगाने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है.
एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 अंतरिक्ष में एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा विकसित एक उपग्रह लेकर गया है. सोमनाथ ने श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण के कुछ मिनटों बाद अभियान नियंत्रण केंद्र से कहा, ‘सभी चरणों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया. पहले, दूसरे और तीसरे चरण ने अपना-अपना काम किया, पर टर्मिनल चरण में कुछ डेटा लॉस हुआ और हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं. हम जल्द ही प्रक्षेपण यान के प्रदर्शन के साथ ही उपग्रहों की स्थिति की जानकारी देंगे.'
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ISRO launches its new SSLV-D1 rocket from Sriharikota
— ANI Digital (@ani_digital) August 7, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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उन्होंने कहा, 'हम उपग्रहों के निर्धारित कक्षा में स्थापित होने या न होने के संबंध में मिशन के अंतिम नतीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हैं. कृपया इंतजार कीजिए. हम आपको जल्द पूरी जानकारी देंगे.' इसरो ने अपना पहला एसएसएलवी मिशन रविवार को शुरू किया. यह एसएसएलवी एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-02 और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह आजादीसैट लेकर गया है. इसरो का उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है.
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SSLV-D1 performed as expected at all stages. In the terminal phase of the mission, some data loss is occurring. We are analysing the data to conclude the final outcome of the mission with respect to achieving a stable orbit: ISRO chairman S. Somanath pic.twitter.com/va2Womiro5
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करीब साढ़े सात घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे एसएसएलवी ने उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में स्थापित करने के लिए सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर उड़ान भरी. इसरो ने इंफ्रा-रेड बैंड में उन्नत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का निर्माण किया है. ईओएस-02 अंतरिक्ष यान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है. वहीं, ‘आजादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था, जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम के तहत काम कर रही हैं. ‘स्पेस किड्स इंडिया’ द्वारा विकसित जमीनी प्रणाली का इस्तेमाल इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा.
उपग्रह मिशन की विफलता के बाद उपयोग योग्य नहीं रह गए : इसरो
इसरो ने कहा कि एसएसएलवी-डी 1 ने उपग्रहों को पृथ्वी की अंडाकार कक्षा की बजाय चक्रीय कक्षा में रख दिया, जिसके बाद वे उपग्रह इस्तेमाल के योग्य नहीं रह गए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एक समिति आज के घटनाक्रम का विश्लेषण कर अपनी सिफारिशें देगी और उन सिफारिशों के कार्यान्वयन के जरिए इसरो जल्द ही छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)-डी 2 पेश करेगा. इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'एसएसएलवी-डी 1 ने उपग्रहों को 356 किमी वृत्ताकार कक्षा के बजाय 356 किमी गुणा 76 किमी अण्डाकार कक्षा में रख दिया जिसके बाद ये उपग्रह उपयोग के योग्य नहीं रह गए हैं.'