ETV Bharat / bharat

ऑर्डर..ऑर्डर...पिछले 150 सालों से जारी है सुनवाई !

कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर (dakshineswar kali temple) प्रबंधन से जुड़ा एक मामला पिछले 150 सालों से कोर्ट में लंबित है. यह अपनी तरह का एक अनोखा मामला है. मंदिर प्रबंधन पर किसका कब्जा होगा और उसे किस तरह से चलाया जाना चाहिए, इसी विवाद को लेकर एक याचिका 1872 में दाखिल की गई थी.

money embezzlement dakshineswar Kali temple kolkata
दक्षिणेश्वर काली मंदिर धन गबन मामला कोलाकाता
author img

By

Published : May 11, 2022, 6:10 AM IST

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला पिछले 150 सालों से चला आ रहा है. शायद आप भी चौंक गए होंगे, लेकिन यह हकीकत है. सबसे बड़ी बात ये है कि कलकत्ता हाईकोर्ट भी उतना ही पुराना है, जितना पुराना यह मामला. यह मामला दक्षिणेश्वर काली मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा है. मंदिर ट्रस्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. मार्च 2021 में जस्टिस शेखर बॉबी शराफ ने मंदिर बोर्ड के ट्रस्टियों के चुनाव का आदेश दिया था, ताकि मंदिर का प्रबंधन ठीक से चलता रहे. ट्रस्ट में राज्य के मंत्री भी हैं. अब, यह चुनाव ही नई समस्या की जड़ है. वर्तमान सेवायात कौशल चौधरी और उनके साथियों पर चुनाव में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लग रहा है.

कोर्ट सूत्रों के अनुसार रानी रासोमणि ने अपनी मृत्यु से ठीक एक दिन पहले 18 फरवरी 1831 को अपने आठ पोतों (ग्रैंड सन्स) को मंदिर की जवाबदेही सौंपी थी. इनके नाम हैं- गणेश दास, बलराम दास, द्वारका विश्वास, त्रिलोकिया बिस्वास, सीताराम दास, जादूनाथ चौधरी, भूपलचंद्र बिस्वास और ठाकुरदास बिस्वास. रानी की मौत के करीब 10 साल बाद मंदिर के कामकाज को लेकर आपसी खींचातानी शुरू हो गई थी. उसके बाद इस विवाद को निपटाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.

1872 में बलराम दास और गुरुचरण बिस्वास ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की. याचिका के अनुसार रानी ने यह नहीं लिखा था कि मंदिर को किस तरह से चलाना है. इसके बाद 1912 में हाईकोर्ट ने मंदिर प्रबंधन के लिए एक दिशा निर्देश जारी किया. इसके तहत एक ट्रस्ट का गठन कर दिया गया. लेकिन आने वाले समय में जैसे-जैसे सेवायतों की संख्या बढ़ती गई, समस्याएं और जटिल होती चली गईं. आज की तारीख में यहां पर सेवायतों की संख्या 600 से अधिक हो गई है.

1986 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने हर तीन साल में बोर्ड ऑफ ट्र्स्टीज के लिए चुनाव कराने का निर्देश दिया था. चुनाव कोर्ट की निगरानी में कराने का आदेश था. इसके लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त स्पेशल ऑफिसर की नियुक्ति होनी थी. कहा ये जा रहा है कि कौशल चौधरी पिछले 30 सालों से इस बोर्ड पर कब्जा जमाए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए वकील विजय अधिकारी ने कहा, ‘1986 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंदिर प्रबंधन के लिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का गठन कर दिया था. इस बोर्ड को कौशल चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा चलाया जा रहा है. उन्होंने करोड़ों रुपये गबन कर लिए हैं. श्रद्धालु यहां पर सोना और अन्य कीमती धातु दान करते हैं. इसका कोई हिसाब-किताब रखने वाला नहीं है. उन्हें बाउबाजार और अन्य बाजार में बेच दिया जाता है.‘

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में बोर्ड ट्रस्टीज के लिए चुनाव का आदेश दिया है. इसी साल यानी 2022 में चुनाव होने हैं. आरोप लग रहा है कि कौशल चौधरी चुनाव की इस प्रक्रिया को बाधित करने का काम कर रहे हैं. मामले की सुनवाई जस्टिस रवि किशन कपूर ने की. लेकिन क्योंकि जस्टिस शेखर बॉबी शराफ ने पहले ही चुनाव का आदेश दे दिया था, लिहाजा, इस मामले को फिर से जस्टिस कपूर की अदालत से जस्टिस शराफ की अदालत में भेज दिया गया है. शराफ ने अपने पूर्व के आदेश में कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश देवज्योति भट्टाचार्य को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. आज फिर से इस मामले की सुनवाई है.

पढ़ें- Minority status for Hindus: SC ने केंद्र सरकार के अलग-अलग रुख पर जताई नाराजगी

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला पिछले 150 सालों से चला आ रहा है. शायद आप भी चौंक गए होंगे, लेकिन यह हकीकत है. सबसे बड़ी बात ये है कि कलकत्ता हाईकोर्ट भी उतना ही पुराना है, जितना पुराना यह मामला. यह मामला दक्षिणेश्वर काली मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा है. मंदिर ट्रस्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. मार्च 2021 में जस्टिस शेखर बॉबी शराफ ने मंदिर बोर्ड के ट्रस्टियों के चुनाव का आदेश दिया था, ताकि मंदिर का प्रबंधन ठीक से चलता रहे. ट्रस्ट में राज्य के मंत्री भी हैं. अब, यह चुनाव ही नई समस्या की जड़ है. वर्तमान सेवायात कौशल चौधरी और उनके साथियों पर चुनाव में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लग रहा है.

कोर्ट सूत्रों के अनुसार रानी रासोमणि ने अपनी मृत्यु से ठीक एक दिन पहले 18 फरवरी 1831 को अपने आठ पोतों (ग्रैंड सन्स) को मंदिर की जवाबदेही सौंपी थी. इनके नाम हैं- गणेश दास, बलराम दास, द्वारका विश्वास, त्रिलोकिया बिस्वास, सीताराम दास, जादूनाथ चौधरी, भूपलचंद्र बिस्वास और ठाकुरदास बिस्वास. रानी की मौत के करीब 10 साल बाद मंदिर के कामकाज को लेकर आपसी खींचातानी शुरू हो गई थी. उसके बाद इस विवाद को निपटाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.

1872 में बलराम दास और गुरुचरण बिस्वास ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की. याचिका के अनुसार रानी ने यह नहीं लिखा था कि मंदिर को किस तरह से चलाना है. इसके बाद 1912 में हाईकोर्ट ने मंदिर प्रबंधन के लिए एक दिशा निर्देश जारी किया. इसके तहत एक ट्रस्ट का गठन कर दिया गया. लेकिन आने वाले समय में जैसे-जैसे सेवायतों की संख्या बढ़ती गई, समस्याएं और जटिल होती चली गईं. आज की तारीख में यहां पर सेवायतों की संख्या 600 से अधिक हो गई है.

1986 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने हर तीन साल में बोर्ड ऑफ ट्र्स्टीज के लिए चुनाव कराने का निर्देश दिया था. चुनाव कोर्ट की निगरानी में कराने का आदेश था. इसके लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त स्पेशल ऑफिसर की नियुक्ति होनी थी. कहा ये जा रहा है कि कौशल चौधरी पिछले 30 सालों से इस बोर्ड पर कब्जा जमाए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए वकील विजय अधिकारी ने कहा, ‘1986 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंदिर प्रबंधन के लिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का गठन कर दिया था. इस बोर्ड को कौशल चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा चलाया जा रहा है. उन्होंने करोड़ों रुपये गबन कर लिए हैं. श्रद्धालु यहां पर सोना और अन्य कीमती धातु दान करते हैं. इसका कोई हिसाब-किताब रखने वाला नहीं है. उन्हें बाउबाजार और अन्य बाजार में बेच दिया जाता है.‘

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में बोर्ड ट्रस्टीज के लिए चुनाव का आदेश दिया है. इसी साल यानी 2022 में चुनाव होने हैं. आरोप लग रहा है कि कौशल चौधरी चुनाव की इस प्रक्रिया को बाधित करने का काम कर रहे हैं. मामले की सुनवाई जस्टिस रवि किशन कपूर ने की. लेकिन क्योंकि जस्टिस शेखर बॉबी शराफ ने पहले ही चुनाव का आदेश दे दिया था, लिहाजा, इस मामले को फिर से जस्टिस कपूर की अदालत से जस्टिस शराफ की अदालत में भेज दिया गया है. शराफ ने अपने पूर्व के आदेश में कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश देवज्योति भट्टाचार्य को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. आज फिर से इस मामले की सुनवाई है.

पढ़ें- Minority status for Hindus: SC ने केंद्र सरकार के अलग-अलग रुख पर जताई नाराजगी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.