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सारंडा से सतपुड़ा तक विकसित होगा ग्रास लैंड, पलामू टाइगर रिजर्व की पहल पर तैयार हो रहा है बाघों के लिए प्रेबेस

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Published : Jul 27, 2023, 7:53 PM IST

सारंडा से सतपुड़ा तक ग्रास लैंड विकसित किया जाएगा. इसे लेकर पलामू टाइगर रिजर्व की पहल पर योजना तैयार की गई है. इसके तहत कई जिलों के वनकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी गई है. इससे बाघों के लिए प्रेबेस भी तैयार होगा.

Grasslanda from Sarand to Satpura
Tiger Reserve Grassland

पलामू: सारंडा से लेकर सतपुड़ा तक ग्रास लैंड को बढ़ाया जाएगा. पलामू टाइगर रिजर्व इसके लिए पहल कर रहा है और एक योजना भी बनाई है. झारखंड वन विभाग ने भी इस पहल की स्वीकृति दे दी है. सारंडा से लेकर सतपुड़ा तक सेंट्रल इंडिया ईस्टर्नघाट कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है. यह पूरा इलाका बाघों के मूवमेंट के लिए चर्चित है. इसी कॉरिडोर में पलामू टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय डुबरी टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व भी शमिल है. इसी कॉरिडोर में ग्रास लैंड बढ़ाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- Watch Video : बाघ ने 10 सेकेंड में गाय को बनाया शिकार, VTR में पर्यटकों के उड़े होश

पलामू टाइगर रिजर्व ने ग्रास लैंड को बढ़ाने के लिए पलामू, गढवा, लातेहार, चतरा, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा के वन विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है. इस प्रशिक्षण के लिए भारत के ग्रास लैंड एक्सपोर्ट गजानंद मुड़दकर को बुलाया गया था. ग्रास लैंड को विकसित करने को लेकर वन विभाग के टॉप लेवल के अधिकारियों की गुरुवार को रांची में बैठक भी हुई है. बैठक में ग्रास लैंड को बढ़ाने के लिए योजना को तैयार किया गया है.

Grasslanda from Sarand to Satpura
बूढ़ा पहाड़



कॉरिडोर में आठ की जगह मात्र दो प्रतिशत है ग्रास लैंड: झारखंड से सतपुड़ा कॉरिडोर पर ग्रास लैंड बेहद ही कम है. कॉरिडोर में सात प्रतिशत तक ग्रास लैंड होना चाहिए. लेकिन मात्र दो प्रतिशत तक ही ग्रास लैंड है. कई इलाकों में छोटे छोटे ग्रास लैंड है. इन ग्रास लैंड को विकसित किया जा रहा है. दरअसल ग्रास लैंड के बढ़ने से बाघों के प्रेबेस तैयार होगा. सतपुड़ा से लेकर पलामू टाइगर रिजर्व कॉरिडोर में बाघों की मूवमेंट होती है. इसी को ध्यान में रख कर ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. दरअसल ग्रास से ही बाघों के लिए फूड चेन तैयार होता है, इसी फूड चेन को बढ़ाने के लिए ग्रास लैंड को विकसित किया जा रहा है. यह कॉरिडोर झारखंड, छत्तीसगढ़, एमपी, यूपी से नेपाल तक जुड़ा है. वहीं इस कॉरिडोर में ओडिशा और बंगाल भी शामिल है.

ग्रास लैंड के साथ-साथ पानी और सुरक्षा के भी इंतजाम: पलामू टाइगर रिजर्व के उपदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि कॉरिडोर में ग्रास लैंड को विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पीटीआर उसके आसपास के टेरिटरी के कर्मियों को दो दिनों तक ट्रेनिंग दी गई. पूरे परिवार में क्वालिटी युक्त ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. ताकि वन्यजीव इसे खा सकें. उपनिदेशक ने बताया कि यह सुखद है कि पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में घास उच्च गुणवत्ता वाला है जिसे वन्यजीव खाते हैं. उन्होंने बताया कि ग्राह लैंड को विकसित करने के लिए पानी और सुरक्षा विषय पर भी कार्य किए जा रहे हैं. पूरे इलाके में मवेशी भी घुसते हैं, ग्रास लैंड के विकसित हो जाने से मवेशी कॉरिडोर के कोर एरिया में दाखिल नहीं हो पाएंगे और वन्य जीव के लिए सहूलियत होगी.

Grasslanda from Sarand to Satpura
बेतला नेशनल पार्क



1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है कॉरिडोर, 10 हजार से अधिक हैं हिरण: पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पूरे रिजर्व एरिया में 10 हजार से भी अधिक हिरण और चीतल मौजूद हैं. ग्रास लैंड की कमी के कारण हिरण और चीतल अक्सर पीटीआर के इलाके से बाहर निकल जाते हैं और ग्रामीण इलाकों में उनका शिकार हो जाता है. झारखंड से सतपुड़ा कॉरिडोर में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, बायसन समेत कई वन्य जीव मौजूद है।

पलामू: सारंडा से लेकर सतपुड़ा तक ग्रास लैंड को बढ़ाया जाएगा. पलामू टाइगर रिजर्व इसके लिए पहल कर रहा है और एक योजना भी बनाई है. झारखंड वन विभाग ने भी इस पहल की स्वीकृति दे दी है. सारंडा से लेकर सतपुड़ा तक सेंट्रल इंडिया ईस्टर्नघाट कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है. यह पूरा इलाका बाघों के मूवमेंट के लिए चर्चित है. इसी कॉरिडोर में पलामू टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय डुबरी टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व भी शमिल है. इसी कॉरिडोर में ग्रास लैंड बढ़ाया जा रहा है.

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पलामू टाइगर रिजर्व ने ग्रास लैंड को बढ़ाने के लिए पलामू, गढवा, लातेहार, चतरा, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा के वन विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है. इस प्रशिक्षण के लिए भारत के ग्रास लैंड एक्सपोर्ट गजानंद मुड़दकर को बुलाया गया था. ग्रास लैंड को विकसित करने को लेकर वन विभाग के टॉप लेवल के अधिकारियों की गुरुवार को रांची में बैठक भी हुई है. बैठक में ग्रास लैंड को बढ़ाने के लिए योजना को तैयार किया गया है.

Grasslanda from Sarand to Satpura
बूढ़ा पहाड़



कॉरिडोर में आठ की जगह मात्र दो प्रतिशत है ग्रास लैंड: झारखंड से सतपुड़ा कॉरिडोर पर ग्रास लैंड बेहद ही कम है. कॉरिडोर में सात प्रतिशत तक ग्रास लैंड होना चाहिए. लेकिन मात्र दो प्रतिशत तक ही ग्रास लैंड है. कई इलाकों में छोटे छोटे ग्रास लैंड है. इन ग्रास लैंड को विकसित किया जा रहा है. दरअसल ग्रास लैंड के बढ़ने से बाघों के प्रेबेस तैयार होगा. सतपुड़ा से लेकर पलामू टाइगर रिजर्व कॉरिडोर में बाघों की मूवमेंट होती है. इसी को ध्यान में रख कर ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. दरअसल ग्रास से ही बाघों के लिए फूड चेन तैयार होता है, इसी फूड चेन को बढ़ाने के लिए ग्रास लैंड को विकसित किया जा रहा है. यह कॉरिडोर झारखंड, छत्तीसगढ़, एमपी, यूपी से नेपाल तक जुड़ा है. वहीं इस कॉरिडोर में ओडिशा और बंगाल भी शामिल है.

ग्रास लैंड के साथ-साथ पानी और सुरक्षा के भी इंतजाम: पलामू टाइगर रिजर्व के उपदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि कॉरिडोर में ग्रास लैंड को विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पीटीआर उसके आसपास के टेरिटरी के कर्मियों को दो दिनों तक ट्रेनिंग दी गई. पूरे परिवार में क्वालिटी युक्त ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. ताकि वन्यजीव इसे खा सकें. उपनिदेशक ने बताया कि यह सुखद है कि पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में घास उच्च गुणवत्ता वाला है जिसे वन्यजीव खाते हैं. उन्होंने बताया कि ग्राह लैंड को विकसित करने के लिए पानी और सुरक्षा विषय पर भी कार्य किए जा रहे हैं. पूरे इलाके में मवेशी भी घुसते हैं, ग्रास लैंड के विकसित हो जाने से मवेशी कॉरिडोर के कोर एरिया में दाखिल नहीं हो पाएंगे और वन्य जीव के लिए सहूलियत होगी.

Grasslanda from Sarand to Satpura
बेतला नेशनल पार्क



1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है कॉरिडोर, 10 हजार से अधिक हैं हिरण: पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पूरे रिजर्व एरिया में 10 हजार से भी अधिक हिरण और चीतल मौजूद हैं. ग्रास लैंड की कमी के कारण हिरण और चीतल अक्सर पीटीआर के इलाके से बाहर निकल जाते हैं और ग्रामीण इलाकों में उनका शिकार हो जाता है. झारखंड से सतपुड़ा कॉरिडोर में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, बायसन समेत कई वन्य जीव मौजूद है।

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