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शर्मा की रिपोर्ट पर पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का लिया निर्णय !

पूर्व आईएएस व भाजपा एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी थी. सूत्रों की मानें तो उस रिपोर्ट में करीब 40 से अधिक जिलों की जमीनी हकीकत को बिना किसी हेर फेर के पेश किया गया था, जिसके बारे में जान प्रधानमंत्री भी परेशान हो गए थे. बताया जा रहा है कि इस पर गहन मंथन के बाद कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया गया.

अरविंद कुमार शर्मा
अरविंद कुमार शर्मा
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Published : Nov 21, 2021, 9:21 AM IST

हैदराबाद : कोई फैसला एक रात में नहीं होता, पर उस रिपोर्ट को देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी परेशान हो गए थे. आनन-फानन में बैठक बुलाई गई, ताकि भविष्य के बिगड़ते ग्रह-गोचरों को समय रहते किसी तरह से मनाकर संकट की वैतरणी पार की जा सके. दरअसल, बीते नौ नवंबर को पूर्व आईएएस व भाजपा एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी थी. सूत्रों की मानें तो उस रिपोर्ट में करीब 40 से अधिक जिलों की जमीनी हकीकत को बिना किसी हेर-फेर के पेश किया गया था, जिसके बारे में जान प्रधानमंत्री भी परेशान हो गए थे.

खैर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के कई फैसले ऐसे होते हैं, जिसके बारे में जब तक मोदी स्वयं कुछ नहीं बोलते तब तक कोई कुछ नहीं जान पाता. कुछ ऐसा ही तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के साथ भी हुआ. लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला एकाएक नहीं, बल्कि लंबे चले मंथन के बाद लिया गया.

वहीं, फैसले से पूर्व राजधानी दिल्ली में 18 नवंबर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) के आवास पर बैठक हुई. उससे पहले पीएम मोदी के आंतरिक सर्वे की जो रिपोर्ट उन्हें सौंपी गई थी उसके बारे में पार्टी के आला नेताओं ने चर्चा की और फिर एकमत से निर्णय लिया.

असल में पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब पर किए गए सर्वे के बाद जो रिपोर्ट सामने आई वो भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम न था. सभी सियासी संभावनाओं को टटोलने के बाद आखिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह फैसला किया कि उत्तर प्रदेश समेत इन राज्यों में अगर चुनाव जीतना है तो फिर किसानों की नाराजगी दूर करनी ही होगी.

राजनाथ सिंह और अमित शाह
राजनाथ सिंह और अमित शाह

अंततः अपने चिर परिचित अंदाज में औचक देश के नाम संबोधन में उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ ही माफी भी मांगी. खैर, यह पार्टी की आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक मुकम्मल प्लानिंग थी. ताकि नाराज किसानों को खुश कर फिर से माहौल मार्केटिंग के जरिए वोटों की बिगड़ी गणित को दुरुस्त किया जा सके.

शाह को पश्चिम यूपी और राजनाथ को काशी-अवध

इधर, आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए यूपी को तीन जोनों में विभक्त किया गया है. जानकारी के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हाई लेवल बैठक हुई थी. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष, राज्य के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन मंत्री सुनील बंसल समेत अन्य कई बड़े नेता शामिल हुए थे.

इस बैठक यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर एक बड़ी रणनीति तैयार की गई. साथ ही सूबे को तीन हिस्सों में बांट दिया गया. जिसमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को कानपुर और गोरखपुर क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को वाराणसी और अवध का प्रभारी बनाया गया. लेकिन सबसे अहम जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दी गई. उन्हें ब्रज के साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है.

इसे भी पढ़ें - प्रियंका गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी ये हॉट एक्ट्रेस

ऐसे भी अमित शाह को पार्टी का संकटमोचन माना जाता है. शाह अपने आक्रामक रुख से माहौल बदलने का माद्दा रखते हैं. वहीं, बैठक में यह भी तय किया गया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में जो किसान, जाट और गुर्जर नाराज हैं, उन्हें भाजपा की ओर आकर्षित करने के लिए केवल शाह ही एकमात्र उपयुक्त नेता हैं. यही कारण है कि शाह को पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है.

इससे पहले 2014, 2017 और 2019 के चुनाव में यहां शाह सियासी मैजिक करके दिखा चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों के जख्म पर मरहम लगाने का काम किया है. ऐसे में शेष बचे घाव की पट्टी अमित शाह अपने तरीके से करेंगे.

इसे भी पढ़ें - UP में भाजपा की अग्निपरीक्षा, दांव पर लगी कई नेताओं की प्रतिष्ठा!

वहीं, पूर्व आईएएस व प्रधानमंत्री के सबसे खास माने जाने वाले अरविंद कुमार शर्मा ने उनसे मुलाकात कर उन्हें 40 से अधिक जिलों की एक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें पूर्वांचल से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश तक के जिलों के उनके दौरे की विस्तृत जानकारी थी. माना जा रहा है कि शर्मा के लगातार दौरे में यह सर्वे कराया गया कि किसानों और लोगों में सरकार के प्रति क्या राय है. जिसकी रिपोर्ट उन्होंने प्रधानमंत्री को सौंपी है.

हालांकि, इस रिपोर्ट में क्या है. इसका किसी को कुछ भी पता नहीं है. लेकिन शर्मा ने जब प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी तो बकायदा ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. फिलहाल उनका प्रदेश दौरा जारी है और पार्टी सूत्रों की मानें तो शर्मा जल्द ही एक और रिपोर्ट देने वाले हैं.

आठ दिसंबर से रथ यात्रा की तैयारी

अब भाजपा ने रथ यात्रा का प्लान तैयार कर लिया है. आगामी 8 दिसंबर से पश्चिम यूपी से रथ यात्रा शुरुआत होने जा रही है. हालांकि यह रथ यात्रा पूरे प्रदेश से निकलेगी. लेकिन इसके शुभारंभ के लिए पश्चिम यूपी के सहारनपुर जनपद को चुना गया है. साथ ही बताया गया कि इस रथ यात्रा का समापन 25 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समापन के मौके पर एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे.

हैदराबाद : कोई फैसला एक रात में नहीं होता, पर उस रिपोर्ट को देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी परेशान हो गए थे. आनन-फानन में बैठक बुलाई गई, ताकि भविष्य के बिगड़ते ग्रह-गोचरों को समय रहते किसी तरह से मनाकर संकट की वैतरणी पार की जा सके. दरअसल, बीते नौ नवंबर को पूर्व आईएएस व भाजपा एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी थी. सूत्रों की मानें तो उस रिपोर्ट में करीब 40 से अधिक जिलों की जमीनी हकीकत को बिना किसी हेर-फेर के पेश किया गया था, जिसके बारे में जान प्रधानमंत्री भी परेशान हो गए थे.

खैर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के कई फैसले ऐसे होते हैं, जिसके बारे में जब तक मोदी स्वयं कुछ नहीं बोलते तब तक कोई कुछ नहीं जान पाता. कुछ ऐसा ही तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के साथ भी हुआ. लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला एकाएक नहीं, बल्कि लंबे चले मंथन के बाद लिया गया.

वहीं, फैसले से पूर्व राजधानी दिल्ली में 18 नवंबर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) के आवास पर बैठक हुई. उससे पहले पीएम मोदी के आंतरिक सर्वे की जो रिपोर्ट उन्हें सौंपी गई थी उसके बारे में पार्टी के आला नेताओं ने चर्चा की और फिर एकमत से निर्णय लिया.

असल में पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब पर किए गए सर्वे के बाद जो रिपोर्ट सामने आई वो भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम न था. सभी सियासी संभावनाओं को टटोलने के बाद आखिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह फैसला किया कि उत्तर प्रदेश समेत इन राज्यों में अगर चुनाव जीतना है तो फिर किसानों की नाराजगी दूर करनी ही होगी.

राजनाथ सिंह और अमित शाह
राजनाथ सिंह और अमित शाह

अंततः अपने चिर परिचित अंदाज में औचक देश के नाम संबोधन में उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ ही माफी भी मांगी. खैर, यह पार्टी की आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक मुकम्मल प्लानिंग थी. ताकि नाराज किसानों को खुश कर फिर से माहौल मार्केटिंग के जरिए वोटों की बिगड़ी गणित को दुरुस्त किया जा सके.

शाह को पश्चिम यूपी और राजनाथ को काशी-अवध

इधर, आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए यूपी को तीन जोनों में विभक्त किया गया है. जानकारी के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हाई लेवल बैठक हुई थी. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष, राज्य के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन मंत्री सुनील बंसल समेत अन्य कई बड़े नेता शामिल हुए थे.

इस बैठक यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर एक बड़ी रणनीति तैयार की गई. साथ ही सूबे को तीन हिस्सों में बांट दिया गया. जिसमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को कानपुर और गोरखपुर क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को वाराणसी और अवध का प्रभारी बनाया गया. लेकिन सबसे अहम जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दी गई. उन्हें ब्रज के साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है.

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ऐसे भी अमित शाह को पार्टी का संकटमोचन माना जाता है. शाह अपने आक्रामक रुख से माहौल बदलने का माद्दा रखते हैं. वहीं, बैठक में यह भी तय किया गया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में जो किसान, जाट और गुर्जर नाराज हैं, उन्हें भाजपा की ओर आकर्षित करने के लिए केवल शाह ही एकमात्र उपयुक्त नेता हैं. यही कारण है कि शाह को पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है.

इससे पहले 2014, 2017 और 2019 के चुनाव में यहां शाह सियासी मैजिक करके दिखा चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों के जख्म पर मरहम लगाने का काम किया है. ऐसे में शेष बचे घाव की पट्टी अमित शाह अपने तरीके से करेंगे.

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वहीं, पूर्व आईएएस व प्रधानमंत्री के सबसे खास माने जाने वाले अरविंद कुमार शर्मा ने उनसे मुलाकात कर उन्हें 40 से अधिक जिलों की एक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें पूर्वांचल से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश तक के जिलों के उनके दौरे की विस्तृत जानकारी थी. माना जा रहा है कि शर्मा के लगातार दौरे में यह सर्वे कराया गया कि किसानों और लोगों में सरकार के प्रति क्या राय है. जिसकी रिपोर्ट उन्होंने प्रधानमंत्री को सौंपी है.

हालांकि, इस रिपोर्ट में क्या है. इसका किसी को कुछ भी पता नहीं है. लेकिन शर्मा ने जब प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी तो बकायदा ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. फिलहाल उनका प्रदेश दौरा जारी है और पार्टी सूत्रों की मानें तो शर्मा जल्द ही एक और रिपोर्ट देने वाले हैं.

आठ दिसंबर से रथ यात्रा की तैयारी

अब भाजपा ने रथ यात्रा का प्लान तैयार कर लिया है. आगामी 8 दिसंबर से पश्चिम यूपी से रथ यात्रा शुरुआत होने जा रही है. हालांकि यह रथ यात्रा पूरे प्रदेश से निकलेगी. लेकिन इसके शुभारंभ के लिए पश्चिम यूपी के सहारनपुर जनपद को चुना गया है. साथ ही बताया गया कि इस रथ यात्रा का समापन 25 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समापन के मौके पर एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे.

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