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अब दो साल तक कॉल का डेटा सुरक्षित रखेंगी टेलीकॉम कंपनियां

भारत की सुरक्षा एजेंसियों की डिमांड पर भारत सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए दो साल का डेटा सुरक्षित रखने का प्रावधान किया है.

keep call records for two years
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Published : Dec 24, 2021, 12:21 PM IST

हैदराबाद : भारत की टेलीकॉम और इंटरनेट की सुविधा देने वाली कंपनियों को दो साल का डेटा (कॉल रेकॉर्ड और एक्सचेंज रेकॉर्ड) सुरक्षित रखना होगा. 21 दिसंबर को एक अधिसूचना के माध्यम से दूरसंचार विभाग (DoT) ने एकीकृत लाइसेंस समझौते में संशोधन कर दिया. विभाग (DoT) का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों के अनुरोध पर यूनीफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में संशोधन किया गया है. अभी तक टेलिकॉम कंपनियां एक साल का डेटा सुरक्षित रखती हैं और प्रोटोकॉल के अनुसार मांगे जाने पर जांच एजेंसियों को जानकारी मुहैया कराती हैं.

अधिसूचना में कहा गया है कि इंटरनेट की सेवा देने वाली कंपनियों को दो साल की अवधि के लिए सामान्य आईपी विवरण रेकॉर्ड के अलावा इंटरनेट टेलीफोन का विवरण भी संभालकर रखना होगा. दूरसंचार विभाग (DoT) के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों को एक साल बाद भी डेटा की जरूरत होती है, क्योंकि किसी मामले की जांच में इससे भी अधिक समय लगता है. इस फैसले से सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने भी सहमति जताई है.

बता दें कि यूनीफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में यह प्रावधान किया गया है कि जांच एजेंसियों और अदालत के निर्देश के बाद मोबाइल कंपनियां प्रोटोकॉल के तहत सीडीआर मुहैया कराएगी. बता दें कि कंपनियां कॉल रेकॉर्ड टेक्स्ट में सुरक्षित रखती है.

CDR यानी कॉल डिटेल रेकॉर्ड में आम तौर पर इसमें इन सवालों का जवाब छिपा है? किन नंबरों पर कॉल किया ? कितने देर तक बात हुई? किन नंबरों से कॉल रिसीव हुआ. कॉल की डेट, टाइम यानी कितने समय तक बात हुई. किन नंबरों पर मैसेज भेजे गए. किन नंबरों से मैसेज रिसीव हुए, इसकी भी डिटेल होती है.

हैदराबाद : भारत की टेलीकॉम और इंटरनेट की सुविधा देने वाली कंपनियों को दो साल का डेटा (कॉल रेकॉर्ड और एक्सचेंज रेकॉर्ड) सुरक्षित रखना होगा. 21 दिसंबर को एक अधिसूचना के माध्यम से दूरसंचार विभाग (DoT) ने एकीकृत लाइसेंस समझौते में संशोधन कर दिया. विभाग (DoT) का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों के अनुरोध पर यूनीफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में संशोधन किया गया है. अभी तक टेलिकॉम कंपनियां एक साल का डेटा सुरक्षित रखती हैं और प्रोटोकॉल के अनुसार मांगे जाने पर जांच एजेंसियों को जानकारी मुहैया कराती हैं.

अधिसूचना में कहा गया है कि इंटरनेट की सेवा देने वाली कंपनियों को दो साल की अवधि के लिए सामान्य आईपी विवरण रेकॉर्ड के अलावा इंटरनेट टेलीफोन का विवरण भी संभालकर रखना होगा. दूरसंचार विभाग (DoT) के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों को एक साल बाद भी डेटा की जरूरत होती है, क्योंकि किसी मामले की जांच में इससे भी अधिक समय लगता है. इस फैसले से सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने भी सहमति जताई है.

बता दें कि यूनीफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में यह प्रावधान किया गया है कि जांच एजेंसियों और अदालत के निर्देश के बाद मोबाइल कंपनियां प्रोटोकॉल के तहत सीडीआर मुहैया कराएगी. बता दें कि कंपनियां कॉल रेकॉर्ड टेक्स्ट में सुरक्षित रखती है.

CDR यानी कॉल डिटेल रेकॉर्ड में आम तौर पर इसमें इन सवालों का जवाब छिपा है? किन नंबरों पर कॉल किया ? कितने देर तक बात हुई? किन नंबरों से कॉल रिसीव हुआ. कॉल की डेट, टाइम यानी कितने समय तक बात हुई. किन नंबरों पर मैसेज भेजे गए. किन नंबरों से मैसेज रिसीव हुए, इसकी भी डिटेल होती है.

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