सहारनपुर : उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के देवबंद स्थित विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम एक बार फिर सुर्खियों में आया है. फतवों की नगरी कहे जाने वाले सबसे बड़े तालीम के इदारे में छात्रों के लिए अनोखा फरमान जारी किया गया है. दारुल उलूम देवबंद में पढ़ने वाले छात्र अब उर्दू एवं इस्लामिक तालीम के अलावा दूसरी भाषा की पढ़ाई नहीं पढ़ सकेंगे. प्रबंधन ने छात्रों को दारुल उलूम की पढ़ाई के दौरान अंग्रेजी और अन्य विषय की पढ़ाई से दूर रहने की सख्त हिदायत दी है. कहा गया है कि अगर किसी छात्र ने इस आदेश को नहीं माना तो ऐसे छात्रों को दारुल उलूम से निष्कासित कर दिया जाएगा. संस्थान की ओर से आये इस फरमान से छात्रों में हलचल मची हुई है.
बता दें कि सहारनपुर के कस्बा देवबंद में दारुल उलूम के नाम से विश्व का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण संस्थान है. जहां से जारी किए गए फतवों को दुनिया भर के मुस्लिम देशों में माना जाता है. दारुल उलूम में दुनिया भर के मुस्लिम देशों से छात्र इस्लामिक तालीम ले रहे हैं. बुधवार की देर शाम उस वक्त दारुल उलूम के छात्रों को बड़ा झटका लगा जब अचानक शिक्षा विभाग प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने अनोखा फरमान जारी किया है. फरमान में छात्रों को साफ कहा गया है कि संस्था में पढ़ने वाले छात्र धार्मिक तालीम के अलावा अंग्रेजी या अन्य विषय की पढ़ाई नही करेंगे. आदेश ना मानने वाले छात्रों को निष्कासित किया जाएगा. दारुल उलूम के इस आदेश के बाद उन छात्रों को बड़ा झटका लगा है जो दीनी (इस्लामिक शिक्षा) शिक्षा के साथ निजी रूप से इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स और आधुनिक शिक्षा से संबंधित विषयों की पढ़ाई में रुचि रखते हैं. फरमान में यह भी कहा गया है कि यदि कोई छात्र कक्षा चलने के दौरान अनुपस्थित रहता है तो ऐसे छात्रों के खिलाफ संस्था की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने बताया कि 'ऐसी सूचना मिल रही थी कि कुछ छात्र कक्षा चलने के समय अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कक्षा बीच मे ही छोड़कर बाहर चले जाते हैं. ऐसे छात्र केवल उपस्थिति दर्ज कराने की वजह से ही कक्षा में आते हैं. ये छात्र दारुल उलूम की कक्षा छोड़कर निजी संस्थानों में अंग्रेजी स्पीकिंग कोर्स औऱ आधुनिक शिक्षा से संबधित कोर्स करते हैं. यही वजह है कि संस्थान की कोर कमेटी में यह फैसला लिया गया है. अगर भविष्य में कोई छात्र कक्षा छोड़कर अंग्रेजी या आधुनिक विषय पढ़ता है तो ऐसे छात्र के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.'
वहीं दारुल उलूम के इस फरमान पर सहमति जताते हुए दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस एवं जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने छात्रों को चेतावनी देते हुए कहा कि 'मदरसा हमारा दीन है, हमारी दुनिया नहीं. इसलिए आप पहले अच्छे आलिम-ए-दीन और फिर उसके बाद डाॅक्टर, इंजीनियर या वकील बनें, क्योंकि दो नावों में सवार होने वाला कभी भी मंजिल नहीं पा सकता है.'