नई दिल्ली : म्यांमार में इस सप्ताह शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हुई हिंसा में 50 लोगों की मौत हो गई थी जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए थे. इस घटना पर यूएन ने चिंता जताई थी. संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजदूत ने सैन्य शासन की हिंसक कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद से कदम उठाने का आग्रह किया था.
यूएनएससी ने शुक्रवार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए गोपनीय बैठक आयोजित भी की.
म्यामांर की स्थिति पर भारत के रुख को लेकर 'ईटीवी भारत' ने पूर्व राजनयिक विष्णु प्रकाश से बात की. उन्होंने कहा कि 'चीन म्यांमार में सैन्य शासन का पूरी तरह समर्थन कर रहा है. इस वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय म्यामांर में अप्रभावी होगा.'
प्रकाश ने कहा कि तख्तापलट से पहले चीन ने कहा था कि म्यामांर में मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होने वाला है. चीन को उम्मीद थी कि उसका प्रभाव म्यांमार में बढ़ेगा. क्योंकि म्यांमार चीन के लिए सामरिक महत्व रखता है. इस मामले में यूएनएससी अनिवार्य रूप से अप्रभावी है.
उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट है. हम विकास को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि स्थिति को बातचीत के जरिए शांति से सुलझाया जाए.
भारत के लिए म्यांमार इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की सुरक्षा इससे जुड़ी हुई है. आर्थिक रूप से भी म्यांमार भारत के लिए काफी मायने रखता है.
हम यह भी जानते हैं कि अगर हम इस ओर ध्यान नहीं देंगे तो म्यांमार चीन की तरफ चला जाएगा, जैसा की अतीत में देखने को मिला था.
अमेरिका की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए पूर्व-राजनयिक प्रकाश ने कहा कि अमेरिका वही रोल निभाएगा जो वह निभाना चाहता है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि अमेरिका भविष्य में क्या करेगा, लेकिन अतीत में अमेरिका ने सैन्य शासन को अस्थिर किया था.
अमेरिका ने दिया था कड़ा संदेश
अमेरिका म्यामांर में सेना के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा है. इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन पाकी ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बाइडेन प्रशासन ने यह संदेश देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं कि म्यांमार में तख्तापलट की घटना अस्वीकार्य है.
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पाकी ने कहा था कि म्यांमार में जमीनी स्थिति संकटपूर्ण है. उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन क्षेत्र में अपने सहयोगी देशों के साथ करीबी तौर पर काम कर रहा है.