वैशाली (हाजीपुर): आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हालांकि बीते दिनों चारा घोटाला (Fodder Scam) मामले में लालू को जमानत मिलने के साथ ही आचार संहिता उल्लंघन के मामले में भी हाजीपुर कोर्ट (hajipur court) की ओर से राहत मिली थी. अब इसी मामले में लालू के खिलाफ आरोप गठित (charges framed against lalu prasad) किये गए हैं. गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र के रसिया बिहारी में 27 सितंबर 2015 को लालू प्रसाद यादव ने एक सभा को संबोधित करते हुए जाति सूचक टिप्पणी की थी. जिसका वीडियो सामने आने के बाद सदर सर्किल इंस्पेक्टर निरंजन कुमार ने 29 सितंबर 2015 को लालू प्रसाद यादव पर मामला दर्ज किया था, जिसमें तीन धाराएं लगाई गई थी.
लालू पर चार्ज फ्रेम: जातिसूचक टिप्पणी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर चार्ज फ्रेम किया गया है. एसीजेएम अस्मिता राज की अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद लालू प्रसाद यादव पर चार्ज किया है. इस मामले में लालू प्रसाद यादव की ओर से केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट श्याम बाबू राय ने बताया कि 2015 के चुनाव के दौरान लालू प्रसाद यादव ने राघोपुर विधान सभा क्षेत्र के तेरसिया में एक सभा को संबोधित किया था. भाषण के दौरान जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था. इस बाबत गंगाब्रिज थाना क्षेत्र में मामला दर्ज किया गया था. 23 अप्रैल को अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के बाद प्रसाद यादव को इस मामले में जमानत दे दी थी.
"लालू प्रसाद यादव से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सवाल जवाब के बाद मामले पर चार्ज फ्रेम किया गया है. लालू प्रसाद यादव ने खासतौर बेल होने के बाद भी बेल बांड नहीं भरने के लिए कहा था ताकि मामला जल्दी से आगे बढ़े. आज चार्ज फ्रेम होने के बाद बेल बांड भरेंगे. अदालत ने लालू प्रसाद यादव से पूछा कि आप पर जातिसूचक टिप्पणी का आरोप है. इसके जवाब में लालू प्रसाद यादव ने कहा कि यह सरासर गलत है. इसके बाद उन्होंने आगे की कार्यवाही के लिए अनुरोध किया."- श्याम बाबू राय, अधिवक्ता
दर्ज हुई थी एफआईआरः आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव पर लगाई गई तीन धाराओं में आईपीसी की एक धारा नॉन बेलेबल सेक्शन का भी लगाया गया था. इसके लिए पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लालू प्रसाद यादव की पेशी हुई थी. इसके बाद अदालत ने उन्हें जमानत दिया. लालू प्रसाद यादव की ओर से केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट श्याम बाबू राय ने बताया कि यह मामला 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के समय का है. आरजेडी की एक सभा में लालू प्रसाद यादव पर जातिगत टिप्पणी का आरोप लगाया गया था. कहा गया था कि इससे लोग मर्माहत हुए हैं. इसी मामले को लेकर एक एफआईआर गंगा पुलिस थाने में दर्ज कराया गया था.
वीसी के जरिये हुई पेशीः चूंकि लालू प्रसाद यादव ऑलरेडी कस्टडी में थे, इसलिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उनकी पेशी के बाद ही बेल फाइनल हो सकता था. इसीलिए पहले पेशी करायी गयी, इसके बाद हाजीपुर व्यवहार न्यायालय के एसीजीएम फर्स्ट अस्मिता राज की अदालत ने उन्हें 23 अप्रैल को जमानत दी. एडवोकेट श्याम बाबू राय ने बताया कि लालू प्रसाद यादव पर राजनीति के लिए जातिगत टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था. जिससे लोग आहत हुए थे. हालांकि हम इस बात का खंडन करते हैं. उन्होंने ऐसे किसी भी वर्ड का इस्तेमाल नहीं किया था, जिससे कोई आहत होगा. माना जा रहा है कि मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर लालू यादव ने टिप्पणी करते हुए जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था.
आज से मामले की सुनवाई: उन्होंने आगे बताया कि लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. साथ ही रेल मंत्री भी रहे हैं व आरजेडी के नेशनल प्रेसिडेंट हैं. इसलिए कोर्ट को यह महसूस हुआ कि इनको बेल दिया जा सकता है. एडवोकेट श्याम बाबू राय ने बताया कि 27 तारीख से मामले की सुनवाई है. जिस तरीके से झारखंड के एक मामले में पहले लालू प्रसाद यादव को जमानत मिली. 18 अप्रैल, 2022 को लालू को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजीपुर कोर्ट में हाजिर होना पड़ा, जिसके बाद हाजीपुर कोर्ट ने लालू यादव को शनिवार को 10 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी थी.
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