नई दिल्ली : दिल्ली में छठ पूजा को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है. मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंंद केजरीवाल के घर के बाहर धरना दे रहे बीजेपी सांसद मनोज तिवारी कथित तौर पर चोट लगने से घायल हो गए. उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में दिल्ली बीजेपी ने सीएम केजरीवाल के घर के सामने विरोध-प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. इस दौरान सांसद मनोज तिवारी बैरिकेड से नीचे गिर गए. उन्हें सिर और छाती में चोट आई है. इसके बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. फिलहाल डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं. दरअसल पिछले सप्ताह दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में निर्णय लिया गया था कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार यमुना तथा किसी भी तालाब आदि पर सामूहिक रूप से छठ मनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
इस आदेश के बाद से ही तमाम छठ पूजा समिति के पदाधिकारी चिंतित हैं. वह अपनी बात लेकर जब बीजेपी सांसद मनोज तिवारी से मिलने गए तो मनोज तिवारी ने कहा कि वह लोगों की राय जानने के लिए रथ यात्रा निकालेंगे. मनोज तिवारी पिछले तीन दिनों से रथयात्रा निकाल अलग-अलग इलाके में जाकर रायशुमारी कर रहे थे. इसी कड़ी में मंगलवार को बीजेपी के तमाम पदाधिकारी छठ पूजा के आयोजन होने के समर्थन में जब मुख्यमंत्री आवास के समीप प्रदर्शन कर रहे थे तब उन्होंने वहां पर अपनी बातें दोहराई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की कि वे सार्वजनिक रूप से छठ पूजा पर लगाई गई पाबंदी हटा दें.
मुख्यमंत्री निवास की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगा दिया. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, आदेश गुप्ता समेत अन्य बीजेपी नेता बैरिकेड पर चढ़ गए और पार करने की कोशिश की, जिसके बाद उन पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया, जिससे मनोज तिवारी बैरिकेड से गिर पड़े. उन्हें सिर और छाती में चोटें आई हैं. उन्हें तुरंत सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया.
दिल्ली में छठ पूजा के आयोजन को लेकर मनोज तिवारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि जिस दिल्ली में 1.80 करोड़ को कोविड की वैक्सीन (covid vaccine) भी लग चुकी है. साप्ताहिक बाज़ार, मेट्रो, बस, थियेटर, शराब के ठेके इत्यादि सब तो खुले हैं, फिर कोविड के नियमों का पालन करते हुए छठ क्यों नहीं मना सकते? छठ पर्व के सामूहिक आयोजन की अनुमति नहीं देना बिल्कुल गलत है. लोग कोरोना वायरस से बचाव के लिए जो दिशा-निर्देश है उसका भी पालन करना सीख गए हैं. देश के अन्य राज्यों में छठ पर्व की तैयारी शुरू हो चुकी है.
दिल्ली में भी रामलीला के आयोजन तथा दशहरा मनाने की अनुमति दे दी गई है तो सिर्फ छठ पर्व के सामूहिक आयोजन पर ही प्रतिबंध क्यों? छठ पर्व के सामूहिक आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के चलते दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचलियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. उन्होंने कहा कि इस महापर्व के आयोजन की अनुमति दी जानी चाहिए. बता दें कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली भर में यमुना नदी समेत कुल 1108 छोटे-बड़े घाट बनवाएं हैं. मगर डीडीएमए (DDMA) की मंजूरी के बाद सरकार भी अब इसके लिए कोई आयोजन नहीं करेगी. इस वर्ष 10 और 11 नवंबर को छठ पूजा है.
वहीं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता और अन्य ने राजधानी में लाखों पूर्वांचलियों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहार पर प्रतिबंध लगाने पर केजरीवाल सरकार की निंदा की. बता दें कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने 30 सितंबर को अपने आदेश में कोविड के मद्देनजर नदी तटों, जल निकायों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर छठ मनाने पर रोक लगा दी थी. हालांकि, गुप्ता ने सोमवार को कहा कि छठ धूमधाम से मनाया जाएगा और भाजपा शासित नगर निगम इसकी व्यवस्था करेगा.
प्रदर्शनकारियों ने केजरीवाल सरकार से त्योहार पर से प्रतिबंध हटाने के लिए डीडीएमए को एक प्रस्ताव भेजने की मांग की. इससे पहले केजरीवाल ने कहा था कि सार्वजनिक स्थानों पर छठ पर रोक लगाने का फैसला लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए लिया गया है.
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