नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की आज 41वीं बैठक हो रही. बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है. बैठक का एकमात्र एजेंडा राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई है.
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के कारण राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिये विपक्षी दल शासित राज्य केंद्र पर वादे के अनुसार क्षतिपूर्ति देने को लेकर दबाव बनाने को एकजुट दिख रहे हैं.
बैठक में जिन विकल्पों पर विचार किया जा सकता है. उनमें बाजार से कर्ज, उपकर की दर में वृद्धि या क्षतिपूर्ति उपकर के दायरे में आने वाले वस्तुओं की संख्या में वृद्धि शामिल हैं.
सूत्रों ने कहा कि कपड़ा और जूता-चप्पल जैसे कुछ उत्पादों पर उल्टा शुल्क ढांचा यानी तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक दर से कराधान को ठीक करने पर भी चर्चा होने की संभावना है.
कोविड-19 संकट ने बढ़ाई राज्यों की वित्तीय समस्याएं
केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने ट्विटर पर लिखा है, जीएसटी से उत्पन्न समस्या का समाधान केंद्र सरकार को करना है. वह जीएसटी परिषद को क्षतिपूर्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक उपयुक्त अधिसूचना द्वारा 5 वर्ष से अधिक क्षतिपूर्ति उपकर से भविष्य की प्राप्तियों के आधार पर कर्ज लेने का अधिकार दे. अगर जरूरी हो तो इसके लिये अध्यादेश लाया जाए.
बैठक से पहले विपक्षी दलों के राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बुधवार को इस मामले में साझा रणनीति तैयार करने के लिये डिजिटल तरीके से बैठक की.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जीएसटी परिषद की बैठक में कैसा माहौल होगा, उसका एक तरह से संकेत दे दिया है. उन्होंने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से माल एवं सेवा कर से जुड़ी क्षतिपूर्ति देने से इनकार करना राज्यों और जनता के साथ छल है.
विपक्षी दलों की बैठक में ये हुए थे शामिल
विपक्षी दलों की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी शामिल हुए.
सोनिया गांधी ने बैठक में कहा कि हमें केंद्र सरकार के खिलाफ साथ मिलकर काम करना और लड़ना होगा. इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि स्थिति काफी गंभीर है और विपक्षी दलों के शासित राज्यों को साथ मिलकर लड़ना चाहिए.
केरल, पंजाब और बिहार जैसे राज्य पहले ही कह चुके हैं कि जीएसटी लागू होने के पांच साल तक राज्यों को अगर राजस्व कुछ भी नुकसान होता है, तो केंद्र इसकी भरपाई के लिये नैतिक रूप से बंधा हुआ है.
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि केंद्र, राज्यों को जीएसटी राजस्व में किसी प्रकार की कमी को पूरा करने के लिये कानूनी रूप से बाध्य नहीं है.
बाजार से कर्ज लेने पर गौर
सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि वेणुगोपाल की राय के बाद राज्यों को राजस्व की भरपाई के लिये बाजार से कर्ज लेने पर गौर करना पड़ सकता है. इस बारे में जीएसटी परिषद अंतिम निर्णय करेगा.
केंद्र सरकार ने मार्च में सॉलिसिटर जनरल से क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के लिये जीएसटी परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर राय मांगी थी. क्षतिपूर्ति कोष का गठन लग्जरी और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर किया गया है. इसके जरिये राज्यों को जीएसटी लागू करने से राजस्व में होने वाली किसी भी कमी की भरपाई की जाती है.
सॉलिसिटर जनरल वेणुगोपाल ने यह भी राय दी थी कि परिषद को पर्याप्त राशि उपलब्ध कराकर जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के बारे में निर्णय करना है.
जीएसटी कानून के तहत राज्यों को जीएसटी के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने की गारंटी दी गयी है. जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू हुआ है. कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है.
जीएसटी परिषद को यह विचार करना है कि मौजूदा हालात में राजस्व में कमी की भरपाई कैसे हो. केंद्र ने 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किये. हालांकि उपकर संग्रह से प्राप्त राशि 95,444 करोड़ रुपये ही थी.