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एक माह में कर्नल रैंक के छह अफसरों को लील गया कार्डियक अरेस्ट

पिछले एक महीने में भारतीय सेना के छह कर्नल और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारियों का कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया. हैरान करने वाली बात यह है कि सभी अधिकारी शारीरिक रूप से काफी मजबूत थे और उनकी आयु भी 40-54 वर्ष के बीच थी.

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Published : Sep 28, 2020, 9:16 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 9:31 PM IST

नई दिल्ली : एक ओर भारतीय सेना लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ मोर्चे पर डटी है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान मोर्चा खोलने के लिए तैयार खड़ा है. यही नहीं बर्फ से ढके दुर्गम पहाड़ों पर हमारे सैनिक बर्फीली आंधियों वाले मौसम रूपी दुश्मन से भी लड़ते रहते हैं. इन सबके बीच एक और दुश्मन चुपके से अपने पांव पसार रहा है. यह दुश्मन है कार्डियक अरेस्ट. सितंबर माह में सेना के छह कर्नल और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी, जिनकी आयु 40-54 वर्ष थी और वह शीर्ष शारीरिक रूप से काफी मजबूत थे, कार्डियक अरेस्ट के शिकार बने हैं. यह आंकड़ा असाधारण रूप से काफी अधिक है. कार्डियक अरेस्ट से जिन अधिकारियों का निधन हुआ, उनमें कर्नल तुषार तिवारी (कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स ), आर्टिलरी से कर्नल बोस, आयुध से कर्नल अमित शुक्ला, कर्नल धनखड़ (सेना सेवा कोर) और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स से कर्नल वीके यादव के नाम शामिल हैं. इसके अलावा रविवार को आर्टिलरी 346 फील्ड रेजिमेंट से लेफ्टिनेंट कर्नल मयंक बोरा का अपने आधिकारिक निवास पर कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हुआ है.

सोमवार को गुवाहाटी में तैनात रक्षा मंत्रालय के पीआरओ ने ट्वीट किया कि लेफ्टिनेंट कर्नल मयंक बोरा का शव उनके गृह गुवाहाटी पहुंच गया है और आज उनके गुवाहाटी स्थित आवास पर सेना द्वारा माल्यार्पण और अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे.

घटनाओं से परिचित एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि यह अभूतपूर्व है कि छह पूरी तरह से फिट अधिकारियों का एक महीने में निधन हो जाता है और वह भी हृदय संबंधी समस्याओं के कारण. हम सैनिकों की गिनती तो कर ही नहीं रहे हैं. इनमें से कोई भी अधिकारी न तो अस्पताल में था और न किसी अन्य किसी बीमारी से पीड़ित था. वह अपने कार्यालयों, आवासीय क्वार्टरों, कक्षाओं या आधिकारिक कार्यों में भाग ले रहे थे.

अधिकारी ने बताया कि तथ्य यह है कि यह हताहतों की संख्या विद्रोह या संघर्ष जैसे ऑपरेशन से संबंधित नहीं है. यह आंकड़ा बहुत अधिक है.

सभी छह अधिकारी SHAPE-1 चिकित्सा श्रेणी में थे, जिसका अर्थ है कि सैन्य टुकड़ी में वह कहीं भी तैनात होने के लायक थे. भौगोलिक रूप से 'शत्रुतापूर्ण अति ऊंचाई वाले क्षेत्रों' जैसे कि सियाचिन से लेकर शुष्क और गर्म रेगिस्तानी इलाकों तक उन्हें कहीं भी तैनात किया जा सकता था.

पढ़ें- भारत-चीन तनाव के बीच पाकिस्तान ने खोला नया मोर्चा

बता दें कि SHAPE 'एक संक्षिप्त रूप है, जो पांच कारकों, 'S' - मनोविज्ञान (psych), 'H' सुनना (hearing), 'A', परिशिष्ट (appendages), 'P' शारीरिक (physical) और 'E' दृष्टि (eyesight) से मिलकर बना है.

सभी पांच श्रेणियों में पूरी तरह से फिट होने वाले अधिकारियों को चिकित्सा श्रेणी SHAPE -1' दी जाती है. किसी भी कमजोरी के कारण अधिकारियों को इस श्रेणी से हटा दिया जाता है.

उदाहरण के लिए अगर एक अधिकारी को सुनने में परेशानी है, तो उसको '3' ग्रेड दिया जाएगा या फिर उसका ग्रेड ‘S1H3A1P1E1. होगा.

चिकित्सकीय रूप से तनाव को हृदय संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण माना जाता है और विभिन्न अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकला है कि अधिक से अधिक युवा भारतीयों को हृदय संबंधी समस्याएं हो रही हैं.

नई दिल्ली : एक ओर भारतीय सेना लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ मोर्चे पर डटी है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान मोर्चा खोलने के लिए तैयार खड़ा है. यही नहीं बर्फ से ढके दुर्गम पहाड़ों पर हमारे सैनिक बर्फीली आंधियों वाले मौसम रूपी दुश्मन से भी लड़ते रहते हैं. इन सबके बीच एक और दुश्मन चुपके से अपने पांव पसार रहा है. यह दुश्मन है कार्डियक अरेस्ट. सितंबर माह में सेना के छह कर्नल और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी, जिनकी आयु 40-54 वर्ष थी और वह शीर्ष शारीरिक रूप से काफी मजबूत थे, कार्डियक अरेस्ट के शिकार बने हैं. यह आंकड़ा असाधारण रूप से काफी अधिक है. कार्डियक अरेस्ट से जिन अधिकारियों का निधन हुआ, उनमें कर्नल तुषार तिवारी (कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स ), आर्टिलरी से कर्नल बोस, आयुध से कर्नल अमित शुक्ला, कर्नल धनखड़ (सेना सेवा कोर) और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स से कर्नल वीके यादव के नाम शामिल हैं. इसके अलावा रविवार को आर्टिलरी 346 फील्ड रेजिमेंट से लेफ्टिनेंट कर्नल मयंक बोरा का अपने आधिकारिक निवास पर कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हुआ है.

सोमवार को गुवाहाटी में तैनात रक्षा मंत्रालय के पीआरओ ने ट्वीट किया कि लेफ्टिनेंट कर्नल मयंक बोरा का शव उनके गृह गुवाहाटी पहुंच गया है और आज उनके गुवाहाटी स्थित आवास पर सेना द्वारा माल्यार्पण और अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे.

घटनाओं से परिचित एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि यह अभूतपूर्व है कि छह पूरी तरह से फिट अधिकारियों का एक महीने में निधन हो जाता है और वह भी हृदय संबंधी समस्याओं के कारण. हम सैनिकों की गिनती तो कर ही नहीं रहे हैं. इनमें से कोई भी अधिकारी न तो अस्पताल में था और न किसी अन्य किसी बीमारी से पीड़ित था. वह अपने कार्यालयों, आवासीय क्वार्टरों, कक्षाओं या आधिकारिक कार्यों में भाग ले रहे थे.

अधिकारी ने बताया कि तथ्य यह है कि यह हताहतों की संख्या विद्रोह या संघर्ष जैसे ऑपरेशन से संबंधित नहीं है. यह आंकड़ा बहुत अधिक है.

सभी छह अधिकारी SHAPE-1 चिकित्सा श्रेणी में थे, जिसका अर्थ है कि सैन्य टुकड़ी में वह कहीं भी तैनात होने के लायक थे. भौगोलिक रूप से 'शत्रुतापूर्ण अति ऊंचाई वाले क्षेत्रों' जैसे कि सियाचिन से लेकर शुष्क और गर्म रेगिस्तानी इलाकों तक उन्हें कहीं भी तैनात किया जा सकता था.

पढ़ें- भारत-चीन तनाव के बीच पाकिस्तान ने खोला नया मोर्चा

बता दें कि SHAPE 'एक संक्षिप्त रूप है, जो पांच कारकों, 'S' - मनोविज्ञान (psych), 'H' सुनना (hearing), 'A', परिशिष्ट (appendages), 'P' शारीरिक (physical) और 'E' दृष्टि (eyesight) से मिलकर बना है.

सभी पांच श्रेणियों में पूरी तरह से फिट होने वाले अधिकारियों को चिकित्सा श्रेणी SHAPE -1' दी जाती है. किसी भी कमजोरी के कारण अधिकारियों को इस श्रेणी से हटा दिया जाता है.

उदाहरण के लिए अगर एक अधिकारी को सुनने में परेशानी है, तो उसको '3' ग्रेड दिया जाएगा या फिर उसका ग्रेड ‘S1H3A1P1E1. होगा.

चिकित्सकीय रूप से तनाव को हृदय संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण माना जाता है और विभिन्न अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकला है कि अधिक से अधिक युवा भारतीयों को हृदय संबंधी समस्याएं हो रही हैं.

Last Updated : Sep 28, 2020, 9:31 PM IST
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