अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा हो जाएगा. क्या इसे राम जन्मभूमि मंदिर कहा जाएगा या सिर्फ एक नया राम मंदिर?
जैसा कि विशेषज्ञ बताते हैं, प्रारंभिक राम जन्मभूमि मंदिर को बाबरी मस्जिद ढांचे के साथ ही ध्वस्त कर दिया गया था. सिर्फ़ मूर्ती को बहार निकाल लिया गया था, जिसे बाद में प्रार्थना के लिए एक अस्थायी तंबू के मंदिर में रखा गया था. छह दिसंबर 1992 को विध्वंस के परिणामस्वरूप, मूल गर्भगृह मट्टी और मलबे में कहीं खो गया है.
नए राम मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास तीन अगस्त से किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को नींव रखने के अनुष्ठान को संपन्न करने के लिए भूमि पूजन के बाद पांच चांदी के ईंट रखेंगे. शुरुआत में, लगभग 250 मेहमान इस समारोह का हिस्सा होने वाले थे, लेकिन अब इस सूची में 125 नामों को जगह मिली है और इसमें एल.के. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और महंत नृत्य गोपाल दास, जो राम जन्मभूमि आंदोलन के मशालवाहक थे, शामिल हैं. नए गर्भगृह के स्थान पर एक 40 किलो चांदी की पाटिया को रखा जाएगा.
स्पष्ट रूप से इसका अर्थ यह हुआ कि यह गर्भगृह उस असल गर्भगृह की गैरमौजूदगी में तैयार किया जा रहा है जिसे भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता था. सभी पवित्र नदियों से लाया गया पवित्र जल और पवित्र मिट्टी को भूमि पूजन और नींव रखने के दौरान डाला जाएगा.
नया राम मंदिर परिसर निश्चित रूप से एक विस्मयकारी निर्माण का नज़ारा होगा. लगभग 120 एकड़ में फैला, यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा- कम्बोडिया में पहला अंगकोर वाट मंदिर परिसर है और तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर दूसरे स्थान पर है. इस परिसर में मुख्य मंदिर के रूप में भगवान राम मंदिर होगा जो सीता, लक्ष्मण, भरत और हनुमान के मंदिरों से घिरा होगा.
वास्तुकला की नागराज शैली की तर्ज़ पर नए राम मंदिर के प्रतिरूप की योजना बनाई गई है. इसे 76,000-84,000 वर्ग फुट क्षेत्र में रखा जाएगा. यह डिजाइन 1983 में चंद्रकांत सोमपुरा द्वारा तैयार किया गया था. सोमपुरा परिवार ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था और इसे प्रतिरूप तैयार करने और नए मंदिर के स्तंभों और दीवारों को भी बनाने का काम सौंपा गया था. प्रारंभिक डिजाइन में 141 फीट की ऊंचाई रखी गई थी जिसे 161 फीट तक बढ़ा दिया गया है. मूल रूप से सोमपुरा में 2 मंजिल का मंदिर चाहते थे, लेकिन अब डिजाइन को सममित रखने के लिए 3 मंजिलों की योजना बनाई जा रही है. मंदिर में एक मुख्य बड़ा गुंबद और चार छोटे गुम्बद होंगे.
मंदिर 300 फीट लंबा और 280 फीट चौड़ा होगा और इसमें पांच आंगन होंगे. गूढ़ मण्डप – जोकि बंद प्रांगण होगा जिसमें गर्भगृह भी होगा. इस प्रांगण का उपयोग मुख्य रूप से देवता के दर्शन के लिए किया जाएगा. इसके अलावा प्रथाना मंडप, कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप और रंग मंडप का निर्माण दर्शन के लिए आने वाली भीड़ को समायोजित करने के लिए होगा. किसी भी समय यह मण्डप 5,000-8,000 के बीच श्रद्धालुओं का सत्कार कर सकेंगे.
मंदिर का निर्माण मुख्य रूप से राजस्थान से बांसपांड से लाए बलुआ पत्थर से किया जाएगा. मंदिर बनाने के लिए कम से कम 1.75 लाख क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर की आवश्यकता होगी. मंदिर में 212 नक्काशीदार खंभे होंगे जिनमें से 100 से अधिक खम्बे पहले से ही पिछले 30 वर्षों के दौरान विश्व हिन्दी परिषद द्वारा बनाई गई पूरी तरह से सुसज्जित कार्यशाला में तैयार किए जा चुके हैं. इन स्तंभों को तराशने का काम अयोध्या में स्थित कार्यशाला में चल रहा है. इन स्तंभों को दो चरणों में इकट्ठा किया जाएगा और इसमें हिंदू देवताओं की नक्काशी और सजावटी डिजाइन भी होंगे.
निर्माण के मौजूदा प्रभारी आशीष सोमपुरा कहते हैं, 'मुख्य प्रवेश द्वार की योजना इस तरह से बनाई गई है कि वहां खड़ा कोई भी उस दूरी से भी देवता के दर्शन कर सकेगा.' सोमपुरवासियों का मानना है कि भगवान राम का मंदिर लगभग 3.5 वर्षों में पूरा होकर तैयार होगा.
रामलला की सजावट भी भव्यता से की जाएगी. उसमें विराजे देवता भूमिपूजन के दिन नौ मूल्यवान रत्नों से सुसज्जित पोशाक पहनेंगे. पोशाक को भागवत पहाड़ी नामक दर्ज़ी के द्वारा तैयार किया है और वह सौर मंडल के नवग्रहों को दर्शाएगी.
(दिलीप अवस्थी, वरिष्ठ पत्रकार)