नई दिल्ली: देश में आर्थिक मंदी और अर्थव्यवस्था को लेकर हल्ला मचा हुआ है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक हालातों को लेकर प्रेस वार्ता कर रही हैं.
बिंदुवार पढ़ें वित्त मंत्री सीतारमण की बातें:
- बैंकों में पूंजी डालने का मकसद ये है कि बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकें.
- सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआती दौर में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी.
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर बढ़ाए गए अधिभार को वापस लिया जाएगा. बजट पूर्व की स्थिति बहाल की जाएगी.
- करदाताओं का उत्पीड़न समाप्त करने से जुड़े कर सुधारों की दिशा में अब सभी कर नोटिस केंद्रीयकृत प्रणाली से जारी होंगे.
- कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) नियमों के उल्लंघन को दिवानी मामले की तरह देखा जाएगा, इसे आपराधिक मामलों की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा.
- आर्थिक सुधार सरकार के एजेंडा में सबसे ऊपर है, सुधारों की प्रक्रिया जारी है, इसकी रफ्तार थमी नहीं है.
- इसके बाद विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों को समझने के लिये उनसे परामर्श किया गया
- संपत्ति का सृजन करने वालों का सम्मान वित्त वर्ष 2019-20 के बजट की मूल भावना है.
- भारत की आर्थिक वृद्धि दर कई देशों की तुलना में ऊंची है.
- अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तथा मुद्रा अवमूल्यन के चलते वैश्विक व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव वाली स्थिति पैदा हुई है.
- वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर संशोधित होकर मौजूदा अनुमान 3.2 प्रतिशत से नीचे जा सकती है. वैश्विक मांग कमजोर रहेगी.
- संपत्ति सृजित करने वाले भारतीय उद्यमियों को हर तरह से मदद की जाएगी.
- चार सौ करोड़ रुपये से अधिक सालाना कारोबार वाली कंपनियों के लिये कारपोरेट कर की दर को धीरे-धीरे घटाकर 25 प्रतिशत पर लाया जाएगा.
वित्त मंत्री की प्रेस वार्ता के मुख्य अंश:
- 31 मार्च 2020 तक खरीदे गए बीएस-4 वाहन मान्य होंगे.
- ईवी और बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन जारी रहेगा.
- रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोत्तरी जून 2020 तक रोक दी गई है.
- एचएफसी को 20 हजार करोड़ की मदद की जाएगी.
- सरकार बैंकों को 70 हजार करोड़ रूपये देगी.
- लोन आवेदन की ऑनलाइन निगरानी होगी.
- लोन खत्म होने के 15 दिन के अंदर दस्तावेज वापस करने होंगे.
- बैंकों को ब्याज दर में कमी का फायदा लोगों को देना होगा.
- बैंक ब्याज दरों में कमी का फायदा आम लोगों को देने के लिए राजी हो गए हैं.
- रेपो रेट को ब्याज दरों से जोड़ा जाएगा.
- रेपो रेट कम होती ही ब्याज दर घटेंगी.
- ब्याज दर घटेगी तो ईएमआई कम होगी.
- स्टार्टअप टैक्स के निपटारे के लिए अलग से सेल बनाया जाएगा.
- स्टार्टअप के लिए सीबीडीटी में अलग सेल बनाई जाएगी.
- टैक्स नोटिस के लिए सिस्टम बनाया जाएगा.
- टैक्स के नाम पर किसी को भी परेशान नहीं किया जाएगा.
- शेयर बाजार में कैपिटल गैन्स पर सरचार्ज नहीं लगेगा.
- सीएसआर का उल्लंघन आपराधिक मामले के अंतर्गत नहीं आएगा.
- एफपीआई को सरचार्ज से छुटकारा मिलेगा.
- भारत की विकास दर अमेरिका और चीन से बेहतर है.
- भारत की विकास दर बाकी के देशों से बेहतर है.
- चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर से मंदी का संकट बढ़ा है.
- सरकार के एजेंड में सुधार सबसे ऊपर है.
- जीएसटी रिफंड की मुश्किलों को दूर किया जाएगा और जीएसटी को आसान बनाया जाएगा.
- इनकम टैक्स भरना आसान हुआ है.
- बाकी देशों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है.
- भारत में कारोबार करना बहुत आसान हुआ है.
- पूरी दुनिया में आर्थिक उथल-पुथल मचा हुआ है.
- हम टैक्स सुधार और श्रम सुधार लाए.
- दुनियाभर में मांग की कमी के आसार.
- बाकी के देश भी मंदी का सामना कर रहे हैं.
- सुधार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.
इससे पहले कहा गया था कि वित्त मंत्रालय मंदी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार के साथ मिलकर उद्योगों के लिए प्रोत्साहन पैकेज पर काम कर रही है, जिसमें कर कटौती, सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन जैसे वित्तीय उपाय होंगे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस पैकेज का लक्ष्य ना सिर्फ उद्योगों की लागत घटाना है, बल्कि 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के लिए भी कदम उठाना है.
वहीं, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार कहा था कि सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश के लिये प्रोत्साहित हों. आर्थिक नरमी को लेकर चिंता के बीच उन्होंने यह बात कही.
उन्होंने वित्तीय क्षेत्र में बने अप्रत्याशित दबाव से निपटने के लिये लीक से हटकर कदम उठाने पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि निजी निवेश तेजी से बढ़ने से भारत को मध्यम आय के दायरे से बाहर निकलने में मदद मिलेगी.
कुमार ने वित्तीय क्षेत्र में दबाव को अप्रत्याशित बताया. उन्होंने कहा कि किसी ने भी पिछले 70 साल में ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया जब पूरी वित्तीय प्रणाली में जोखिम है.
उन्होंने कहा, 'सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश के लिये प्रोत्साहित हों.'
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, 'कोई भी किसी पर भी भरोसा नहीं कर रहा है ...निजी क्षेत्र के भीतर कोई भी कर्ज देने को तैयार नहीं है, हर कोई नकदी लेकर बैठा है...आपको लीक से हटकर कुछ कदम उठाने की जरूरत है.
इस बारे में विस्तार से बताते हुए कुमार ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में दबाव से निपटने और आर्थिक वृद्धि को गति के लिये केंद्रीय बजट में कुछ कदमों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है. वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही जो 5 साल का न्यूनतम स्तर है.
वित्तीय क्षेत्र में दबाव से अर्थव्यवस्था में नरमी के बारे में बताते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि पूरी स्थिति 2009-14 के दौरान बिना सोचे-समझे दिये गये कर्ज का नतीजा है. इससे 2014 के बाद गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) बढ़ी है.
उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज में वृद्धि से बैंकों की नया कर्ज देने की क्षमता कम हुई है. इस कमी की भरपाई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने की. इनके कर्ज में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
एनबीएफसी कर्ज में इतनी वृद्धि का प्रबंधन नहीं कर सकती और इससे कुछ बड़ी इकाइयों में भुगतान असफलता की स्थिति उत्पन्न हुई. अंतत: इससे अर्थव्यवस्था में नरमी आयी.
कुमार ने कहा, 'नोटबंदी और माल एवं सेवा कर तथा ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला संहिता के कारण खेल की पूरी प्रकृति बदल गयी. पहले 35 प्रतिशत नकदी घूम रही थी, यह अब बहुत कम हो गयी है. इन सब कारणों से एक जटिल स्थिति बन गयी है. इसका कोई आसान उत्तर नहीं है.'
सरकार और उसके विभागों द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिये भुगतान में देरी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह भी सुस्ती की एक वजह हो सकती है. प्रशासन प्रक्रिया को तेज करने के लिये हर संभव प्रयास कर रहा है.