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मुखर विपक्षी नेता के रूप में बेहद लोकप्रिय रहे वाजपेयी, पढ़ें चर्चित भाषण

भारत के करिश्माई नेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी पहले गैर कांग्रेसी नेता रहे जो लंबे समय तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. वाजपेयी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला. 1996, 1998 और 1999-2004 तक. आपको बता दें कि वाजपेयी के राजनीतिक जीवन का लंबा वक्त विपक्ष में रहते हुए गुजरा. अपनी सक्रिय राजनीति के दौरान वाजपेयी ने मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई थी. इस दौरान वह काफी मुखर हुआ करते थे.

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Published : Aug 16, 2020, 8:00 AM IST

Updated : Aug 16, 2020, 9:00 AM IST

atal bihari vajpayee
अटल बिहारी वाजपेयी

हैदराबाद : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी करीब चार दशक से अधिक समय विपक्ष की बेंच पर बैठने में व्यतीत किया, फिर भी वह भारत के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक माने जाते रहे हैं. विपक्ष में रहने के दौरान उन्होंने कई उत्कृष्ट भाषण दिए हैं प्रस्तुत हैं उनके कुछ अंश -

1990 में इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंधों के विषय में उन्होंने कहा था कि, 'हमने अपने देश में अस्पृश्यता को मिटा दिया है और हमें एक अछूत की तरह इजरायल के साथ व्यवहार नहीं करना चाहिए.'

चीन-तिब्बत विषय पर बोलते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि चीन दावा करता है कि तिब्बत चीन का एक हिस्सा है, ठीक वैसे ही जैसे पुर्तगाल दावा करता है कि गोवा पुर्तगाल का एक हिस्सा है. हम इन दावों को स्वीकार नहीं कर सकते.

चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि हमें बातचीत करनी चाहिए सौदेबाजी नहीं.

वाजपेयी से पूछा गया कि परमाणु बम पर क्या जवाब है तो उन्होंने कहा परमाणु बम परमाणु बम है.

चेकोस्लोवाकिया पर रूसी हमलों के खिलाफ बोलते हुए उन्होंने विश्व शक्ति की विफलता का हवाला देते हुए कहा कि हम सत्ता के तीसरे नंबर की ओर लुढ़क रहे हैं, क्योंकि दुनिया के कई शक्तिशाली देश मूक दर्शक बने हुए हैं.

नेहरू के योगदान पर उन्होंने कहा कि नेहरू ने विश्व में शीत युद्ध के समय गुटनिरपेक्षता की नीति विकसित करके बहुत साहस और दूरदर्शिता दिखाई.

अरब भूमि पर इजरायल का कब्जा विषय पर उन्होंने कहा कि अरब भूमि पर कब्जे को जारी रखने का इजरायल का कोई औचित्य नहीं है. इजरायल को उस भूमि को छोड़ना होगा.

वह तिब्बत की स्वतंत्रता के मुद्दे पर बहुत मुखर थे, उनका मानना था कि तिब्बत को स्वतंत्र होना चाहिए.

एक बार संसद में कश्मीर में अशांति पर पाकिस्तान की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि 'ब्रिटेन पाकिस्तान का जनक है' यह कथन पश्चिमी देशों की तरफ इशारा करता है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और कुछ अन्य देशों की मदद से पाकिस्तान कश्मीर में अशांति पैदा कर रहा है.

वह कई समझौतों जैसे पंचशील, फरक्का और बांग्लादेश से शरणार्थी घुसपैठ आदि मुद्दों पर बहुत मुखर थे.

अटल लोकप्रिय विदेश मंत्री के रूप में भी उभरे
1977 से 1979 तक वह विदेश मंत्री रहे. 1970 के दशक में विदेश मंत्री के रूप में वह भारत के प्रतिद्वंदी परमाणु संपन्न देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में सफल रहे. समझौता एक्सप्रेस 1976 में शुरू हुई जो एक रेल सेवा थी. अटल बिहारी वाजपेयी आधी सदी से अधिक समय तक राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे हैं.

1994 में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार जीता. उनके कार्यकाल में ही 1999 में कारगिल युद्ध हुआ जो भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ा गया. वह न केवल भारत में बल्कि सीमा पार भी लोकप्रिय थे. उनके भाषण सुनने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि वाजपेयी साहब आप पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं.

हैदराबाद : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी करीब चार दशक से अधिक समय विपक्ष की बेंच पर बैठने में व्यतीत किया, फिर भी वह भारत के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक माने जाते रहे हैं. विपक्ष में रहने के दौरान उन्होंने कई उत्कृष्ट भाषण दिए हैं प्रस्तुत हैं उनके कुछ अंश -

1990 में इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंधों के विषय में उन्होंने कहा था कि, 'हमने अपने देश में अस्पृश्यता को मिटा दिया है और हमें एक अछूत की तरह इजरायल के साथ व्यवहार नहीं करना चाहिए.'

चीन-तिब्बत विषय पर बोलते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि चीन दावा करता है कि तिब्बत चीन का एक हिस्सा है, ठीक वैसे ही जैसे पुर्तगाल दावा करता है कि गोवा पुर्तगाल का एक हिस्सा है. हम इन दावों को स्वीकार नहीं कर सकते.

चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि हमें बातचीत करनी चाहिए सौदेबाजी नहीं.

वाजपेयी से पूछा गया कि परमाणु बम पर क्या जवाब है तो उन्होंने कहा परमाणु बम परमाणु बम है.

चेकोस्लोवाकिया पर रूसी हमलों के खिलाफ बोलते हुए उन्होंने विश्व शक्ति की विफलता का हवाला देते हुए कहा कि हम सत्ता के तीसरे नंबर की ओर लुढ़क रहे हैं, क्योंकि दुनिया के कई शक्तिशाली देश मूक दर्शक बने हुए हैं.

नेहरू के योगदान पर उन्होंने कहा कि नेहरू ने विश्व में शीत युद्ध के समय गुटनिरपेक्षता की नीति विकसित करके बहुत साहस और दूरदर्शिता दिखाई.

अरब भूमि पर इजरायल का कब्जा विषय पर उन्होंने कहा कि अरब भूमि पर कब्जे को जारी रखने का इजरायल का कोई औचित्य नहीं है. इजरायल को उस भूमि को छोड़ना होगा.

वह तिब्बत की स्वतंत्रता के मुद्दे पर बहुत मुखर थे, उनका मानना था कि तिब्बत को स्वतंत्र होना चाहिए.

एक बार संसद में कश्मीर में अशांति पर पाकिस्तान की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि 'ब्रिटेन पाकिस्तान का जनक है' यह कथन पश्चिमी देशों की तरफ इशारा करता है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और कुछ अन्य देशों की मदद से पाकिस्तान कश्मीर में अशांति पैदा कर रहा है.

वह कई समझौतों जैसे पंचशील, फरक्का और बांग्लादेश से शरणार्थी घुसपैठ आदि मुद्दों पर बहुत मुखर थे.

अटल लोकप्रिय विदेश मंत्री के रूप में भी उभरे
1977 से 1979 तक वह विदेश मंत्री रहे. 1970 के दशक में विदेश मंत्री के रूप में वह भारत के प्रतिद्वंदी परमाणु संपन्न देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में सफल रहे. समझौता एक्सप्रेस 1976 में शुरू हुई जो एक रेल सेवा थी. अटल बिहारी वाजपेयी आधी सदी से अधिक समय तक राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे हैं.

1994 में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार जीता. उनके कार्यकाल में ही 1999 में कारगिल युद्ध हुआ जो भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ा गया. वह न केवल भारत में बल्कि सीमा पार भी लोकप्रिय थे. उनके भाषण सुनने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि वाजपेयी साहब आप पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं.

Last Updated : Aug 16, 2020, 9:00 AM IST
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