नई दिल्ली : नया नक्शा जारी करने के बाद नेपाल ने सीमा विवाद सुलझाने की खातिर विदेश सचिव स्तर पर बातचीत की इच्छा जताई है. इस क्रम में नेपाल ने एक बयान में नई दिल्ली से कहा है कि वह विदेश सचिवों के बीच वर्चुअल मीटिंग को भी तैयार है. एक डिप्लोमेटिक नोट में नेपाल सरकार ने कहा है कि विदेश सचिव आमने-सामने या वर्चुअल मीटिंग में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के मसले पर बात कर सकते हैं.
हालांकि इस अनुरोध पर भारत मुश्किल से ही राजी होगा क्योंकि नेपाल नए नक्शे को लेकर दूसरा संवैधानिक संशोधन विधेयक अगले सप्ताह अपना यहां पेश करने वाला है. इससे भारत के अधीनस्थ क्षेत्र को नेपाल अपने हिस्सा में कानूनी मान्यता दे देगा.
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दरअसल लिपुलेख विवाद के बाद दोनों देशों की कूटनीति पर गहरा असर पड़ रहा है. भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा. विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि इस सीमा विवाद का हल बातचीत के माध्यम से निकालने के लिए आगे बढ़ना होगा.
स्पष्ट तौर पर इस मुद्दे को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी नीत केपी ओली की सरकार ने काफी हड़बड़ी दिखाई है. नया नक्शा जारी करने के साथ ओली सरकार ने इसे लेकर संवैधानिक संशोधन भी ला दिया, लेकिन इस संशोधन को पास कराने के लिए मधेसी समेत अन्य पार्टियों का समर्थन सरकार को चाहिए.
आपको बता दें कि यह सारा विवाद आठ मई को भारत की तरफ से कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए सड़क उद्घाटन के बाद प्रारंभ हुआ. कैलास मानसरोवर के लिए सड़क लिपुलेख से होकर तैयार हुई है.
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इसके बाद नेपाल सरकार ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने भू-भाग मे दिखाते हुए नया नक्शा जारी किया था. इस कदम का भारत ने घोर विरोध करते हुए बोला था कि यह ऐतिहासिक और तथ्यात्मक रूप से गलत है.
उल्लेखनीय है कि भारत और नेपाल 1800 किलोमीटर की खुला सीमा साझा करते हैं.