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अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी नकदी से भरे हेलीकॉप्टर में काबुल से भागे : मीडिया रिपोर्ट

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पैसों से भरे हेलीकॉप्टर में सवार होकर युद्धग्रस्त देश से भागे हैं. मीडिया रिपोर्ट में यह सनसनीखेज बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक भागने के कारण गनी को कुछ नकदी छोड़नी पड़ी क्योंकि इसे हेलिकॉप्टर में नहीं डाला जा सका.

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Published : Aug 16, 2021, 7:39 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 7:51 PM IST

मॉस्को/काबुल : अफगानिस्तान तालिबान संकट गहराता जा रहा है. राष्ट्रपति अशरफ गनी के रवैयै पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी बीच सोमवार को रूसी आधिकारिक मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पैसों से भरे हेलीकॉप्टर में सवार होकर युद्धग्रस्त देश से भागे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान विद्रोहियों ने रविवार को काबुल में अमेरिका समर्थित गनी सरकार के अचानक और अभूतपूर्व पतन के बाद, राष्ट्रपति को साथी नागरिकों और विदेशियों के साथ देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया.

काबुल में रूसी दूतावास का हवाला देते हुए रूसी आधिकारिक समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति पैसे से भरे हेलीकॉप्टर में सवार होकर अफगानिस्तान भाग गए. एक मिशन कर्मचारी ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि शासन के पतन के बाद उन्हें इस बात में विशेषता दिखी कैसे गनी देश छोड़कर भाग गए. चार कारें पैसे से भरी हुई थीं और उन्होंने हेलीकॉप्टर में नकदी का एक और बैग भरने की कोशिश की. सारी नकदी ले जाने में वे कामयाब नहीं हुए क्योंकि हेलीकॉप्टर में जगह नहीं बची थी.

हालांकि TASS ने मिशन कर्मचारी का नाम नहीं लिया है. रूसी राजनयिक मिशन के प्रवक्ता निकिता इशेंको के हवाले से रूसी तार सेवा स्पुतनिक ने बताया कि गनी को काबुल से भागते समय नकदी से भरी कारों के साथ ले जाया गया था. इशेंको ने कहा कि उन्होंने पैसे का एक हिस्सा हेलीकॉप्टर में डालने की कोशिश की लेकिन सब कुछ फिट नहीं हुआ और कुछ पैसे रनवे पर छोड़ दिए गए.

अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में गनी ने रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्हें सशस्त्र तालिबान के बीच एक कठिन विकल्प का सामना करना पड़ा, जो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करना चाहते थे या प्रिय देश को छोड़कर जिसे मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया था.

अगर अभी भी अनगिनत देशवासी शहीद होते और वे काबुल शहर के विनाश का सामना करते तो परिणाम इस साठ लाख शहर में एक बड़ी मानव आपदा होती. तालिबान ने मुझे हटाने के लिए इसे बनाया है और वे यहां सभी पर हमला करने के लिए हैं. काबुल के लोगों का खून बहने से बचने के लिए मैंने सोचा कि बाहर निकलना सबसे अच्छा है.

गनी ने कहा कि तालिबान ने तलवार और बंदूकों का फैसला जीता है और अब वे देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. क्या उन्होंने दिलों की वैधता नहीं जीती? इतिहास में कभी भी सूखी शक्ति ने किसी को वैधता नहीं दी और जीती. एक अकादमिक और अर्थशास्त्री गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति थे. वह पहली बार 20 सितंबर 2014 को चुने गए थे और 28 सितंबर 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में फिर से चुने गए थे.

तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया लेकिन 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमलों के बाद आतंकवादी समूह का क्रूर शासन समाप्त हो गया क्योंकि उन्हें 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना द्वारा सत्ता से हटा दिया गया था.

यह भी पढ़ें-अफगानिस्तान : काबुल एयरपोर्ट पर हालात बेकाबू, भारत का विशेष विमान पहुंचा काबुल

मॉस्को/काबुल : अफगानिस्तान तालिबान संकट गहराता जा रहा है. राष्ट्रपति अशरफ गनी के रवैयै पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी बीच सोमवार को रूसी आधिकारिक मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पैसों से भरे हेलीकॉप्टर में सवार होकर युद्धग्रस्त देश से भागे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान विद्रोहियों ने रविवार को काबुल में अमेरिका समर्थित गनी सरकार के अचानक और अभूतपूर्व पतन के बाद, राष्ट्रपति को साथी नागरिकों और विदेशियों के साथ देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया.

काबुल में रूसी दूतावास का हवाला देते हुए रूसी आधिकारिक समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति पैसे से भरे हेलीकॉप्टर में सवार होकर अफगानिस्तान भाग गए. एक मिशन कर्मचारी ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि शासन के पतन के बाद उन्हें इस बात में विशेषता दिखी कैसे गनी देश छोड़कर भाग गए. चार कारें पैसे से भरी हुई थीं और उन्होंने हेलीकॉप्टर में नकदी का एक और बैग भरने की कोशिश की. सारी नकदी ले जाने में वे कामयाब नहीं हुए क्योंकि हेलीकॉप्टर में जगह नहीं बची थी.

हालांकि TASS ने मिशन कर्मचारी का नाम नहीं लिया है. रूसी राजनयिक मिशन के प्रवक्ता निकिता इशेंको के हवाले से रूसी तार सेवा स्पुतनिक ने बताया कि गनी को काबुल से भागते समय नकदी से भरी कारों के साथ ले जाया गया था. इशेंको ने कहा कि उन्होंने पैसे का एक हिस्सा हेलीकॉप्टर में डालने की कोशिश की लेकिन सब कुछ फिट नहीं हुआ और कुछ पैसे रनवे पर छोड़ दिए गए.

अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में गनी ने रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्हें सशस्त्र तालिबान के बीच एक कठिन विकल्प का सामना करना पड़ा, जो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करना चाहते थे या प्रिय देश को छोड़कर जिसे मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया था.

अगर अभी भी अनगिनत देशवासी शहीद होते और वे काबुल शहर के विनाश का सामना करते तो परिणाम इस साठ लाख शहर में एक बड़ी मानव आपदा होती. तालिबान ने मुझे हटाने के लिए इसे बनाया है और वे यहां सभी पर हमला करने के लिए हैं. काबुल के लोगों का खून बहने से बचने के लिए मैंने सोचा कि बाहर निकलना सबसे अच्छा है.

गनी ने कहा कि तालिबान ने तलवार और बंदूकों का फैसला जीता है और अब वे देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. क्या उन्होंने दिलों की वैधता नहीं जीती? इतिहास में कभी भी सूखी शक्ति ने किसी को वैधता नहीं दी और जीती. एक अकादमिक और अर्थशास्त्री गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति थे. वह पहली बार 20 सितंबर 2014 को चुने गए थे और 28 सितंबर 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में फिर से चुने गए थे.

तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया लेकिन 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमलों के बाद आतंकवादी समूह का क्रूर शासन समाप्त हो गया क्योंकि उन्हें 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना द्वारा सत्ता से हटा दिया गया था.

यह भी पढ़ें-अफगानिस्तान : काबुल एयरपोर्ट पर हालात बेकाबू, भारत का विशेष विमान पहुंचा काबुल

Last Updated : Aug 16, 2021, 7:51 PM IST
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