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यूपी की इस जेल के कैदी चलाते हैं आदर्श बैंड, शादियों में भी बुकिंग

आपने बहुत शादी समारोह अटेंड किए होंगे, बड़े-बड़े लोगों की बारात में शामिल हुए होंगे. उसमें बैंड-बाजे भी देखें होंगे, लेकिन हर बैंड-बाजा याद रहे, शायद यह मुमकिन नहीं. हम आपको यूपी की राजधानी लखनऊ के आदर्श कारागार बैंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें खूंखार कैदी शामिल हैं…पढ़िए पूरी रिपोर्ट-

adarsh karagar band
खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड
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Published : Dec 14, 2020, 12:14 AM IST

लखनऊ: "कैदी" शब्द सुनते ही लोगों के मन में डर और हीनभावना का ख्याल आता है. हालांकि, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मॉडल जेल के कुछ कैदियों ने अपने प्रति लोगों का नजरिया बदलने का प्रयास किया है. इस जेल के कैदियों ने अपनी ईमानदारी और प्रतिभा के बल पर जेल और जेल के बाहर एक अलग पहचान बनाई है. इन्हें आदर्श कारागार बैंड के रूप में जाना जाता है. लोगों का कहना है कि जब सरकार उन्हें एक मौका दे रही है, तो हम क्यों ना दें.

बता दें, राजधानी लखनऊ की आदर्श कारागार में वर्तमान में 441 कैदी हैं. इस जेल में कैदियों का यह आदर्श बैंड पिछले 10 सालों से संचालित हो रहा है. इस बैंड में 12 कैदी और एक मास्टर शामिल हैं. यह बाहर के बैंड से बिल्कुल अलग है, क्योंकि इस बैंड को कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि कैदी संचालित करते हैं, वो भी आजीवन कारावास के सजायाफ्ता कैदी. इस जेल में इन कैदियों को इतनी आजादी है कि वो दूसरों की शादियों में भी जाकर बैंड बजा सकते हैं.

खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड

2500 रुपये प्रति घंटे की दर से होती है बुकिंग

आदर्श कारागार बैंड मास्टर सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि वह पिछले 3 सालों से इस बैंड का संचालन कर रहे हैं. 2500 रुपये घंटे की दर से इस बैंड की बुकिंग होती है. बुकिंग के बाद यह पैसा बंदियों में ही बांटा जाता है. इस बैंड के माध्यम से कैदियों को समाज से जुड़ने का मौका भी मिलता है. यह आजादी और कहीं भी नहीं है. इस बार कोरोना वायरस के चलते गर्मियों की शादियों में एक भी बुकिंग नहीं मिली थी. वहीं इस बार अब तक छह बुकिंग मिली हैं. कैदियों के इस बैंड को कोई भी व्यक्ति बुक कर सकता है.

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खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड

सिर्फ 2 घंटे के लिए होती है बुकिंग

बैंड मास्टर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि बैंड सिर्फ 2 घंटे के लिए बुक होता है. बुकिंग के दिन 12 कैदी बस में सवार होकर शादियों में जाते हैं. सुरक्षा के नाम पर केवल 2 पुलिसकर्मी होते हैं, लेकिन सभी कैदी कार्यक्रम समाप्त होते ही ईमानदारी से जेल लौट आते हैं. खास बात ये है कि कैदियों को इतनी सुविधाएं मिलती हैं कि वह भागने के बारे में सोच नहीं सकता.

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खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड

जानें, बैंड को बुक करने के नियम

बैंड मास्टर सुरेंद्र के अनुसार, इसकी बुकिंग के लिए आदर्श कारागार आना पड़ता है. 2 घंटे के लिए कोई भी व्यक्ति बैंड की बुकिंग करा सकता है. 2500 रुपये घंटे इस बैंड का रेट निर्धारित है. वहीं 30 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से बस का किराया भी बुकिंग कराने वाले को ही देना पड़ता है.

क्या कहते हैं बैंड में शामिल कैदी

इस बैंड में पिछले 10 सालों से जुड़े सजायाफ्ता कैदी पप्पू ने बताया कि उन्हें बैंड के माध्यम से समाज से जुड़ने का मौका मिलता है. इससे उन्हें काफी खुशी मिलती है. क्योंकि बंद जीवन से खुले जीवन में जाने का अनुभव अलग होता है. वह पिछले 10 सालों से बैंड में पिस्टन बजा रहे हैं. हमें बहुत अच्छा लगता है, जब हम समाज से जुड़ते हैं. दूसरी बात हमें यह एक नया मौका मिला है, जिसके लिए हम सरकार का भी शुक्रिया अदा करते हैं.

लोगों से मिलता है सहयोग

कैदियों ने बताया कि जब भी वे किसी शादी पार्टियों में जाते हैं तो उन्हें जरा सा भी यह आभास नहीं होता कि वे कैदी हैं. लोगों का नजरिया उनके प्रति एक आम व्यक्ति की तरह होता है, जिससे उन्हें बहुत खुशी मिलती है.

इन कैदियों के प्रति क्या है लोगों का नजरिया

इन कैदियों के बारे में जानकारी के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज स्थित एक मैरिज हॉल में शादी की पार्टी में पहुंची, जहां आदर्श कारागार बैंड बारात के लिए बुक किया गया था. इस दौरान दूल्हे और दूल्हे के घरवालों ने बताया कि यह बैंड उनके क्षेत्र में दूर-दूर तक चर्चित है. दूल्हे के चाचा ने बताया कि यह बहुत ही संस्कारी बैंड है, जिस वजह से उन्होंने अपने भतीजे की शादी में इस बैंड को बुक करवाया. उन्होंने बताया कि भले ही किसी अपराध में ये कैदी सजा काट रहे हों, लेकिन उन्हें भी नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका जरूर मिलना चाहिए. वहीं, दूल्हे ने बताया कि जब सरकार उन्हें नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका दे रही है तो आखिर हम क्यों ना दें, वो भी इंसान हैं.

2009 में हुई थी आदर्श कारागार की स्थापना

2009 में मायावती के शासनकाल में इस आदर्श कारागार की नींव रखी गई थी. यहां सजायाफ्ता 20 से 45 साल की उम्र के बंदियों को रखा जाता है. यहां पर वर्तमान में 441 कैदी हैं. इस जेल में कैदियों को औद्योगिक गतिविधियों में श्रम करके पैसा कमाने का भी मौका दिया जाता है.

पढ़ें: कर्नाटक के युवक ने बनाया सौर ऊर्जा से चलने वाला पंप

क्या कहते हैं जेल के डीआईजी

लखनऊ परिक्षेत्र के जेल डीआईजी संजीव त्रिपाठी बताते हैं कि आदर्श कारागार का यह बैंड बाहर भी शादियों में जाता है. फिलहाल प्रदेश की किसी और जेल में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है. 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन भी यह बैंड कार्यक्रम में जाता है.

लखनऊ: "कैदी" शब्द सुनते ही लोगों के मन में डर और हीनभावना का ख्याल आता है. हालांकि, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मॉडल जेल के कुछ कैदियों ने अपने प्रति लोगों का नजरिया बदलने का प्रयास किया है. इस जेल के कैदियों ने अपनी ईमानदारी और प्रतिभा के बल पर जेल और जेल के बाहर एक अलग पहचान बनाई है. इन्हें आदर्श कारागार बैंड के रूप में जाना जाता है. लोगों का कहना है कि जब सरकार उन्हें एक मौका दे रही है, तो हम क्यों ना दें.

बता दें, राजधानी लखनऊ की आदर्श कारागार में वर्तमान में 441 कैदी हैं. इस जेल में कैदियों का यह आदर्श बैंड पिछले 10 सालों से संचालित हो रहा है. इस बैंड में 12 कैदी और एक मास्टर शामिल हैं. यह बाहर के बैंड से बिल्कुल अलग है, क्योंकि इस बैंड को कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि कैदी संचालित करते हैं, वो भी आजीवन कारावास के सजायाफ्ता कैदी. इस जेल में इन कैदियों को इतनी आजादी है कि वो दूसरों की शादियों में भी जाकर बैंड बजा सकते हैं.

खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड

2500 रुपये प्रति घंटे की दर से होती है बुकिंग

आदर्श कारागार बैंड मास्टर सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि वह पिछले 3 सालों से इस बैंड का संचालन कर रहे हैं. 2500 रुपये घंटे की दर से इस बैंड की बुकिंग होती है. बुकिंग के बाद यह पैसा बंदियों में ही बांटा जाता है. इस बैंड के माध्यम से कैदियों को समाज से जुड़ने का मौका भी मिलता है. यह आजादी और कहीं भी नहीं है. इस बार कोरोना वायरस के चलते गर्मियों की शादियों में एक भी बुकिंग नहीं मिली थी. वहीं इस बार अब तक छह बुकिंग मिली हैं. कैदियों के इस बैंड को कोई भी व्यक्ति बुक कर सकता है.

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खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड

सिर्फ 2 घंटे के लिए होती है बुकिंग

बैंड मास्टर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि बैंड सिर्फ 2 घंटे के लिए बुक होता है. बुकिंग के दिन 12 कैदी बस में सवार होकर शादियों में जाते हैं. सुरक्षा के नाम पर केवल 2 पुलिसकर्मी होते हैं, लेकिन सभी कैदी कार्यक्रम समाप्त होते ही ईमानदारी से जेल लौट आते हैं. खास बात ये है कि कैदियों को इतनी सुविधाएं मिलती हैं कि वह भागने के बारे में सोच नहीं सकता.

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खूंखार कैदी चलाते हैं अनोखा बैंड

जानें, बैंड को बुक करने के नियम

बैंड मास्टर सुरेंद्र के अनुसार, इसकी बुकिंग के लिए आदर्श कारागार आना पड़ता है. 2 घंटे के लिए कोई भी व्यक्ति बैंड की बुकिंग करा सकता है. 2500 रुपये घंटे इस बैंड का रेट निर्धारित है. वहीं 30 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से बस का किराया भी बुकिंग कराने वाले को ही देना पड़ता है.

क्या कहते हैं बैंड में शामिल कैदी

इस बैंड में पिछले 10 सालों से जुड़े सजायाफ्ता कैदी पप्पू ने बताया कि उन्हें बैंड के माध्यम से समाज से जुड़ने का मौका मिलता है. इससे उन्हें काफी खुशी मिलती है. क्योंकि बंद जीवन से खुले जीवन में जाने का अनुभव अलग होता है. वह पिछले 10 सालों से बैंड में पिस्टन बजा रहे हैं. हमें बहुत अच्छा लगता है, जब हम समाज से जुड़ते हैं. दूसरी बात हमें यह एक नया मौका मिला है, जिसके लिए हम सरकार का भी शुक्रिया अदा करते हैं.

लोगों से मिलता है सहयोग

कैदियों ने बताया कि जब भी वे किसी शादी पार्टियों में जाते हैं तो उन्हें जरा सा भी यह आभास नहीं होता कि वे कैदी हैं. लोगों का नजरिया उनके प्रति एक आम व्यक्ति की तरह होता है, जिससे उन्हें बहुत खुशी मिलती है.

इन कैदियों के प्रति क्या है लोगों का नजरिया

इन कैदियों के बारे में जानकारी के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज स्थित एक मैरिज हॉल में शादी की पार्टी में पहुंची, जहां आदर्श कारागार बैंड बारात के लिए बुक किया गया था. इस दौरान दूल्हे और दूल्हे के घरवालों ने बताया कि यह बैंड उनके क्षेत्र में दूर-दूर तक चर्चित है. दूल्हे के चाचा ने बताया कि यह बहुत ही संस्कारी बैंड है, जिस वजह से उन्होंने अपने भतीजे की शादी में इस बैंड को बुक करवाया. उन्होंने बताया कि भले ही किसी अपराध में ये कैदी सजा काट रहे हों, लेकिन उन्हें भी नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका जरूर मिलना चाहिए. वहीं, दूल्हे ने बताया कि जब सरकार उन्हें नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका दे रही है तो आखिर हम क्यों ना दें, वो भी इंसान हैं.

2009 में हुई थी आदर्श कारागार की स्थापना

2009 में मायावती के शासनकाल में इस आदर्श कारागार की नींव रखी गई थी. यहां सजायाफ्ता 20 से 45 साल की उम्र के बंदियों को रखा जाता है. यहां पर वर्तमान में 441 कैदी हैं. इस जेल में कैदियों को औद्योगिक गतिविधियों में श्रम करके पैसा कमाने का भी मौका दिया जाता है.

पढ़ें: कर्नाटक के युवक ने बनाया सौर ऊर्जा से चलने वाला पंप

क्या कहते हैं जेल के डीआईजी

लखनऊ परिक्षेत्र के जेल डीआईजी संजीव त्रिपाठी बताते हैं कि आदर्श कारागार का यह बैंड बाहर भी शादियों में जाता है. फिलहाल प्रदेश की किसी और जेल में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है. 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन भी यह बैंड कार्यक्रम में जाता है.

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