कोरोना के दौर में कबाड़ का कारोबार भी हुआ मंदा, सरकार से लगाई सहायता की गुहार
देश की आर्थिकी पर कोरोना ऐसा ग्रहण बनकर लगा है, जो कब खत्म होगा कोई नहीं जानता. हर कारोबार पर कोविड की ऐसी मार पड़ी है, जिससे उभर पाना किसी के लिए भी आसान नहीं है. इस महामारी की वजह से कबाड़ का कारोबार करने वालों लोग भी बूरी तरफ प्रभावित हुए हैं. अनलॉक के शुरू होते ही कबाड़ का कारोबार करने वाले लोगों में एक आस जगी थी, कि शायद अब उनका कारोबार पटरी पर लौट आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, लॉकडाउन से पहले रोजना जहां एक हजार रुपये की कमाई होती थी, वहीं, अब इनका कारोबार 200 से 300 रुपये की कमाई तक की सिमट गया है.