कोरोना का साइड इफेक्ट: संकट में प्राइवेट स्कूल, हर महीने हो रहा लाखों का नुकसान
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आज के मॉर्डन दौर में हरकोई अपने बच्चों की प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहता है. फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई में लाखों का खर्च आता है, प्राइवेट स्कूलों के खर्चे उठा पाना सभी के लिए संभव नहीं होता है. कोरोना संकट काल के दौरान सरकारी स्कूलों की तुलना में छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने वाले प्राइवेट स्कूल संचालकों की स्थिति आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया वाली हो गई है.