POSITIVE BHARAT PODCAST: कॉमेडियन के अलावा गजब के क्रांतिकारी थे उत्पल दत्त, इस वजह से जाना पड़ा था जेल
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फिल्मों में कहानियों के अलावा जो दिल में जगह बना जाते हैं वो होते हैं कुछ खास किरदार ऐसे फिल्मी किरदार जो बरसों बरस बीत जाने पर भी हमारी जिन्दगी का एक हिस्सा रहते हैं, हमें हंसाते हैं, रुलाते हैं, हमारे अपने बन जाते हैं. आज बात उत्पल दत्त की. आज की (INDIAN ACTOR UTPAL DUTT) पीढ़ी शायद इस नाम से वाकिफ न हो लेकिन जब भी भारतीय सिनेमा के इतिहास के पन्ने पलटे जाएंगे तो ये नाम जरूर मिलेगा. आज कॉमेडी के लिए फूहड़ और डबल मीनिंग डायलॉग का सहारा लिया जाता है, लेकिन उत्पल दत्त की कॉमेडी उनके हाव-भाव में थी. 29 मार्च 1929 को आज के बांग्लादेश में बारिसाल में जन्मे उत्पल दत्त शुरुआती पढ़ाई के बाद ही थियेटर से जुड़ गए थे. शिलॉन्ग से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद कोलकाता पहुंचे थे उन्हें जैसे उनका पहला प्यार मिल गया था. अंग्रेजी थियेटर से जुड़े की उसी के हो गए. शेक्सपीयर से ऐसा लगाव था कि उनके नाटकों में रच-बस जाते थे. साथ ही बंगाली फिल्मों में भी काम करना शुरू किया. नाटक और बंगाली फिल्मों के बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों का भी रुख किया और एक अलग मुकाम हासिल किया. गुड्डी, गोल माल, नरम गरम, शौकीन, इंकलाब, रंग बिरंगी, ये कुछ ऐसी फिल्में (utpal dutt movies) हैं जिसने उन्हें घर-घर तक पहुंचा दिया. वो लीड रोल में ना रहकर भी स्क्रीन पर सबसे अलग उभरकर आते थे. लेकिन उनकी फिल्में समाज का आईना होने के साथ सरकार को भी आइना दिखाने का काम करती है. कहते हैं उनकी फिल्में दर्शकों को तो खूब पसंद आती लेकिन सरकारों को नाराज कर देती थी. अपने एक नाटक की बदौलत उन्हें जेल तक जाना पड़ा था. आज उत्पल दत्त हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी कहानी सीख देती है कि अपने हुनर की बदौलत आप सिनेमा के पर्दे पर बड़े-बड़े सितारों के बीच अपनी चमक भी बिखेर सकते हैं और बड़ी से बड़ी ताकत को भी झुका सकते हैं.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:21 PM IST