अब हिमाचल के किसान हवा और पानी से ही कर सकेंगे खेती, मिट्टी और जमीन की नहीं पड़ेगी जरूरत!

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सोलन: लगातार बढ़ती जनसंख्या और सिकुड़ती खेती के बीच वैज्ञानिक समुदाय ने भविष्य में खेती के नए मॉडल पर काम करना तेज गति से शुरू कर दिया है. कम जगह पर ज्यादा पैसा कमाने वाली तरकीब निकाली जा रही है. इसके साथ ही मिट्टी की लगातार गिरती गुणवत्ता और उससे जनित रोगों को देखते हुए पिछले कुछ सालों में भारत में खेती की नई-नई तकनीकें सामने आई हैं. आजकल छत और बालकनी या किसी (Soilless Farming or Micro Irrigation) भी सीमित जगह का इस्तेमाल कर फल और सब्जियों को उगाने का चलन बढ़ा है. ऐसे में हाइड्रोपोनिक फार्मिंग (how to do hydroponic farming) इसके लिए उपयुक्त तकनीक है. इन दिनों इसी को लेकर डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में (Grow Poison Free Vegetables) सॉइललेस यानी मिट्टी रहित खेती पर कार्य किया जा रहा है. इसको लेकर वैज्ञानिकों ( training in Nauni University of Solan) द्वारा हाइड्रोपोनिक और एरोपोनिक खेती के शोध पर कार्य चल रहा है. वैज्ञानिकों को इसमें काफी हद तक सफलता भी मिल चुकी है, लेकिन लगातार वैज्ञानिकों द्वारा इसमें शोध किया जा रहा है. फल और सब्जियों को उगाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा. केवल हवा और पानी की मदद से ही खेती को एक नया रूप देने पर काम किया जा रहा है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:18 PM IST

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