ऊना: प्रदेश में इस बार सरकारी एजेंसियों द्वारा गेहूं की रिकॉर्ड तोड़ खरीद की गई है. वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन में सरकारी एजेंसियों के माध्यम से राज्य में अब तक एक लाख क्विंटल से ज्यादा गेहूं की खरीद की जा चुकी है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रूपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की गई है.
गेहूं खरीद की अंतिम तिथि 10 जून तक बढ़ी
वहीं, एफसीआई द्वारा जहां गेहूं खरीद की अंतिम तिथि बढ़ाकर 10 जून की गई है. वहीं, गेहूं खरीद का लक्ष्य 6 हजार मीट्रिक टन से बढ़ाकर साढ़े 12 हजार मीट्रिक टन भी किया गया था. कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इससे पहले आढ़ती किसानों से गेहूं की खरीद करते थे. इससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पता था, लेकिन केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी एजेंसियों के माध्यम से गेहूं की खरीद करने पर किसानों को बहुत लाभ हुआ.
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि चालू रबी मार्केटिंग सीजन में सरकारी एजेंसियों के माध्यम से राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद एक रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गई है. उन्होंने बताया कि मई माह के अंत तक राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रूपये प्रति क्विंटल की दर से अब तक एक लाख 657 क्विंटल गेहूं की खरीद की जा चुकी है.
खरीद केंद्र स्थापित कर किसानों से खरीदा जा रहा गेहूं
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए कोरोना के बीच राज्य में खरीद केंद्र स्थापित कर किसानों से गेहूं की खरीद की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार द्वारा जहां खरीद की तिथि बढ़ाकर 10 जून की गई है. वहीं हिमाचल प्रदेश में गेहूं की खरीद का लक्ष्य भी बढ़ा दिया गया है.
पहले एफसीआई ने 6 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हिमाचल प्रदेश के किसानों से करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर साढ़े 12 हजार मीट्रिक टन कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार किसानों के हित सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है. कोरोना संकट के बीच किसानों को अपनी गेहूं बेचने की कोई समस्या न हो, इसीलिए एफसीआई के सहयोग से गेहूं खरीद केंद्र खोले गए हैं. जब तक किसानों से एक-एक दाना नहीं खरीदा जाता, तब तक यह केंद्र जारी रहेंगे.
वहीं, कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि आने वाले समय में सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदेश में धान की खरीद भी की जाएगी. किसानों की मांग होने पर खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है.
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