ऊना: पूर्व जयराम सरकार में कृषि मंत्री रहे वीरेंद्र कंवर ने वर्तमान कांग्रेस प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में उनके विधानसभा क्षेत्र कुटलैहड़ में कृषि विभाग के कार्यालय को डिनोटिफाइ करने के निर्णय का विरोध किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है. शनिवार की जिला मुख्यालय के सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए वीरेंद्र कंवर ने कहा कि मौजूदा सरकार ने पूर्व सरकार के फैसलों और खोले गए कार्यालयों को रिव्यू करने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा कि रिव्यू करना सही है, लेकिन रिव्यू करने से पहले ही कार्यालय को बंद कर देना अनुचित है. उन्होंने कहा कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र के हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे इस सरकार के हर गलत फैसले का हर मंच से विरोध किया जाएगा.
भाजपा के पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर ने नवगठित कांग्रेस सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा के कार्यकाल में कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र की जनता के लिए जो दफ्तर खोले गए थे अब उन्हें बंद करने का काम कांग्रेस द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने उपमंडल भू-संरक्षण अधिकारी व विषयवाद विशेषज्ञ कृषि के दफ्तर, कुटलैहड़ की जनता को समर्पित किए थे जिनको राजनीतिक द्वेष की भावना से कांग्रेस सरकार द्वारा बंद किया जा रहा है.
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कि कुटलैहड़ के पिछड़ेपन को दूर करने का जो प्रयास भाजपा सरकार ने किया था, कांग्रेस द्वारा उसे खत्म करने की शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पूर्व में जब वीरभद्र सरकार द्वारा बिना किसी फंड के जो संस्थान खोले गए थे भाजपा की सरकार में हमने उन संस्थानों को बिना किसी भेदभाव के क्षेत्र की समृद्धि के लिए पूरा किया था जबकि अब कांग्रेस सरकार बदले व द्वेष की भावना से काम करते हुए जनता के हितों से खिलवाड़ कर रही है.
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कांग्रेस हमेशा बदले की राजनीति करती आई है, लेकिन जनता के हितों के साथ किया जा रहा ऐसा खिलवाड़ निंदनीय है जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में कुटलैहड़ में विकास की नई परिभाषा लिखी गई थी जिसे आगे बढ़ाने की बजाय कांग्रेस पीछे धकेलने पर लगी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार उपरोक्त दफ्तरों को पुनः यथावत खोलकर कर सुचारू रूप से चलाए और बदले की भावना में ऐसे जनविरोधी निर्णय न लें. उन्होंने कहा कि अगर एक माह के भीतर सरकार द्वारा फैसले को वापिस नहीं लिया तो आंदोलन खड़ा किया जाएगा.
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