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यहां पांडवों के पुरोहित ने शिव अराधना कर मांगा था वर, सावन के अंतिम सोमवार को मुरादें लेकर पहुंचे हजारों भक्त - dhyunsar

हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की पवित्र धरती है. यहां कई प्रसिद्ध मंदिर स्थापित हैं, जिनमें से एक मंदिर है ऊना जिला के तलमेहड़ा में स्थित धौम्येश्वर शिव मंदिर. सावन माह के अंतिम सोमवार को धौम्येश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का खूब जमघट लगा. श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा अर्चना की .

डिजाइन फोटो.
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Published : Aug 12, 2019, 6:29 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 11:56 PM IST

ऊना: जिला के बंगाणा उपमंडल के तलमेहड़ा गांव में शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित धौम्येश्वर मंदिर स्थापित है. ये मंदिर को सदाशिव मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण 1950 के दशक में हुआ था.

सदाशिव मंदिर की विशेष धार्मिक विशेषता है कि पूरा वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु नमन करने और भगवान शंकर की आराधना करने के लिए पहुंचते हैं. जिला के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक तलमेहड़ा की पहाड़ी श्रृंखलाओं में से सबसे ऊंचे पहाड़ ध्यूंसर जंगल पर स्थित सदाशिव मंदिर से पूरे जिला का आलौकिक नजारा देखने को मिलता है.

स्पेशल रिपोर्ट

मान्यता है कि प्राचीनकाल में पांडवों के पुरोहित श्री धौम्य ऋषि ने तीर्थ यात्रा करते हुए इसी ध्यूंसर नामक पर्वत पर शिव की तपस्या की थी. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर ऋषि को दर्शन दिए और वर मांगने को कहा था. माना जाता है कि ऋषि ने इस पूरे क्षेत्र में आकर धौम्येश्वर शिव की पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी करने का वर मांगा था.

मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव तथास्तु कहकर अंर्तध्यान हो गए थे. इसके बाद से जो भी श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर सच्चे मन से मन्नत मांगता है, तो उस भक्त की मुराद पूरी होती है. मंदिर को धौम्येश्वर शिवलिंग, ध्यूंसर महादेव और सदाशिव के नाम से पुकारा जाता है.

मंदिर ट्रस्ट के प्रधान प्रवीण शर्मा के मुताबिक 1937 में मद्रास के एक सैशन जज स्वामी ओंकारा नंद गिरी को स्वप्न में भगवान शिव ने कहा कि पांडवों के अज्ञातवास के समय उनके पुरोहित धौम्य ऋर्षि द्वारा स्वयंभू शिवलिंग अर्चना की गई थी. शिवलिंग की खोज कर उसकी पूजा-अर्चना करें. स्वामी ओंकारा नंद गिरी ने स्वप्न के आधार पर शिवलिंग को काफी जगह खोजा और घूमते-घूमते 1947 में स्वामी ओंकारानंद इस स्थान पर पहुंचे. सोहारी स्थित सनातन उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य शिव प्रसाद शर्मा डबराल के सहयोग से स्वामी ओंकारा नंद गिरी जी शिवलिंग के पास पहुंचे. उन्होंने बताया कि यहां सबसे पहले एक छोटा सा मंदिर बनाया गया था, जिसका विस्तार कर आज एक विशाल मंदिर बना दिया गया है.

यूं तो पूरा वर्ष देशभर के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु धौम्येश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि और सावन माह के अवसर पर मंदिर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का खूब जमघट मंदिर लगता है. श्रद्धालुओं की मानें तो धौम्येश्वर मंदिर में जो भी भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

धौम्येश्वर मंदिर प्रबंधन में जुटी ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ-साथ गरीब और असहाय लोगों की मदद भी की जा रही है. ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए दिव्यांगों व वृद्धों को पेश आने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए लिफ्ट का प्रबंध किया गया है. वहीं ट्रस्ट द्वारा गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा गरीब लड़कियों की शादी और गरीब मरीजों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता का बीड़ा भी उठाया गया है.

ऊना: जिला के बंगाणा उपमंडल के तलमेहड़ा गांव में शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित धौम्येश्वर मंदिर स्थापित है. ये मंदिर को सदाशिव मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण 1950 के दशक में हुआ था.

सदाशिव मंदिर की विशेष धार्मिक विशेषता है कि पूरा वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु नमन करने और भगवान शंकर की आराधना करने के लिए पहुंचते हैं. जिला के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक तलमेहड़ा की पहाड़ी श्रृंखलाओं में से सबसे ऊंचे पहाड़ ध्यूंसर जंगल पर स्थित सदाशिव मंदिर से पूरे जिला का आलौकिक नजारा देखने को मिलता है.

स्पेशल रिपोर्ट

मान्यता है कि प्राचीनकाल में पांडवों के पुरोहित श्री धौम्य ऋषि ने तीर्थ यात्रा करते हुए इसी ध्यूंसर नामक पर्वत पर शिव की तपस्या की थी. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर ऋषि को दर्शन दिए और वर मांगने को कहा था. माना जाता है कि ऋषि ने इस पूरे क्षेत्र में आकर धौम्येश्वर शिव की पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी करने का वर मांगा था.

मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव तथास्तु कहकर अंर्तध्यान हो गए थे. इसके बाद से जो भी श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर सच्चे मन से मन्नत मांगता है, तो उस भक्त की मुराद पूरी होती है. मंदिर को धौम्येश्वर शिवलिंग, ध्यूंसर महादेव और सदाशिव के नाम से पुकारा जाता है.

मंदिर ट्रस्ट के प्रधान प्रवीण शर्मा के मुताबिक 1937 में मद्रास के एक सैशन जज स्वामी ओंकारा नंद गिरी को स्वप्न में भगवान शिव ने कहा कि पांडवों के अज्ञातवास के समय उनके पुरोहित धौम्य ऋर्षि द्वारा स्वयंभू शिवलिंग अर्चना की गई थी. शिवलिंग की खोज कर उसकी पूजा-अर्चना करें. स्वामी ओंकारा नंद गिरी ने स्वप्न के आधार पर शिवलिंग को काफी जगह खोजा और घूमते-घूमते 1947 में स्वामी ओंकारानंद इस स्थान पर पहुंचे. सोहारी स्थित सनातन उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य शिव प्रसाद शर्मा डबराल के सहयोग से स्वामी ओंकारा नंद गिरी जी शिवलिंग के पास पहुंचे. उन्होंने बताया कि यहां सबसे पहले एक छोटा सा मंदिर बनाया गया था, जिसका विस्तार कर आज एक विशाल मंदिर बना दिया गया है.

यूं तो पूरा वर्ष देशभर के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु धौम्येश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि और सावन माह के अवसर पर मंदिर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का खूब जमघट मंदिर लगता है. श्रद्धालुओं की मानें तो धौम्येश्वर मंदिर में जो भी भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

धौम्येश्वर मंदिर प्रबंधन में जुटी ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ-साथ गरीब और असहाय लोगों की मदद भी की जा रही है. ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए दिव्यांगों व वृद्धों को पेश आने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए लिफ्ट का प्रबंध किया गया है. वहीं ट्रस्ट द्वारा गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा गरीब लड़कियों की शादी और गरीब मरीजों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता का बीड़ा भी उठाया गया है.

Intro:स्लग -- धयुन्सर महादेव में पांडवों के पुरोहित धौम्य ऋषि ने किया था तप, धौम्य ऋषि की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने दिए थे दर्शन, सावन माह के अंतिम सोमवार को उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, सच्चे दिल से मन्नत मांगने वाले की होती है हर मुराद पूरी ।
Body:एंकर -- हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की पवित्र धरती है और जहां अनेकों मंदिर स्थापित है। इन्ही में से एक मंदिर है ऊना जिला के तलमेहड़ा में स्थित है धौम्येश्वर शिव मंदिर। पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवो के पुरोहित धौम्य ऋषि ने इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी और भगवान ने धौम्य ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर धौम्य ऋषि द्वारा स्थापित शिव लिंग की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने वालो की सभी मनोकामनाएं पूरी करने का वरदान दिया था। महाशिवरात्रि और सावन के माह के अलावा रोजाना दूर दराज से श्रद्धालु धौम्येश्वर शिव मंदिर में पहुंचते है। सावन माह के अंतिम सोमवार को भी धौम्येश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का खूब जमघट लगा और श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा अर्चना की ।

वी ओ 1 -- ऊना जिला के बंगाणा उपमंडल के तलमेहड़ा गांव में शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित धौम्येश्वर मंदिर स्थापित है जो कि सदाशिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण पचास के दशक में हुआ था। सदाशिव मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है कि पूरा वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु नमन करने और भगवान शंकर की आराधना करने के लिए पहुंचते हैं। जिला के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक तलमेहड़ा की पहाड़ी श्रृंखलाओं में से सबसे ऊंचे पहाड़ ध्यूंसर जंगल पर स्थित सदाशिव मंदिर से पूरे जिला का आलौकिक नजारा देखने को मिलता। मान्यता है कि प्राचीनकाल में पांडवों के पुरोहित श्री धौम्य ऋषि ने तीर्थ यात्रा करते हुए इसी ध्यूंसर नामक पर्वत पर शिव की तपस्या की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दर्शन देते हुए वर मांगने को कहा था। जिस पर ऋषि ने वर मांगा कि इस पूरे क्षेत्र में आकर धौम्येश्वर शिव की पूजा करने वाले की मनोकामनाएं पूरी होगी। मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव तथास्तु कह कर अंर्तध्यान हो गए थे। इसके बाद से जो भी श्रद्धालु मंदिर पहुंच कर सच्चे मन से मन्नत मांगता है, तो उस भक्त की मुराद पूरी होती है। मंदिर को धौम्येश्वर शिवलिंग, ध्यूंसर महादेव और सदाशिव के नाम से पुकारा जाता है। मंदिर ट्रस्ट के प्रधान प्रवीण शर्मा के मुताबिक 1937 में मद्रास के एक सैशन जज स्वामी ओंकारा नंद गिरी को स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन देते हुए कहा कि पांडवों के अज्ञातवास के समय उनके पुरोहित धौम्य ऋर्षि द्वारा स्वयंभू शिवलिंग अर्चना थी। शिवलिंग की खोज कर पूजा अर्चना करें। स्वामी ओंकारा नंद गिरी ने स्वप्र के आधार पर शिवलिंग को काफी जगह खोजा, लेकिन नहीं मिला। घूमते-घूमते सन् 1947 में स्वामी ओंकारानंद जी सोहारी पहुंच गए। सोहारी स्थित सनातन उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य शिव प्रसाद शर्मा डबराल के सहयोग से स्वामी ओंकारा नंद गिरी जी शिवलिंग के पास पहुंचे। उन्होंने कहा कि सबसे पहले आठ बाय आठ फुट का पहला मंदिर बनाया था, जोकि अब एक विशाल रूप धारण कर चूका है।

बाइट -- प्रवीण शर्मा (प्रधान, मंदिर ट्रस्ट)
DHYUNSAR MAHADEV 6 & 7
यूँ तो पूरा वर्ष देशभर के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु धौम्येश्वर मंदिर में भगवान् शिव के दर्शनों के लिए पहुँचते है लेकिन महाशिवरात्रि और सावन माह में श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का खूब जमघट मंदिर में लगता है। श्रद्धालुओं की माने तो धौम्येश्वर मंदिर में जो भी भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

बाइट -- श्रद्धालु
DHYUNSAR MAHADEV 9

बाइट -- श्रद्धालु
DHYUNSAR MAHADEV 10


बाइट -- सुखदेव (चेयरमैन, मंदिर ट्रस्ट) DHYUNSAR MAHADEV 11

धौम्येश्वर मंदिर प्रबंधन में जुटी ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ-साथ गरीब और असहाय लोगों की मदद भी की जा रही है। ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए दिव्यांगों व वृद्धों को पेश आने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए लिफ्ट का प्रबंध किया गया है। वहीँ ट्रस्ट द्वारा गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसमें 100 के करीब गौवंशों को आश्रय दिया गया है। वहीँ गरीब कन्यायों की शादी और गरीब मरीजों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता का बीड़ा मंदिर ट्रस्ट द्वारा उठाया गया है।Conclusion:
Last Updated : Aug 12, 2019, 11:56 PM IST
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