ऊना: बरसात के मौसम में सांप के काटने के मामले बढ़ने की आशंका रहती है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल अस्पतालों व क्षेत्रीय अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध करवा दिया है.
बता दें कि पिछले एक वर्ष में सर्पदंश से 57 लोगों की जान चली गई है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमन शर्मा ने बताया कि सांप के काटने से घाव हो जाता है और कई बार पीड़ित की मृत्यु भी हो जाती है. सांप के काटने के उपचार में जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति को जल्द से जल्द आपातकालीन चिकित्सा सहायता दी जाए. पीड़ित को लक्षण देखने के बाद एंटी स्नेक वेनम दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर सर्पदंश को कोई भी मामला सामने आता है, तो बिना समय गंवाए उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाएं. किसी प्रकार की झाड़-फूंक में समय बर्बाद न करें.
क्या है लक्षण
सीएमओ ने कहा कि आम तौर पर सांप के काटने का तुरंत पता चल जाता है. सांप के काटने के बाद तीव्र जलन, उल्टी, मिचली, शॉक, अकड़न या कंपकंपी, अंगघात, पलकों का गिरना, नजर फटना यानी किसी वस्तु का एक स्थान पर दो दिखना, मांसपेशियों में ऐंठन, काटे गए हिस्से में तेज दर्द, हाथ पैरों में झनझनाहट, चक्कर आना, पसीना आना और दम घुटना आदि लक्षण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि अधिकांश सांप विषहीन होते हैं, लेकिन कुछ सांप विषैले भी होते हैं.
कैसे करें बचाव
डॉ. रमन शर्मा ने कहा कि सावधानी बरतने से सांप के काटने को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि सांप को पकड़ने से हमेशा बचना चाहिए. उन स्थानों से हमेशा दूर रहें जहां सांप के छिपे होने की आशंका होती है, जैसे कि लंबी घास, पत्तियों के ढेर, चट्टान और लकड़ी के गट्ठे इत्यादि. अगर सांप दिखाई दे तो उसे छेड़ें नहीं बल्कि जानें दें. जहां सांप होने की आशंका हो, वहां काम करते हुए लंबे और मजबूत जूते पहनें और बाजूओं-टांगों को ढक कर रखें. गर्म मौसम में रात को बाहर काम करने से बचें क्योंकि इस समय सांप सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं.
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