सोलन: प्रदेश में शुक्रवार को सीटू, इंटक व एटक से जुड़े मजदूरों ने प्रदेशभर में सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के राष्ट्रीय आह्वान पर किया गया, जिसका मुख्य मुद्दा फैक्टरी एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करना था.
इस दौरान हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालयों में डीसी के माध्यम से सीएम जयराम को ज्ञापन भी भेजे गए. जिला सोलन में एटक की अध्यक्षता में इंटक और सीटू ने डीसी को ज्ञापन सौंपे है. प्रदेश सरकार द्वारा फैक्ट्री एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के फैसले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार करने वाला कदम बताया है. उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूर विरोधी नीतियां बनाना बंद करे.
क्या कहते है एटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र भारद्वाज
श्रम कानूनों में बदलाव कर उद्योगपतियों को लूट की खुली छूट दी है. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दौर में मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित व पीड़ित हैं. ऐसे समय में प्रदेश की बीजेपी सरकार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन करके उनके जख्मों पर नमक छिड़क दिया है. काम के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने के मजदूर विरोधी कदम ने इस सरकार की पोल खोल कर रख दी है. सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, फैक्ट्री एक्ट में मजदूर विरोधी परिवर्तन कर दिए हैं और उद्योगपतियों को लूट की खुली छूट दे दी है. प्रदेश सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर में बदलाव की सिफारिश करके मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने की साजिश रची है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा.
क्या कहते हैं इंटक के प्रदेशाध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह
उन्होंने कहा है कि 8 के बजाए 12 घंटे काम करने से फैक्ट्रियों में कार्यरत लगभग एक तिहाई मजदूरों की छंटनी होना तय है. अभी आठ घंटे की ड्यूटी के कारण फैक्ट्रियों में तीन शिफ्ट का कार्य होता है. 12 घंटे की ड्यूटी से कार्य करने से शिफ्टों की संख्या तीन से घटकर दो रह जाएगी, जिसके चलते तीसरी शिफ्ट में कार्य करने वाले एक-तिहाई मजदूरों की छंटनी हो जाएगी.
हरदीप सिंह ने कहा कि प्रदेश में सैकड़ों उद्योगों में हजारों मजदूरों को मार्च-अप्रैल 2020 के वेतन का भुगतान नहीं किया है. वेतन भुगतान अधिनियम 1936 के अनुसार मजदूरों को वेतन का भुगतान तुरंत करवाया जाए. अगर ये सभी मांगे नहीं मानी जाती है तो आने वाले समय में सभी श्रमिक संगठन इसके खिलाफ कड़ा विरोध करेंगे.
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