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150 साल पहले लाहौर से पैदल धर्मशाला लाए थे गुरु ग्रंथ साहिब, गद्दी परिवार बरसों से कर रहा है सेवा

धर्मशाला के दाडऩू स्थित गद्दी समुदाय के पूर्वज इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को पाकिस्तान के लाहौर से लेकर आए थे. गद्दी समुदाय के पूर्वज पहले गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते थे, लेकिन अब पीढ़ी दर पीढ़ी  गद्दी परिवार की ओर से इस गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा की जा रही है.

150 साल पहले लाहौर से धर्मशाला आए थे गुरु ग्रंथ साहिब, गद्दी परिवार बरसों से कर रहा है सेवा
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Published : Nov 12, 2019, 8:16 PM IST

धर्मशाला: पाकिस्तान के लाहौर से धर्मशाला लाए गए डेढ़ सौ वर्ष पुराने गुरु ग्रंथ साहिब को गद्दी परिवार ने आज भी सहेज कर रखा है. धर्मशाला के दाड़नू स्थित गद्दी परिवार के पूर्वज इस गुरु ग्रंथ साहिब को पैदल लाहौर से धर्मशाला लेकर आए थे, तब से गद्दी परिवार के सदस्य इस ग्रुरु ग्रंथ साहिब जी की सेवा कर रहे हैं.

बता दें कि गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को धर्मशाला गुरुद्वारा लाया गया था, जहां सिक्ख संगत सहित शहरवासियों ने पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन किए. वर्षों पहले धर्मशाला के दाड़नू स्थित गद्दी समुदाय के पूर्वज इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को पाकिस्तान के लाहौर से लेकर आए थे.150 साल बीतने के बाद भीब पीढ़ी दर पीढ़ी गद्दी परिवार की ओर से इस गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा की जा रही है.

वीडियो.

गुरु ग्रंथ साहिब के लिए गद्दी परिवार ने गुरुद्वारा भी बनाया है. गद्दी समुदाय के अविनाश कुमार ने बताया कि यह गुरु ग्रंथ साहिब लगभग 150 वर्ष पुराना है. उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को उनके पूर्वज लाहौर से लेकर आए थे. इस गुरु ग्रंथ साहिब की प्रिटिंग लाहौर में हुई थी. इसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब के अंगों की बाइडिंग अमृतसर में हुई थी. अविनाश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने घर में गुरुद्वारा बनाकर गुरु ग्रंथ साहिब को रखा है और जैसे गुरुद्वारा में कार्यक्रम चलता है, उसी तरह वे भी गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते हैं.

वहीं, धर्मशाला के नवनिर्वाचित विधायक विशाल नैहरिया ने कहा कि उन्हें भी जानकारी मिली है कि 150 साल पुराने गुरु ग्रंथ साहिब क गुरुद्वारा में गुरु नानक देव प्रकाशोत्सव के मौके पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को काफी समय से स्थानीय लोगों ने सहेज कर रखा है.

धर्मशाला: पाकिस्तान के लाहौर से धर्मशाला लाए गए डेढ़ सौ वर्ष पुराने गुरु ग्रंथ साहिब को गद्दी परिवार ने आज भी सहेज कर रखा है. धर्मशाला के दाड़नू स्थित गद्दी परिवार के पूर्वज इस गुरु ग्रंथ साहिब को पैदल लाहौर से धर्मशाला लेकर आए थे, तब से गद्दी परिवार के सदस्य इस ग्रुरु ग्रंथ साहिब जी की सेवा कर रहे हैं.

बता दें कि गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को धर्मशाला गुरुद्वारा लाया गया था, जहां सिक्ख संगत सहित शहरवासियों ने पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन किए. वर्षों पहले धर्मशाला के दाड़नू स्थित गद्दी समुदाय के पूर्वज इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को पाकिस्तान के लाहौर से लेकर आए थे.150 साल बीतने के बाद भीब पीढ़ी दर पीढ़ी गद्दी परिवार की ओर से इस गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा की जा रही है.

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गुरु ग्रंथ साहिब के लिए गद्दी परिवार ने गुरुद्वारा भी बनाया है. गद्दी समुदाय के अविनाश कुमार ने बताया कि यह गुरु ग्रंथ साहिब लगभग 150 वर्ष पुराना है. उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को उनके पूर्वज लाहौर से लेकर आए थे. इस गुरु ग्रंथ साहिब की प्रिटिंग लाहौर में हुई थी. इसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब के अंगों की बाइडिंग अमृतसर में हुई थी. अविनाश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने घर में गुरुद्वारा बनाकर गुरु ग्रंथ साहिब को रखा है और जैसे गुरुद्वारा में कार्यक्रम चलता है, उसी तरह वे भी गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते हैं.

वहीं, धर्मशाला के नवनिर्वाचित विधायक विशाल नैहरिया ने कहा कि उन्हें भी जानकारी मिली है कि 150 साल पुराने गुरु ग्रंथ साहिब क गुरुद्वारा में गुरु नानक देव प्रकाशोत्सव के मौके पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को काफी समय से स्थानीय लोगों ने सहेज कर रखा है.

Intro:धर्मशाला- पाकिस्तान के लाहौर से धर्मशाला लाए गए डेढ़ सौ वर्ष पुराने गुरु ग्रंथ साहिब को गद्दी परिवार ने सहेज कर रखा है। धर्मशाला के दाडऩू स्थित गद्दी परिवार के पूर्वज पुराजन गुरु ग्रंथ साहिब को पैदल लाहौर से धर्मशाला लेकर आए थे, तब से गद्दी परिवार के सदस्य इन ग्रुरु ग्रंथ साहिब की सेवा कर रहे हैं। गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर इन पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को धर्मशाला गुरुद्वारा लाया गया था, जहां सिक्ख संगत सहित शहरवासियों ने पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन किए। जानकारी के अनुसार वर्षों पहले धर्मशाला के दाडऩू स्थित गददी समुदाय के पूर्वज इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को पाकिस्तान के लाहौर से लेकर आए थे। पहले पूर्वज गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते रहे, अब पीढ़ी दर पीढ़ी गद्दी परिवार द्वारा इस गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा की जा रही है। इसके लिए बकायदा गद्दी परिवार ने गुरुद्वारा भी बनाया है तथा जिस तरह से गुरुद्वारा में कार्यक्रम होते हैं, उसी तरह दाडऩू स्थित गद्दी परिवार के घर स्थित गुरुद्वारा में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।




Body:वही रागी भाई गुरमीत सिंह ने बताया कि जो गुरु ग्रंथ साहिब यहां लाए गए हैं, इसे लाहौर की संगत ने अमृतसर प्रिंटिंग प्रेस में छपवाया था तथा यह गुरु ग्रंथ साहिब 108 वर्ष पुराना है। गद्दी समुदाय द्वारा इस ग्रुरु ग्रंथ को सहेज कर रखने पर उन्होंने कहा कि यह पुरातन ग्रंथ है, जिसके चलते इसे सहेजा गया है। इसकी बाइंडिंग खराब हो चुकी है, जिसमें सुधार करवाया गया है तथा जो पुराना स्वरूप होता है, उसे ज्यादा प्रकाशित नहीं किया जाता।



Conclusion:
वही  दाडऩू निवासी गददी समुदाय से अविनाश कुमार जिनके घर में पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को सहेज कर रखा गया है ने बताया कि यह गुरु ग्रंथ साहिब लगभग 150 वर्ष पुराना है। इन गुरु ग्रंथ साहिब को हमारे पूर्वज अमृतसर से लेकर आए थे। गददी समुदाय ऐसा समुदाय है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को इतनी मान्यता नहीं दी जाती, लेकिन हम खुशकिस्मत हैं और हमें अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिला है कि हम गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा कर रहे हैं। अविनाश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने घर में गुरुद्वारा बनाकर ही गुरु ग्रंथ साहिब को रखा है तथा जैसे गुरुद्वारा में कार्यक्रम चलता है, उसी तरह हम भी गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते हैं। अविनाश कुमार ने बताया कि इन गुरु ग्रंथ साहिब को उनके पूर्वज लाहौर से पैदल चलते हुए हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला लेकर आए थे।

वही धर्मशाला के नवनिर्वाचित विधायक विशाल नैहरिया ने कहा कि उन्हें भी जानकारी मिली है कि गुरुद्वारा में गुरु नानक देव प्रकाशोत्सव के लिए रखा गया गुरु ग्रंथ साहिब कई वर्ष पहले लिखा गया था, उसे काफी समय से स्थानीय लोगों ने सहेज कर रखा है। मैंने सभा के सदस्यों से कहा है कि इस गुरु ग्रंथ साहिब के संरक्षण के लिए जो भी योगदान हो सकता है, मुझे बताएं हरसंभव सहयोग किया जाएगा। 

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