सोलनः जिले में पानी के टैंक की लीकेज को ठीक करने के लिए आईपीएच विभाग अमेरिकन तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है. ऐसा हिमाचल में पहली बार हो रहा है जब ऐसे काम के लिए किसी विदेशी तकनीक का इस्तेमाल होगा.
जानकारी के अनुसार गिरी पेयजल योजना के तहत वर्ष 2006 में धारों की धार में एक पेयजल भंडारण टैंक का निर्माण किया गया था. इसकी क्षमता 38 लाख लीटर की है. इस टैंक में स्टोर पानी को पेयजल किल्लत के दौरान इस्तेमाल भी किया जाना था, लेकिन निर्माण कार्य में रही खामियों के चलते कुछ ही समय में टैंक में लीकेज होनी शुरू हो गई. इस कारण यह टैंक सफेद हाथी साबित हो गया है.
80 लाख रुपए की लागत से बनाया गया था टैंक
तत्कालीन समय में इस टैंक के निर्माण में करीब 80 लाख रुपए व्यय किए गए थे. इस टैंक के बनने के बाद से विभाग इसकी लीकेज रोकने के लिए विभिन्न योजनाएं व तकनीक अपनाने के लिए विशेषज्ञों से राय ले रहा था. अब विभाग अमेरिकन तकनीक से इसे ठीक करवाने का निर्णय ले चुका है. इस टैंक को ठीक करने में करीब 30 लाख रुपए खर्च होंगे. इसका टैंडर हो चुका है और जल्द इसका कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
सोलन शहर में हर मौसम में रहती है पानी की किल्लत
सोलन शहर में पेयजल संकट आम बात है. यहां हर मौसम में पेयजल की किल्लत कहीं न कहीं रहती है. गर्मियों में पानी का स्तर गिरने और सर्दियों में वोल्टेज काम होना लगा रहता है. ऐसे में यदि 38 लाख लीटर क्षमता वाला यह टैंक ठीक हो जाता है, तो जलसंकट की स्थिति में लोगों को काफी राहत मिल पाएगी, यदि सोलन की बात करें तो इस टैंक से पूरे सोलन शहर में 2 दिन पेयजल आपूर्ति की जा सकती है.
स्टेट टैकनिकल एजैंसी से ली अनुमति
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिशासी अभियंता सुमित सूद ने कहा कि धारों की धार स्थित टैंक को मेम्ब्रेन तकनीक से दुरुस्त करवाने की पहल विभाग द्वारा की जा रही है. इस कार्य को करवाने के लिए स्टेट टैकनिकल एजैंसी की भी अनुमति ले ली गई है. उन्होंने कहा कि कि ये एक अमेरिकन तकनीक है और हिमाचल में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. शूलिनी मेले के पश्चात तुरन्त ही टैंक को ठीक करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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