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सोलन को नगर निगम बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा तेज, पंचायत प्रतिनिधि ने सरकार से की ये अपील

मंत्रिमंडल में सोलन शहर को नगर निगम बनाने का प्रस्ताव रखने के बाद से शहर के साथ लगती 8 पंचायतों को नगर निगम में शामिल किए जाने की चर्चा चल रही है. 14 अगस्त से वे लगातार आठ पंचायतों में जाकर सभी लोगों से बैठक कर रहे हैं और हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है, जिसमें सभी लोग नगर निगम में शामिल होने के खिलाफ हैं.

पंंचायत प्रतिनिधि
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Published : Aug 24, 2020, 4:31 PM IST

सोलन: मंत्रिमंडल में सोलन शहर को नगर निगम बनाने का प्रस्ताव रखने के बाद से शहर के साथ लगती 8 पंचायतों को नगर निगम में शामिल किए जाने की चर्चा चल रही है. 8 पंचायत के प्रतिनिधि और ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. सोलन में प्रेस वार्ता के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें नगर निगम बनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रदेश सरकार के इस फैसले से करीब आठ पंचायतों के 20,000 लोगों के हितों का नुकसान होगा.

हस्ताक्षर अभियान से ली जा रही है लोगों की राय

पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि 14 अगस्त से वे लगातार आठ पंचायतों में जाकर सभी लोगों से बैठक कर रहे हैं और हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है, जिसमें सभी लोग नगर निगम में शामिल होने के खिलाफ हैं. सभी पंचायत प्रतिनिधियों का मानना है कि किसी भी पंचायत का कोई भी गांव नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहिए. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें नगर निगम बनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वर्तमान नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा दिया जाए. 2021 की जनगणना होने पर शहर की आबादी 50,000 हो जाएगी तब तक सरकार को जल्दी में यह कदम नहीं उठाना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट.
ग्रामीण संघर्ष समिति घर-घर जाकर करेगी लोगों को जागरूक

पंचायत प्रतिनिधि की ओर से नगर निगम न बनाए जाने को लेकर ग्रामीण संघर्ष समिति का विस्तार किया गया है, जिसमें ग्रामीण लोगों की घर-घर जाकर राय ली जा रही है. उन्होंने कहा कि नगर निगम में शामिल ना होने को लेकर ग्रामीण संघर्ष समिति लोगों की आवाज बुलंद करेगी. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर सरकार नगर निगम में शामिल करती है तो उनसे उनके मौलिक अधिकार छीन जाएंगे. उनका कहना है कि आईआरडीपी में मिलने वाला राशन, महिला मंडल को मिलने वाली सुविधाएं खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार की युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात नगर निगम शामिल होने से नहीं हो पाएगी.

नगर निगम बनने से मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहेंगे ग्रामीण

पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि नगर निगम में ना जाने को लेकर ग्रामीणों के पास कई कारण है, जिन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जा रहा है वह क्षेत्र कृषि पर आधारित है. आज भी लगभग 90% जनसंख्या कृषि क्षेत्रों में आबादी का घनत्व बहुत कम है. इन क्षेत्रों का शहरीकरण नहीं हुआ है. अगर उन क्षेत्रों को शहर में शामिल करवाया जाता है तो पंचायती राज से मिलने वाली सभी मूलभूत सुविधाएं समाप्त हो जाएगी.

खेती करना मुश्किल हो जाएगा मनरेगा जैसे कानून रोजगार देने के साथ-साथ विभिन्न तरह के विकास कार्यों को पूरा करते हैं. उस पर भी रोक लग जाएगी. उनका कहना है कि ऐसी अनेकों योजनाएं हैं, जो ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य करती है. उनका कहना है कि अगर इन पंचायतों के किसी भी गांव को नगर निगम में शामिल किया गया तो ग्रामीण संघर्ष समिति इसका जन आंदोलन करेगी.

पढ़ें: प्रदेश सरकार और निजी कंपनी के बीच 110 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

सोलन: मंत्रिमंडल में सोलन शहर को नगर निगम बनाने का प्रस्ताव रखने के बाद से शहर के साथ लगती 8 पंचायतों को नगर निगम में शामिल किए जाने की चर्चा चल रही है. 8 पंचायत के प्रतिनिधि और ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. सोलन में प्रेस वार्ता के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें नगर निगम बनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रदेश सरकार के इस फैसले से करीब आठ पंचायतों के 20,000 लोगों के हितों का नुकसान होगा.

हस्ताक्षर अभियान से ली जा रही है लोगों की राय

पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि 14 अगस्त से वे लगातार आठ पंचायतों में जाकर सभी लोगों से बैठक कर रहे हैं और हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है, जिसमें सभी लोग नगर निगम में शामिल होने के खिलाफ हैं. सभी पंचायत प्रतिनिधियों का मानना है कि किसी भी पंचायत का कोई भी गांव नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहिए. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें नगर निगम बनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वर्तमान नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा दिया जाए. 2021 की जनगणना होने पर शहर की आबादी 50,000 हो जाएगी तब तक सरकार को जल्दी में यह कदम नहीं उठाना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट.
ग्रामीण संघर्ष समिति घर-घर जाकर करेगी लोगों को जागरूक

पंचायत प्रतिनिधि की ओर से नगर निगम न बनाए जाने को लेकर ग्रामीण संघर्ष समिति का विस्तार किया गया है, जिसमें ग्रामीण लोगों की घर-घर जाकर राय ली जा रही है. उन्होंने कहा कि नगर निगम में शामिल ना होने को लेकर ग्रामीण संघर्ष समिति लोगों की आवाज बुलंद करेगी. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर सरकार नगर निगम में शामिल करती है तो उनसे उनके मौलिक अधिकार छीन जाएंगे. उनका कहना है कि आईआरडीपी में मिलने वाला राशन, महिला मंडल को मिलने वाली सुविधाएं खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार की युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात नगर निगम शामिल होने से नहीं हो पाएगी.

नगर निगम बनने से मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहेंगे ग्रामीण

पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि नगर निगम में ना जाने को लेकर ग्रामीणों के पास कई कारण है, जिन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जा रहा है वह क्षेत्र कृषि पर आधारित है. आज भी लगभग 90% जनसंख्या कृषि क्षेत्रों में आबादी का घनत्व बहुत कम है. इन क्षेत्रों का शहरीकरण नहीं हुआ है. अगर उन क्षेत्रों को शहर में शामिल करवाया जाता है तो पंचायती राज से मिलने वाली सभी मूलभूत सुविधाएं समाप्त हो जाएगी.

खेती करना मुश्किल हो जाएगा मनरेगा जैसे कानून रोजगार देने के साथ-साथ विभिन्न तरह के विकास कार्यों को पूरा करते हैं. उस पर भी रोक लग जाएगी. उनका कहना है कि ऐसी अनेकों योजनाएं हैं, जो ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य करती है. उनका कहना है कि अगर इन पंचायतों के किसी भी गांव को नगर निगम में शामिल किया गया तो ग्रामीण संघर्ष समिति इसका जन आंदोलन करेगी.

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