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हिमालयी क्षेत्रों के सतत विकास के लिए होगा महामंथन, नौणी विश्वविद्यालय में जुटेंगे इन देशों के शोधकर्ता - नौणी विश्वविद्यालय

नौणी विश्वविद्यालय में (Nauni University of sloan) 19 से 21 दिसंबर तक तीन दिवसीय हिमसंवाद-ट्रांस हिमालयन सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है. यह कार्यक्रम नौणी विश्वविद्यालय सेवा इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है. जिसमें हिमालयन देशों तथा भारत के हिमालयन क्षेत्र में स्तिथ राज्यों के 200 से अधिक नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता तीन दिनों तक नौणी में हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर विचार-विमर्श करेंगे.

Trans Himalayan conference at Nauni University
Trans Himalayan conference at Nauni University
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Published : Dec 16, 2022, 8:32 PM IST

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (Nauni University of sloan) में 19 से 21 दिसंबर तक तीन दिवसीय हिमसंवाद-ट्रांस हिमालयन स्थानीय समाधान और कार्यान्वयन रणनीति पर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम नौणी विश्वविद्यालय सेवा इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है. नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि यह सम्मेलन हर साल सेवा इंटरनेशनल द्वारा आयोजित किया जाता है. लेकिन इस वर्ष इसे हिमाचल में आयोजित किया जा रहा है.(Himsamvad conference at Nauni University).

उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में विशेषज्ञों द्वारा स्थानीय समाधान और कार्यान्वयन रणनीतियों सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. प्रो. चंदेल ने बताया कि हिमालयन देशों भूटान और नेपाल तथा भारत के हिमालयन क्षेत्र में स्तिथ राज्यों के 200 से अधिक नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता तीन दिनों तक नौणी में हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर विचार-विमर्श करेंगे. उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण विषयों के अलावा कोविड के बाद पहाड़ी क्षेत्र में आत्मनिर्भर विकास की आवश्यकता और स्थानीय समुदायों के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की प्राथमिक आवश्यकता पर प्रतिभागियों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा.

सम्मेलन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर करेंगे. हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव राकेश कंवर, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, कॉर्ड की राष्ट्रीय निदेशक डॉ. क्षमा मैत्रे, सीईएसओडी के कार्यकारी निदेशक श्रवण कुमार शर्मा, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के प्रो. रवींद्र एस गवली, एम्स बीबीनगर के कार्यकारी निदेशक प्रो. विकास भाटिया, यूएनडीपी के सलाहकार राजीव इस्सर सहित कई प्रसिद्ध हस्तियां इस सम्मेलन के दौरान अपने विचार साझा करेंगी.

प्रो. चंदेल ने कहा कि औद्योगिक आधारित कृषि से प्राकृतिक खेती में परिवर्तन के हालिया विकास ने हिमालय कृषक समुदायों के लिए एक मजबूत आजीविका संसाधन बनने की क्षमता दिखाई है. यह पद्धति पूरे पारिस्थितिकी तंत्र, पानी, मिट्टी, जैव विविधता, अच्छा पोषण को ताकत प्रदान करती है और हिमालय क्षेत्र में पूरे कृषक समुदाय की भलाई सुनिश्चित करती है. सभी सत्रों में प्राकृतिक खेती पर विशेष चर्चा होगी.

कोविड महामारी ने ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में आत्मनिर्भर विकास की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जिससे समुदायों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके और उनके विकास में बाहरी बाधाओं से बचा जा सके. सेवा इंटरनेशनल के अध्यक्ष अशोक गोयल ने कहा विभिन्न सत्रों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और इसके मुख्य विषय हैं जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के कारण और कैसे इसे हल किया जा सके पर चर्चा की जाएगी.

इस जागरूकता के साथ, हिमसंवाद-2022 ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के कई हितधारकों के लिए एक मंच प्रदान करने का प्रयास करता है ताकि क्षेत्र के रूपांतरित पोस्ट-कोविड वास्तविकता के लिए हमारे एकीकृत सतत विकास दृष्टिकोण को फिर से तैयार किया जा सके. इसके अतिरिक्त, सम्मेलन का फोकस विकास के विचार पर सहमति देते हुए ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के मुद्दों के स्थानीय समाधानों को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर होगा. कार्यान्वयन रणनीतियों के मूल्यांकन के लिए एक आधारभूत ढांचा विकसित करके सम्मेलन चौथे एसडीजी सम्मेलन के लिए भी मंच तैयार करेगा.

ये भी पढे़ं: अडानी समूह को सरकार का नोटिस, हिमाचल के दोनों प्लांट बंद करने का कारण पूछा

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (Nauni University of sloan) में 19 से 21 दिसंबर तक तीन दिवसीय हिमसंवाद-ट्रांस हिमालयन स्थानीय समाधान और कार्यान्वयन रणनीति पर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम नौणी विश्वविद्यालय सेवा इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है. नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि यह सम्मेलन हर साल सेवा इंटरनेशनल द्वारा आयोजित किया जाता है. लेकिन इस वर्ष इसे हिमाचल में आयोजित किया जा रहा है.(Himsamvad conference at Nauni University).

उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में विशेषज्ञों द्वारा स्थानीय समाधान और कार्यान्वयन रणनीतियों सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. प्रो. चंदेल ने बताया कि हिमालयन देशों भूटान और नेपाल तथा भारत के हिमालयन क्षेत्र में स्तिथ राज्यों के 200 से अधिक नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता तीन दिनों तक नौणी में हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर विचार-विमर्श करेंगे. उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण विषयों के अलावा कोविड के बाद पहाड़ी क्षेत्र में आत्मनिर्भर विकास की आवश्यकता और स्थानीय समुदायों के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की प्राथमिक आवश्यकता पर प्रतिभागियों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा.

सम्मेलन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर करेंगे. हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव राकेश कंवर, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, कॉर्ड की राष्ट्रीय निदेशक डॉ. क्षमा मैत्रे, सीईएसओडी के कार्यकारी निदेशक श्रवण कुमार शर्मा, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के प्रो. रवींद्र एस गवली, एम्स बीबीनगर के कार्यकारी निदेशक प्रो. विकास भाटिया, यूएनडीपी के सलाहकार राजीव इस्सर सहित कई प्रसिद्ध हस्तियां इस सम्मेलन के दौरान अपने विचार साझा करेंगी.

प्रो. चंदेल ने कहा कि औद्योगिक आधारित कृषि से प्राकृतिक खेती में परिवर्तन के हालिया विकास ने हिमालय कृषक समुदायों के लिए एक मजबूत आजीविका संसाधन बनने की क्षमता दिखाई है. यह पद्धति पूरे पारिस्थितिकी तंत्र, पानी, मिट्टी, जैव विविधता, अच्छा पोषण को ताकत प्रदान करती है और हिमालय क्षेत्र में पूरे कृषक समुदाय की भलाई सुनिश्चित करती है. सभी सत्रों में प्राकृतिक खेती पर विशेष चर्चा होगी.

कोविड महामारी ने ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में आत्मनिर्भर विकास की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जिससे समुदायों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके और उनके विकास में बाहरी बाधाओं से बचा जा सके. सेवा इंटरनेशनल के अध्यक्ष अशोक गोयल ने कहा विभिन्न सत्रों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और इसके मुख्य विषय हैं जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के कारण और कैसे इसे हल किया जा सके पर चर्चा की जाएगी.

इस जागरूकता के साथ, हिमसंवाद-2022 ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के कई हितधारकों के लिए एक मंच प्रदान करने का प्रयास करता है ताकि क्षेत्र के रूपांतरित पोस्ट-कोविड वास्तविकता के लिए हमारे एकीकृत सतत विकास दृष्टिकोण को फिर से तैयार किया जा सके. इसके अतिरिक्त, सम्मेलन का फोकस विकास के विचार पर सहमति देते हुए ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के मुद्दों के स्थानीय समाधानों को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर होगा. कार्यान्वयन रणनीतियों के मूल्यांकन के लिए एक आधारभूत ढांचा विकसित करके सम्मेलन चौथे एसडीजी सम्मेलन के लिए भी मंच तैयार करेगा.

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