सोलन: पहाड़ों की रानी शिमला में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में शीतोष्ण बांस के पौधे और जल्द उगने वाले नेपियर एवं वेटिवर घास को रोपकर मिट्टी की पकड़ को मजबूत बनाने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विवि नौणी ने नगर निगम शिमला की मांग पर शहर में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में शीतोष्ण बांस के एक हजार पौधे, जबकि जल्द उगने वाले नेपियर व वेटिवर घास के 10 हजार गुच्छे भेजे गए हैं. आगे भी मांग के अनुसार इस तरह का क्रम जारी रहेगा.
जुलाई-अगस्त माह में भारी बारिश के कारण शिमला शहर के कई क्षेत्रों में भूस्खलन होने से घरों को काफी नुकसान हुआ था. इसलिए नगर निगम इन क्षेत्रों में शीतोष्ण बांस के पौधों व जल्दी उगने वाली घास को रोपित करने में जुट गया है. शिमला नगर निगम ने नौणी विवि से भूस्खलन जोन और अन्य संभावित खतरे वाले स्थानों पर मिट्टी की सतह को मजबूत करने के लिए पौधों की मांग की थी.
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डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि नगर निगम शिमला ने नौणी विवि से भूस्खलन जोन और अन्य संभावित खतरे वाले स्थानों पर मिट्टी की सतह को मजबूत करने के लिए पौधों की मांग की थी, जिस आधार पर उन्हें शीतोष्ण बांस, नेपियर व वेटिवर घास उपलब्ध करवाया गया है. यह पौधे मिट्टी की पकड़ को मजबूत करेगा. गौरतलब है कि बांस सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है. इसलिए नौणी विवि ने शीतोष्ण बांस व बांस की वे किस्में जो शीतोष्ण मौसम में अच्छे से उगने वाले एक हजार पौधे, जबकि नेपियर व वेटिवर घास के 10 हजार गुच्छे नगर निगम शिमला को भेजे हैं.
बता दें कि शिमला के कृष्णानगर व समरहिल शिव बावड़ी में भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ था. इसमें कई जाने चली गई थी, जबकि कई घरों को भी नुकसान पहुंचा था. नगर निगम शिमला ने इसके लिए नौणी विवि से संपर्क कर उन पौधों को की मांग की थी, जिनको रोपकर भूस्खलन प्रभावित व संभावित क्षेत्रों में मिट्टी की सतह को मजबूत किया जा सके.