सोलन: माल भाड़ा ढुलाई और अंबुजा सीमेंट उद्योग का ताला खुलवाने की मांग को लेकर दाड़लाघाट में ट्रक ऑपरेटरों का धरना प्रदर्शन शुक्रवार को 45वें दिन भी जारी रहा. इस दौरान ट्रक ऑपरेटरों ने एक बार फिर से दाड़लाघाट में रैली निकालते हुए अदानी समूह के विरुद्ध जोरदार नारेबाजी की. 45 दिनों से सीमेंट कंपनी प्रबंधन के खिलाफ ट्रक ऑपरेटर नेता लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐसे में अब ट्रक ऑपरेटरों के संघर्ष में शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप भी शामिल हो चुके हैं. आज ऑपरेटरों की रैली में शामिल हुए सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि ऑपरेटर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. अंबुजा सीमेंट उद्योग पर प्रबंधन की ओर से ताला लगा दिया गया है, लेकिन सरकार अभी तक इस ताले को खुलवाने में पूरी तरह से असमर्थ रही है. उन्होंने कहा कि वह सांसद होने के साथ ट्रक ऑपरेटरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस तालाबंदी को खुलवाने को लेकर नाकामयाब हुई है.
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे स्वयं इस मसले में हस्तक्षेप कर जल्द इसे सुलझाए. सांसद सुरेश कश्यप ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए असमर्थ दिख रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि एक दिन के अंदर इस उद्योग को खुलवाने का फैसला ले लिया जाएगा, जबकि उद्योग मंत्री ने भी दो दिनों के भीतर इस मसले को सुलझाने का भरोसा दिया था, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई हल नहीं निकल पाया है.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह सोमवार को कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और वह उनसे लगातार अपडेट भी ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी इस गंभीर समस्या को उठाएंगे और जल्द से जल्द इस विवाद का जो भी हल होगा निकालने की कोशिश करेंगे. सांसद सुरेश कश्यप ने यह भी कहा कि यदि प्रदेश सरकार इस सीमेंट उद्योग से जुड़े विवाद को हल करने में सक्षम नहीं है तो वह अपने हाथ खड़े कर दें. हम इस मसले को केंद्र सरकार से उठाएंगे भी और हल भी करवाएंगे.
सुरेश कश्यप ने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग अदानी की भाजपा से नजदीकियां बता रहे हैं और कह रहे हैं कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार आने पर हिमाचल में ये उद्योग बंद किए गए ऐसा नहीं है. राजस्थान में या छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है. अदानी का जितना कारोबार वहां है उसके मुकाबले तो हिमाचल में 5 परसेंट भी नहीं है और सरकार को इस विषय पर गंभीरता दिखानी चाहिए. इस समस्या को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. कहा कि यदि सरकार इस इस विवाद का समाधान नहीं कर सकती, तो सरकार अपने हाथ खड़े कर दें तो हम इस समस्या के समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं और किसी हद तक इसमें सफल भी हो सकते हैं.
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