सोलन: 26 जुलाई का दिन भारत के लिए बहुत ही गौरव का दिन होता है. 26 जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर ईटीवी भारत की टीम ने सेना में सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त पदम देव ठाकुर से विशेष बातचीत की.
सेवानिवृत्त पदम देव ठाकुर ने कहा कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के जवानों ने अपनी हिम्मत से मातृभूमि की रक्षा के लिए दुश्मनों से लोहा लिया था और सीने पर गोलियां खाते हुए दुश्मन के हौसलों को परास्त किया था. इस हिम्मत के साथ ही भारतीय सेना के जवानों ने 1999 में करगिल युद्ध में जीत दर्ज की थी, लेकिन 21 साल बाद भी कारगिल युद्ध का नजारा सूबेदार मेजर की आंखों के सामने आ जाता है.
आपको बता दें कि हिमाचल के सोलन में अर्की उपमंडल के बपड़ोहन गांव के पदम देव ठाकुर ने 18 ग्रेनेडियर बटालियन के साथ कारगिल लड़ाई में दुश्मनों से लोहा लिया था. कारगिल युद्ध के समय वह नायब सूबेदार के पद पर थे. 2000 में सूबेदार, 2005 में सूबेदार मेजर और 2009 में सेवानिवृत्ति के दौरान वह ऑर्डीनरी कैप्टन के पद पर तैनात थे. सितंबर 1979 में पदम देव ठाकुर सेना में शामिल हुए थे.
पदम देव का कहना है युद्ध में सैकड़ों जवान शहादत देकर अमर हो गए और उनके बलिदान से ही देश को दुश्मन पर जीत हासिल हुई. सेवानिवृत्त पदम देव ठाकुर की बटालियन 18 ग्रनेडियर को युद्ध में 1 परमवीर चक्र, 2 महावीर चक्र, 6 वीर चक्र, 1 शौर्य चक्र, 1 युद्ध सेवा मेडल, 19 सेना मेडल व युद्ध प्रशंसनीय पत्र मिला.
इसमें उनकी बटालियन के कई जवान भी शहीद हुए, लेकिन उन्होंने तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद 18 ग्रेनेडियर को टाइगर हिल की जिम्मेदारी मिली. हमारी बटालियन ने टाइगर हिल के कई महत्वपूर्ण प्वाइंट को कब्जे में लिया. उसके बाद 4 जुलाई को 18 ग्रेनेडियर ने टाइगर हिल को जीत लिया था. 18 ग्रेनेडियर हर साल 4 जुलाई को टाइगर हिल फतह का जश्न मनाती है.
याद आते है योगेंद्र सिंह यादव 18 गोलियों के बाद भी जिंदा रहे और हिम्मत नहीं हारी:
पदम देव ने बताया कि टाइगर हिल पर युद्ध के समय घातक प्लाटून में शामिल जवान योगेंद्र सिंह यादव व उनके साथियों पर दुश्मनों ने फायरिंग कर दी. इसमें योगेंद्र सिंह यादव को 18 गोलियां लगी, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया था. इसके बाद योगेंद्र ने कैंप में आकर टाइगर हिल की सारी जानकारी दी. इस पर जवानों ने बिना किसी नुकसान के दुश्मनों को पस्त कर टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया. जब जवान आगे लड़ रहे होते थे तो पीछे से कवर फायर किया जाता था, जिससे दुश्मनों को फौज की गतिविधि का पता न चल सके.
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