सोलन: मां शूलिनी की नगरी सोलन जिसे पूरी दुनिया में सिटी ऑफ मशरूम के नाम से जाना जाता है. सबसे तेज गति से बढ़ते शहरों की गिनती की जाए तो सोलन का नाम ऊपरी पायदान पर आता है. अब सोलन को नगर निगम का दर्जा भी मिल चुका है.
सोलन नगर निगम में कुल 17 वार्ड हैं. 60 उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतरे हैं. यहां कुल 36,435 मतदाता हैं. मतदान के लिए यहां कुल 36 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. इतिहास पर नजर डालें तो सोलन नगर परिषद का गठन 1950 में हुआ था. साल 1996 में हुए चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने अपने समर्थित प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और पहली जीत भाजपा को राजीव बिंदल ने दिलाई थी.
दोनों पार्टियों ने किया धुआंधार प्रचार
राजीव बिंदल यहां 1996 से 2000 तक अध्यक्ष रहे. इसके बाद सोलन शहर की कमान कभी बीजेपी और कभी कांग्रेस के हाथ में रही, लेकिन इस बार सोलन में नगर निगम का चुनाव बेहद खास है. यहां पहली बार नगर निगम का चुनाव होने जा रहा है. चुनाव प्रचार में बीजेपी-कांग्रेस के कई दिग्गज यहां डटे रहे. सीएम से लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर तक चुनाव प्रचार में कूदे थे. कुल मिलाकर दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं ने यहां कई जनसभाएं की हैं.
मेयर के लिए अढ़ाई साल का फॉर्मूला
अब लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हैं की सोलन का पहला मेयर कौन होगा. सोलन में मेयर के पद पर अढ़ाई-अढ़ाई साल का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है. अढ़ाई साल के लिए मेयर पद पर एससी वर्ग की महिला उम्मीदवार को बिठाया जा सकता है. मेयर पद के लिए बीजेपी से सबसे पहला नाम मीरा आनंद का है. मीरा आनंद एससी समुदाय से आती हैं और नगर परिषद सोलन में उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. वहीं, बीजेपी से स्वाति का नाम भी मेयर पद की रेस में हैं. कांग्रेस की ओर से पूनम ग्रोवर और अनिता का नाम मेयर पद के लिए सबसे आगे हैं.
वहीं, कुलभूषण गुप्ता और पवन गुप्ता पर भी भाजपा दांव खेल सकती है, वहीं कांग्रेस से सरदार सिंह और राजीव कौड़ा मेयर पद के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. अब बस इंतजार है नतीजों का, 7 अप्रैल की शाम को साफ हो जाएगा कि किसके सिर पर यहां जीत का सेहरा बंधेगा और किसे मेयर की कुर्सी मिलेगी.