सोलन: हिमाचल प्रदेश में अनलॉक होते ही आज यानी 1 जुलाई से सरकार के आदेशों के बाद मंदिरों के कपाट भी भक्तों के लिए खुल चुके हैं, मंदिरों का खुल जाना हिमाचल प्रदेश में लोगों के लिए दिवाली के त्योहार से कम नहीं है, लेकिन अभी भी कुछ लोगों के लिए यह दिवाली खुशियां लेकर नहीं आई है. मंदिर तो खुल चुके हैं लेकिन मंदिर के बाहर प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों के लिए अभी भी सब कुछ बंद ही दिखाई दे रहा है.
प्रदेश में मंदिर तो खुल चुके हैं लेकिन एसओपी और प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार ना तो मंदिर में प्रसाद चढ़ सकता है और न ही कोई व्यक्ति मंदिर में दिए, चुनरी चढ़ा सकता हैं. मां शूलिनी मंदिर के पुजारी रामस्वरूप शर्मा ने बताया कि सरकार के आदेशों के बाद आज से मंदिर खुले हैं, लेकिन मंदिर में प्रसाद नही चढ़ पायेगा, न ही भक्त प्रसाद ला सकेंगे. उन्होंने बताया कि मन्दिर में घंटी बजाने पर भी रोक रहेगी, ताकि कोरोना नियमों का पालन किया जा सके.
असमंजस में रेहड़ी और दुकान लगाने वाले कर्मचारी
इसी बात को लेकर मंदिरों के बाहर रेहड़ी और दुकान लगाने वाले व्यापारी परेशान हैं. मंदिर के बाहर रेहड़ी और दुकान लगाने वाले दुकानदारों का कहना है कि लॉकडाउन में तो लोग उनसे पूजा अर्चना के लिए दिए लेकर जा रहे थे, लेकिन जब से प्रदेश सरकार ने मंदिर खोलने के निर्देश दिए हैं तब से वे लोग असमंजस में हैं, क्योंकि पहले ही 6 महीनों से वे लोग श्रद्धालुओं के आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब निर्देशों के अनुसार ना तो मंदिर में कोई व्यक्ति प्रसाद ले जा सकता है और ना ही वहां दिए जला सकता है.
परिवार का गुजारा मुश्किल
मंदिर के बाहर दुकान लगाने वाले लोगों का कहना है कि वे डेढ़ साल से घाटे में ही चल रहे हैं पिछले नवरात्रि में भी उनकी दुकानें बंद रही और अब जब मंदिर भी खुल चुके हैं तो वे लोग सामान नहीं बेच पा रहे हैं. उनका कहना है कि वे पिछले डेढ़ साल से मुश्किल से अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं.
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बंद पैकेट में प्रसाद ले जाने की मिले अनुमति
दुकानदारों ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि प्रसाद तो वैसे भी बंद पैकेट में आता है. भक्तों को प्रसाद ले जानी की अनुमति दी जाए. इससे दुकानदारों का व्यापार भी चल सकेगा और भक्त प्रसाद भी घर तक ले जा सकेंगे. उन्हें प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि पिछले डेढ़ साल में ना तो उन्हें प्रशासन की तरफ से और ना ही सरकार की तरफ से किसी आर्थिक रूप में मदद मिली है और वे लोग चाहते हैं कि उनकी तरफ भी सरकार ध्यान दें ताकि वे लोग भी अपने परिवार का सही ढंग से पालन पोषण कर सकें.
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