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कोरोना महामारी भी नहीं रोक पाई देव परंपरा, 3 दिन बाद मूल स्थान को लौटी मां शूलिनी

राज्य स्तरीय शूलिनी मेला भले ही इस साल कोरोना की भेंट चढ़ा हो, लेकिन दो बहनों का मिलन जो इस मेले की खासियत है उस मिलन को कोरोना वायरस भी नहीं रोक पाया है. भले ही सूक्ष्म रूप में इस बार मां शूलिनी की शोभायात्रा उनकी बड़ी बहन दुर्गा मां के मंदिर आई हो लेकिन विधि विधान के साथ दोनों बहनों का मिलन हुआ. इसके लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए गए थे, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा जाए.

Shoolini fair
शूलिनी मां
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Published : Jun 21, 2020, 7:06 PM IST

सोलन: देवभूमि हिमाचल प्रदेश पर भले ही कोरोना महामारी की मार पड़ी हो, लेकिन देव परंपराओं और पौराणिक विधि विधान से होने वाले देवी-देवताओं के मेलों पर कोरोना अपनी नजर नहीं डाल पाया है. जिला सोलन में आयोजित होने वाला तीन दिवसीय राज्य स्तरीय शूलिनी मेला भले ही कोरोना की भेंट चढ़ा हो, लेकिन दो बहनों का मिलन जो इस मेले की खासियत है उस मिलन को कोरोना महामारी भी नहीं रोक पाई.

भले ही सूक्ष्म रूप में इस बार मां शूलिनी की शोभायात्रा उनकी बड़ी बहन दुर्गा मां के मंदिर आई हो लेकिन विधि विधान के साथ दोनों बहनों का मिलन हुआ और रविवार को 3 दिनों के बाद मां शूलिनी अपने मूल स्थान वापस लौट गई.

वीडियो

प्रशासन ने किये थे पुख्ता इंतजाम

देव परंपरा को निभाने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा जाए. लोगों को भी इन तीन दिनों में ऑनलाइन दर्शन करने को मिले, जिसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर प्रशासन का सहयोग किया. प्रशासन ने तीन दिनों तक सोलन शहर के अंदर धारा-144 लगाई थी, ताकि किसी भी तरह से लोग मंदिर के पास जाकर सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना न कर पाएं.

प्रशासन ने इस बात का भी ध्यान रखा था कि लोगों को मां शूलिनी के दर्शन करने को मिले इसके लिए प्रशासन ने लोगों की सुविधा के लिए ऑनलाइन दर्शन करवाए. वहीं, कल्याणा समिति के अध्यक्ष ठाकुर शेर सिंह ने कहा कि इस बार हुआ आयोजित मेला मां शूलिनी ने स्वीकार किया है और कहा है कि सब पर मां शूलिनी की कृपा बनी रहेगी.

पूजा अर्चना और शोभायात्रा में गिने चुने लोगों को मिली अनुमति

शहर की अधिष्ठात्री देवी शूलिनी माता को समर्पित शूलिनी मेले में इस बार कोरोना महामारी का साया छाया रहा, लेकिन जिला प्रशासन ने माता की पालकी व शोभायात्रा को निकालकर रस्म अदा की. शूलिनी माता मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई. मंदिर के पुजारी व कारदारों के साथ माता की शोभायात्रा शुरू हुई. कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए लोगों को शोभायात्रा में भाग लेने की अनुमति नहीं थी. इसलिए गिने-चुने लोग ही इसमें शामिल हुए.

हर बार लोगों को रहता है शूलिनी मेले का इंतजार

राज्यस्तरीय शूलिनी मेले के आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों सहित अन्य राज्यों के लोगों को इंतजार रहता है. लेकिन कोरोना के कारण राज्य स्तरीय मेला नहीं हो सका. तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. जगह-जगह शहर में भंडारे लगते थे. वहीं, मेलों में दुकानें व झूले लगाकर अपनी आजीविका कमाने वालों को भी इस बार निराशा ही हाथ लगी है.

सोलन: देवभूमि हिमाचल प्रदेश पर भले ही कोरोना महामारी की मार पड़ी हो, लेकिन देव परंपराओं और पौराणिक विधि विधान से होने वाले देवी-देवताओं के मेलों पर कोरोना अपनी नजर नहीं डाल पाया है. जिला सोलन में आयोजित होने वाला तीन दिवसीय राज्य स्तरीय शूलिनी मेला भले ही कोरोना की भेंट चढ़ा हो, लेकिन दो बहनों का मिलन जो इस मेले की खासियत है उस मिलन को कोरोना महामारी भी नहीं रोक पाई.

भले ही सूक्ष्म रूप में इस बार मां शूलिनी की शोभायात्रा उनकी बड़ी बहन दुर्गा मां के मंदिर आई हो लेकिन विधि विधान के साथ दोनों बहनों का मिलन हुआ और रविवार को 3 दिनों के बाद मां शूलिनी अपने मूल स्थान वापस लौट गई.

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प्रशासन ने किये थे पुख्ता इंतजाम

देव परंपरा को निभाने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा जाए. लोगों को भी इन तीन दिनों में ऑनलाइन दर्शन करने को मिले, जिसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर प्रशासन का सहयोग किया. प्रशासन ने तीन दिनों तक सोलन शहर के अंदर धारा-144 लगाई थी, ताकि किसी भी तरह से लोग मंदिर के पास जाकर सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना न कर पाएं.

प्रशासन ने इस बात का भी ध्यान रखा था कि लोगों को मां शूलिनी के दर्शन करने को मिले इसके लिए प्रशासन ने लोगों की सुविधा के लिए ऑनलाइन दर्शन करवाए. वहीं, कल्याणा समिति के अध्यक्ष ठाकुर शेर सिंह ने कहा कि इस बार हुआ आयोजित मेला मां शूलिनी ने स्वीकार किया है और कहा है कि सब पर मां शूलिनी की कृपा बनी रहेगी.

पूजा अर्चना और शोभायात्रा में गिने चुने लोगों को मिली अनुमति

शहर की अधिष्ठात्री देवी शूलिनी माता को समर्पित शूलिनी मेले में इस बार कोरोना महामारी का साया छाया रहा, लेकिन जिला प्रशासन ने माता की पालकी व शोभायात्रा को निकालकर रस्म अदा की. शूलिनी माता मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई. मंदिर के पुजारी व कारदारों के साथ माता की शोभायात्रा शुरू हुई. कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए लोगों को शोभायात्रा में भाग लेने की अनुमति नहीं थी. इसलिए गिने-चुने लोग ही इसमें शामिल हुए.

हर बार लोगों को रहता है शूलिनी मेले का इंतजार

राज्यस्तरीय शूलिनी मेले के आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों सहित अन्य राज्यों के लोगों को इंतजार रहता है. लेकिन कोरोना के कारण राज्य स्तरीय मेला नहीं हो सका. तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. जगह-जगह शहर में भंडारे लगते थे. वहीं, मेलों में दुकानें व झूले लगाकर अपनी आजीविका कमाने वालों को भी इस बार निराशा ही हाथ लगी है.

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