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टमाटर के पौधे को बीमारियों से ऐसे बचाएं किसान, नौणी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ ने बताए उपाए

हिमाचल प्रदेश में इन दिनों टमाटर की खेती जोरों पर है. सोलन जिला में लाल सोना कहे जाने वाली टमाटर की फसल पर बरसात आते ही पत्तों में पीलापन या टमाटर में काला धब्बा रोग (बकाई रॉट) लगना शुरू हो जाता है.

techniques to protect tomato plant
टमाटर के पौधे को बीमारियों से ऐसे बचाएं किसान
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Published : Jun 1, 2020, 9:50 PM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों टमाटर की खेती जोरों पर है. सोलन जिला में लाल सोना कहे जाने वाली टमाटर की फसल पर बरसात आते ही पत्तों में पीलापन या टमाटर में काला धब्बा रोग (बकाई रॉट) लगना शुरू हो जाता है.

इससे किसानों की फसल बर्बाद होने का खतरा ज्यादा रहता है. किसान अपने स्तर पर बीमारी को नियंत्रण में करने के लिए दवाओं की स्प्रे तो करते हैं, लेकिन यह बीमारी फैलती जाती है. खेतों में लगे हरे टमाटरों को भी यह बीमारी अपनी जद में लेना शुरू कर देती है

किसानों का कहना सड़ रहा है टमाटर के पौधे

सोलन जिला में मॉनसून से पहले हो रही बारिश और बढ़ रही गर्मी के बाद टमाटर के पौधे पर लगे नीचे के पत्ते पीले पड़ने के साथ सूखना शुरू हो चुके हैं. डॉ. वाई एस परमार नौणी विश्विद्यालय में वरिष्ठ पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. मणिका तोमर ने बताया कि इन दिनों हिमाचल में टमाटर की खेती जोरों पर है. आने वाले समय मे गर्मी बढ़ रही है. वहीं, साथ ही साथ बरसात भी आ रही है. इस दौरान टमाटर के पौधे में बीमारियों का लगना शुरू हो जाता है.

इस दौरान टमाटर के पौधे में जड़ से जुड़े हिस्से के पत्तों में पीलापन और दाग लगना शुरू हो जाता है. नीचले हिस्से के पत्ते झुलसना शुरू हो जाते हैं. ये पौधे के खराब होने का सकेंत है.

वीडियो

इस तरह से करे टमाटर के पौधे का बचाव

डॉ. मणिका तोमर ने बताया कि जब किसान सिंचाई करता है, तो पानी पौधे की जड़ पर जाने के बाद मिट्टी उछलती है, तो पौधे के निचले हिस्से से जुड़े पत्ते पीले होना शुरू हो जाते हैं. जिस कारण धीरे-धीरे पूरे पौधे में ये रोग फैलना शुरू हो जाता है.

इसके लिए किसान जब भी सिंचाई करे तो ध्यान दें कि अगर किसी पौधे में पीलापन और अगेता झुलसा रोग लगता है, तो पौधे से पीले पड़ चुके पत्तों को निकाल दें. नहीं तो ये रोग पूरे पौधे में फैल सकता है.

जरूरत पड़ने पर करें छिड़काव

डॉ. मणिका तोमर ने कहा कि पछेता झुलसा (बकाई रॉट रोग) पर नियंत्रण के लिए रिडोमिल एमजैडडब्ल्यूडी 2.30 ग्राम का एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. रिडोमिल एसजेड़ न मिलने पर डायथिन एस-45 का 2.30 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव कर सकते हैं.

क्या सावधानियां बरतें

किसान टमाटर की फसल को बचाने के लिए खेतों में पानी की निकासी का उचित प्रबंध करें. पौधों को सीधा खड़ा रखें, जिससे पत्ते और फल जमीन को ना छुएं. नीचे करीब आधा फुट तक के पीले पत्तों को निकाल दें. सड़े गले फलों को एकत्र करके गड्ढे में दबा दें. खेतों में साफ-सफाई का ध्यान रखें और खरपतवार को समय-समय पर निकालते रहें.

क्या हैं रोग के कारण

पिछेता झुलसा रोग तब लगता है जब बारिश से एकदम तापमान 20 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है. देखते ही देखते पौधे सूख जाते हैं. इसके अलावा काला धब्बा रोग जिसे बकाई रॉट भी कहते हैं, बारिश अधिक नमी के कारण होता है, जिसके लिए आजकल का मौसम अनुकूल है.

डॉ. मणिका तोमर का कहना है किसान आने वाले समय मे सावधनी बरतें जिससे वह अपने पौधे को बचा सकें. उनका कहना है कि अगर एक बार ये रोग पौधे को लग जाए तो इससे पूरा पौधा खराब हो सकता है. इसके लिए समय रहते टमाटर के पौधे के निचले हिस्से के पत्तों को समय रहते निकाल दें.

पढ़ें: कोरोना संक्रमण में प्रदेश में सबसे आगे हमीरपुर, लोग नहीं कर रहे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

सोलन: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों टमाटर की खेती जोरों पर है. सोलन जिला में लाल सोना कहे जाने वाली टमाटर की फसल पर बरसात आते ही पत्तों में पीलापन या टमाटर में काला धब्बा रोग (बकाई रॉट) लगना शुरू हो जाता है.

इससे किसानों की फसल बर्बाद होने का खतरा ज्यादा रहता है. किसान अपने स्तर पर बीमारी को नियंत्रण में करने के लिए दवाओं की स्प्रे तो करते हैं, लेकिन यह बीमारी फैलती जाती है. खेतों में लगे हरे टमाटरों को भी यह बीमारी अपनी जद में लेना शुरू कर देती है

किसानों का कहना सड़ रहा है टमाटर के पौधे

सोलन जिला में मॉनसून से पहले हो रही बारिश और बढ़ रही गर्मी के बाद टमाटर के पौधे पर लगे नीचे के पत्ते पीले पड़ने के साथ सूखना शुरू हो चुके हैं. डॉ. वाई एस परमार नौणी विश्विद्यालय में वरिष्ठ पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. मणिका तोमर ने बताया कि इन दिनों हिमाचल में टमाटर की खेती जोरों पर है. आने वाले समय मे गर्मी बढ़ रही है. वहीं, साथ ही साथ बरसात भी आ रही है. इस दौरान टमाटर के पौधे में बीमारियों का लगना शुरू हो जाता है.

इस दौरान टमाटर के पौधे में जड़ से जुड़े हिस्से के पत्तों में पीलापन और दाग लगना शुरू हो जाता है. नीचले हिस्से के पत्ते झुलसना शुरू हो जाते हैं. ये पौधे के खराब होने का सकेंत है.

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इस तरह से करे टमाटर के पौधे का बचाव

डॉ. मणिका तोमर ने बताया कि जब किसान सिंचाई करता है, तो पानी पौधे की जड़ पर जाने के बाद मिट्टी उछलती है, तो पौधे के निचले हिस्से से जुड़े पत्ते पीले होना शुरू हो जाते हैं. जिस कारण धीरे-धीरे पूरे पौधे में ये रोग फैलना शुरू हो जाता है.

इसके लिए किसान जब भी सिंचाई करे तो ध्यान दें कि अगर किसी पौधे में पीलापन और अगेता झुलसा रोग लगता है, तो पौधे से पीले पड़ चुके पत्तों को निकाल दें. नहीं तो ये रोग पूरे पौधे में फैल सकता है.

जरूरत पड़ने पर करें छिड़काव

डॉ. मणिका तोमर ने कहा कि पछेता झुलसा (बकाई रॉट रोग) पर नियंत्रण के लिए रिडोमिल एमजैडडब्ल्यूडी 2.30 ग्राम का एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. रिडोमिल एसजेड़ न मिलने पर डायथिन एस-45 का 2.30 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव कर सकते हैं.

क्या सावधानियां बरतें

किसान टमाटर की फसल को बचाने के लिए खेतों में पानी की निकासी का उचित प्रबंध करें. पौधों को सीधा खड़ा रखें, जिससे पत्ते और फल जमीन को ना छुएं. नीचे करीब आधा फुट तक के पीले पत्तों को निकाल दें. सड़े गले फलों को एकत्र करके गड्ढे में दबा दें. खेतों में साफ-सफाई का ध्यान रखें और खरपतवार को समय-समय पर निकालते रहें.

क्या हैं रोग के कारण

पिछेता झुलसा रोग तब लगता है जब बारिश से एकदम तापमान 20 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है. देखते ही देखते पौधे सूख जाते हैं. इसके अलावा काला धब्बा रोग जिसे बकाई रॉट भी कहते हैं, बारिश अधिक नमी के कारण होता है, जिसके लिए आजकल का मौसम अनुकूल है.

डॉ. मणिका तोमर का कहना है किसान आने वाले समय मे सावधनी बरतें जिससे वह अपने पौधे को बचा सकें. उनका कहना है कि अगर एक बार ये रोग पौधे को लग जाए तो इससे पूरा पौधा खराब हो सकता है. इसके लिए समय रहते टमाटर के पौधे के निचले हिस्से के पत्तों को समय रहते निकाल दें.

पढ़ें: कोरोना संक्रमण में प्रदेश में सबसे आगे हमीरपुर, लोग नहीं कर रहे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

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