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Scrub Typhus: सोलन के एक और स्क्रब टाइफस मरीज की मौत, IGMC अस्पताल शिमला में चल रहा था इलाज - Scrub Typhus Case in Solan

सोलन जिले के एक और मरीज की स्क्रब टाइफस से मौत हो गई. मरीज का इलाज आईजीएमसी शिमला में चल रहा था. सोलन जिले में अभी तक 4 मरीजों की स्क्रब टाइफस से हो चुकी है. वहीं, जिले में स्क्रब टाइफस के अभी तक 12 मामले सामने आए हैं. (Scrub Typhus) (IGMC Shimla) (Scrub Typhus Case in Solan)

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 9, 2023, 3:04 PM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश में लगातार स्क्रब टाइफस के मामले सामने आ रहे हैं. साथ ही इससे मौत का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. अभी तक जिला सोलन के चार लोगों की मौत स्क्रब टाइफस से हो चुकी है. जिला में अभी तक स्क्रब टाइफस के कुल 12 मामले सामने आए हैं. आज जिल स्क्रब टाइफस मरीज की मौत हुई है, उसका इलाज आईजीएमसी शिमला में चल रहा था.

सोलन में चार मरीजों की मौत: सोलन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अमित रंजन ने बताया स्क्रब टाइफस एक कीड़े के काटने से होने वाली बीमारी है, जो आमतौर पर घास में पाया जाता है. ग्रामीण लोग जो पशुओं के लिए चारा लेने के लिए जाते हैं, अक्सर उन्हें यह कीड़ा काट लेता है. ऐसे में इसके काटने से बुखार जैसे लक्षण सामने आते हैं और थकावट महसूस होती है. इस तरह के चार मामले सोलन में सामने आए थे, जिन्हें आईजीएमसी अस्पताल रेफर किया गया था और चारों मरीजों की मौत हो चुकी है. स्क्रब टाइफस के प्रति लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. ताकि इसके प्रति सावधानी बरती जा सके.

घास में पाया जाता है कीड़ा: बरसात हो या फिर कोई भी सीजन सोलन जिला में शहर व गांव के लोग, जिन्होंने घर में पशु रखे हुए हैं. उन्हें घास के लिए जंगलों में जाना पड़ रहा है. ऐसे लोगों के स्क्रब की चपेट में आने की ज्यादा आशंका रहती है. इसलिए स्क्रब के फैलने के बाद लोग ज्यादा डरे हुए हैं.

स्क्रब टाइफस के कारण: स्क्रब टाइफस की बीमारी एक विशेष कीड़े के डंक से होती है. थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा जब शरीर में प्रवेश करता है, तो उससे शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. यहा कीट खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है.

स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस के लक्षणों में मरीज को तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और शरीर टूटता है. मरीजों को इस इन लक्षण होने पर शीघ्र अस्पताल में आकर स्क्रब का टेस्ट करवाना चाहिए. मरीज का जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उसे बचने की उम्मीद उतनी ही ज्यादा रहती है. लोगों को इस तरह के लक्षण दिखते ही अस्पताल आना चाहिए.

स्क्रब टाइफस के रोकथाम: स्क्रब टाइफस होने पर मरीजों को साफ-सुथरे कपड़े पहनाएं. घर के बाहर जाते समय बच्चों को जूते पहनने चाहिए. बगीचों में झाड़ियों के आसपास नहीं जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: Scrub Typhus: हिमाचल में तेजी से फैल रहा स्क्रब टाइफस, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

सोलन: हिमाचल प्रदेश में लगातार स्क्रब टाइफस के मामले सामने आ रहे हैं. साथ ही इससे मौत का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. अभी तक जिला सोलन के चार लोगों की मौत स्क्रब टाइफस से हो चुकी है. जिला में अभी तक स्क्रब टाइफस के कुल 12 मामले सामने आए हैं. आज जिल स्क्रब टाइफस मरीज की मौत हुई है, उसका इलाज आईजीएमसी शिमला में चल रहा था.

सोलन में चार मरीजों की मौत: सोलन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अमित रंजन ने बताया स्क्रब टाइफस एक कीड़े के काटने से होने वाली बीमारी है, जो आमतौर पर घास में पाया जाता है. ग्रामीण लोग जो पशुओं के लिए चारा लेने के लिए जाते हैं, अक्सर उन्हें यह कीड़ा काट लेता है. ऐसे में इसके काटने से बुखार जैसे लक्षण सामने आते हैं और थकावट महसूस होती है. इस तरह के चार मामले सोलन में सामने आए थे, जिन्हें आईजीएमसी अस्पताल रेफर किया गया था और चारों मरीजों की मौत हो चुकी है. स्क्रब टाइफस के प्रति लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. ताकि इसके प्रति सावधानी बरती जा सके.

घास में पाया जाता है कीड़ा: बरसात हो या फिर कोई भी सीजन सोलन जिला में शहर व गांव के लोग, जिन्होंने घर में पशु रखे हुए हैं. उन्हें घास के लिए जंगलों में जाना पड़ रहा है. ऐसे लोगों के स्क्रब की चपेट में आने की ज्यादा आशंका रहती है. इसलिए स्क्रब के फैलने के बाद लोग ज्यादा डरे हुए हैं.

स्क्रब टाइफस के कारण: स्क्रब टाइफस की बीमारी एक विशेष कीड़े के डंक से होती है. थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा जब शरीर में प्रवेश करता है, तो उससे शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. यहा कीट खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है.

स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस के लक्षणों में मरीज को तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और शरीर टूटता है. मरीजों को इस इन लक्षण होने पर शीघ्र अस्पताल में आकर स्क्रब का टेस्ट करवाना चाहिए. मरीज का जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उसे बचने की उम्मीद उतनी ही ज्यादा रहती है. लोगों को इस तरह के लक्षण दिखते ही अस्पताल आना चाहिए.

स्क्रब टाइफस के रोकथाम: स्क्रब टाइफस होने पर मरीजों को साफ-सुथरे कपड़े पहनाएं. घर के बाहर जाते समय बच्चों को जूते पहनने चाहिए. बगीचों में झाड़ियों के आसपास नहीं जाना चाहिए.

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