ETV Bharat / state

हिमाचल के परवाणू में बनेगी होगी प्रदेश की पहली फूल मंडी, पुष्प उत्पादकों को मिलेगी सुविधा

हिमाचल के पुष्प उत्पादकों को खेती के बाद बेचने के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में मंडी बनाने के लिए कवायद शुरू हो गई है. प्रदेश के पुष्प उत्पादकों को यह सुविधा परवाणू मिलनी शुरू हो जाएगी.

the first flower market of the state
फोटो.
author img

By

Published : Apr 27, 2021, 9:38 PM IST

कसौली/सोलनः हिमाचल के पुष्प उत्पादकों को खेती के बाद बेचने के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. इसके लिए प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में ही सुविधा मिलेगी और यहां पर हिमाचल प्रदेश की पहली पुष्प मंडी तैयार की जानी है. मंडी बनाने के लिए कवायद शुरू हो गई है.

परवाणू में बनेगी फूलों की मंडी

परवाणू में अक्टूबर तक मंडी शुरू होने के लिए कार्य चल रहा है. इससे प्रदेश के पुष्प उत्पादकों को यह सुविधा यहीं मिलनी शुरू हो जाएगी. प्रदेश के साथ-साथ सोलन जिला में बडे़ स्तर पर महंगे फूलों की खेती होती है. इसलिए पुष्प उत्पादकों को यह सौगात किसी उपहार से कम नहीं है.

प्रदेश में होती है फूलों की कई किस्मों की खेती

प्रदेश के क्षेत्रों में फूलों की ट्यूलिप, लीलियम, कारनेशन, गलेडियोलस, गुलदाउदी, गुडेशिया, गुलाब, एस्ट्रोमेरिया समेत कई किस्मों की खेती हो रही है.

फूलों की खेती में अग्रणी क्षेत्र

चायल, महोग, झाझा, दंघील, कुरगल, साधुपुल के अलावा सोलन जिला के वाकनाघाट, अर्की, कुनिहार, धर्मपुर, कसौली-गढ़खल व बीबीएन में भी फूलों की खेती हो रही है.

प्रदेश में सोलन से शुरू हुई फूलों की खेती

प्रदेश में सोलन जिला को फूलों की खेती का जनक माना जाता है. सोलन जिला के चायल क्षेत्र से शुरू हुई फूलों की खेती अब प्रदेश में प्रतिवर्ष 100-150 करोड़ से अधिक कारोबार कर रही है.यहां की जलवायु में फूलों की खेती की आपार संभावनाएं हैं. हिमाचल में बेमौसमी फूलों की खेती होती है, जिसकी उत्तरी भारत की मंडियों में भारी मांग रहती है. प्रदेश के किसान अब फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. लघु और सीमांत किसानों के लिए भी फूलों की खेती कारगर साबित हो रही है. किसान कम स्थान पर फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं.

80 के दशक में शुरू हुआ विदेशी फूलों का कारोबार

चायल के दोची में 80 के दशक में विदेशी फूल उगाए गए. दोची के साथ लगते महोग गांव के लोगों ने फूलों की खेती को अपनाया. फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग ने यहां अपना सेंटर खोला ताकि पुष्प उत्पादकों को तकनीकी जानकारी मिल सकें. चायल क्षेत्र में फूलों की अच्छी पैदावार को देखते हुए उद्यान विभाग ने वर्ष 1994-95 में महोग बाग को आदर्श पुष्प केंद्र बनाया, जिसमें किसानों को फूलों की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है.

एपीएमसी सोलन के सचिव ने दी जानकारी

एपीएमसी सोलन के सचिव डॉ. रविंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश की पहली फूल मंडी परवाणू में स्थापित होने जा रही है. परवाणू में प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी, प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. डेजी ठाकुर व एपीएमसी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप व प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के एमडी नरेश ठाकुर आदि ने इस मंडी की तैयारियों का जायजा लिया. बलदेव भंडारी ने निर्देश दिए कि 30 जून से पहले इस मंडी का कार्य पूरा किया जाए.

ये भी पढ़ें: पंजाब, जम्मू और चंडीगढ़ के लिए ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है हिमाचल, प्रदेश में कम खपत

कसौली/सोलनः हिमाचल के पुष्प उत्पादकों को खेती के बाद बेचने के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. इसके लिए प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में ही सुविधा मिलेगी और यहां पर हिमाचल प्रदेश की पहली पुष्प मंडी तैयार की जानी है. मंडी बनाने के लिए कवायद शुरू हो गई है.

परवाणू में बनेगी फूलों की मंडी

परवाणू में अक्टूबर तक मंडी शुरू होने के लिए कार्य चल रहा है. इससे प्रदेश के पुष्प उत्पादकों को यह सुविधा यहीं मिलनी शुरू हो जाएगी. प्रदेश के साथ-साथ सोलन जिला में बडे़ स्तर पर महंगे फूलों की खेती होती है. इसलिए पुष्प उत्पादकों को यह सौगात किसी उपहार से कम नहीं है.

प्रदेश में होती है फूलों की कई किस्मों की खेती

प्रदेश के क्षेत्रों में फूलों की ट्यूलिप, लीलियम, कारनेशन, गलेडियोलस, गुलदाउदी, गुडेशिया, गुलाब, एस्ट्रोमेरिया समेत कई किस्मों की खेती हो रही है.

फूलों की खेती में अग्रणी क्षेत्र

चायल, महोग, झाझा, दंघील, कुरगल, साधुपुल के अलावा सोलन जिला के वाकनाघाट, अर्की, कुनिहार, धर्मपुर, कसौली-गढ़खल व बीबीएन में भी फूलों की खेती हो रही है.

प्रदेश में सोलन से शुरू हुई फूलों की खेती

प्रदेश में सोलन जिला को फूलों की खेती का जनक माना जाता है. सोलन जिला के चायल क्षेत्र से शुरू हुई फूलों की खेती अब प्रदेश में प्रतिवर्ष 100-150 करोड़ से अधिक कारोबार कर रही है.यहां की जलवायु में फूलों की खेती की आपार संभावनाएं हैं. हिमाचल में बेमौसमी फूलों की खेती होती है, जिसकी उत्तरी भारत की मंडियों में भारी मांग रहती है. प्रदेश के किसान अब फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. लघु और सीमांत किसानों के लिए भी फूलों की खेती कारगर साबित हो रही है. किसान कम स्थान पर फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं.

80 के दशक में शुरू हुआ विदेशी फूलों का कारोबार

चायल के दोची में 80 के दशक में विदेशी फूल उगाए गए. दोची के साथ लगते महोग गांव के लोगों ने फूलों की खेती को अपनाया. फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग ने यहां अपना सेंटर खोला ताकि पुष्प उत्पादकों को तकनीकी जानकारी मिल सकें. चायल क्षेत्र में फूलों की अच्छी पैदावार को देखते हुए उद्यान विभाग ने वर्ष 1994-95 में महोग बाग को आदर्श पुष्प केंद्र बनाया, जिसमें किसानों को फूलों की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है.

एपीएमसी सोलन के सचिव ने दी जानकारी

एपीएमसी सोलन के सचिव डॉ. रविंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश की पहली फूल मंडी परवाणू में स्थापित होने जा रही है. परवाणू में प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी, प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. डेजी ठाकुर व एपीएमसी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप व प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के एमडी नरेश ठाकुर आदि ने इस मंडी की तैयारियों का जायजा लिया. बलदेव भंडारी ने निर्देश दिए कि 30 जून से पहले इस मंडी का कार्य पूरा किया जाए.

ये भी पढ़ें: पंजाब, जम्मू और चंडीगढ़ के लिए ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है हिमाचल, प्रदेश में कम खपत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.