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दिमागी नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने में हिरेशियम मशरूम फायदेमंद, ऐसे होती है खेती

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Published : Oct 31, 2019, 11:25 PM IST

देश के इकलौते राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने मशरूम की ऐसी प्रजाति को तैयार किया है जो कि आपके नर्वस सिस्टम को कभी भी बिगड़ने नहीं देगा और साथ ही आपकी याददाश्त को दुरुस्त रखेगा.

हीरेशियम मशरूम

सोलन: दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए अब आपको दवाइयों और टॉनिक की जरूरत नहीं है. देश के इकलौते राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने मशरूम की ऐसी प्रजाति को तैयार किया है जो कि आपके नर्वस सिस्टम को कभी भी बिगड़ने नहीं देगा और साथ ही आपकी याददाश्त को दुरुस्त रखेगा.

खुम्भ निदेशालय ने इस प्रजाति को हीरेशियम नाम दिया है. केंद्र के वैज्ञानिकों ने चार साल की कड़ी मेहनत के बाद मशरूम की इस प्रजाति को तैयार करने में सफलता पाई है. अब जल्द ही इसे मार्केट में उतारने की तैयारी की जा रही है.

वीडियो.

अनुसंधान निदेशालय के मशरूम वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम प्रजाति कि मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है. इसमें बीटागम, ग्लूकॉन, साईकेन, हरेशिमान तत्व पाया जाता है जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद है.इस मशरूम का सेवन करने से इंसान के सोचने की शक्ति बढ़ती है और इसमें विटामिन-डी भी भरपूर मात्रा में पाई जाती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है.

हीरेशियम मशरूम
हीरेशियम मशरूम

लकड़ी के बुरादे में उगाई जाती हिरेशियम मशरूम
वैज्ञानिक सतीश शर्मा ने बताया कि इस मशरूम को लकड़ी के बुरादे में उगाया जाता है. ब्लॉक बनाने के बाद इसमें मशरूम का बीज डाला जाता है, और इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है, थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 23 से 25 डिग्री तापमान में रखा जाता है जहां ये प्रजाति 35 से 40 दिन में तैयार हो जाती है.

हीरेशियम मशरूम
हीरेशियम मशरूम

बता दें कि हिरेशियम मशरूम जल्द ही लोगों के लिए बाजार में उपलब्ध करवा दिया जाएगा. कुम्भ अनुसंधान केंद्र में इसकी कीमत 150 रुपये किलो है. डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम मशरूम की बारे में लोग जानकारी प्राप्त करके इसकी खेती कर आजीविका का साधन बना रहे हैं, उन्होंने कहा कि उत्तरी भारत के लोग ज्यादातर इस मशरूम के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए रुचि दिखा रहे हैं.

अब तक करीब 60 किसान अनुसंधान केंद्र में इसकी जानकारी प्राप्त कर चुके हैं. सतीश शर्मा ने बताया कि ग्रामीण महिलाएं और बेरोजगार युवा मशरूम कि इस प्रजाति की खेती करके घर बैठे अच्छी आजीविका कमा सकते हैं. मशरूम की इस प्रजाति की खेती कम लागत से होती है.

सोलन: दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए अब आपको दवाइयों और टॉनिक की जरूरत नहीं है. देश के इकलौते राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने मशरूम की ऐसी प्रजाति को तैयार किया है जो कि आपके नर्वस सिस्टम को कभी भी बिगड़ने नहीं देगा और साथ ही आपकी याददाश्त को दुरुस्त रखेगा.

खुम्भ निदेशालय ने इस प्रजाति को हीरेशियम नाम दिया है. केंद्र के वैज्ञानिकों ने चार साल की कड़ी मेहनत के बाद मशरूम की इस प्रजाति को तैयार करने में सफलता पाई है. अब जल्द ही इसे मार्केट में उतारने की तैयारी की जा रही है.

वीडियो.

अनुसंधान निदेशालय के मशरूम वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम प्रजाति कि मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है. इसमें बीटागम, ग्लूकॉन, साईकेन, हरेशिमान तत्व पाया जाता है जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद है.इस मशरूम का सेवन करने से इंसान के सोचने की शक्ति बढ़ती है और इसमें विटामिन-डी भी भरपूर मात्रा में पाई जाती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है.

हीरेशियम मशरूम
हीरेशियम मशरूम

लकड़ी के बुरादे में उगाई जाती हिरेशियम मशरूम
वैज्ञानिक सतीश शर्मा ने बताया कि इस मशरूम को लकड़ी के बुरादे में उगाया जाता है. ब्लॉक बनाने के बाद इसमें मशरूम का बीज डाला जाता है, और इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है, थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 23 से 25 डिग्री तापमान में रखा जाता है जहां ये प्रजाति 35 से 40 दिन में तैयार हो जाती है.

हीरेशियम मशरूम
हीरेशियम मशरूम

बता दें कि हिरेशियम मशरूम जल्द ही लोगों के लिए बाजार में उपलब्ध करवा दिया जाएगा. कुम्भ अनुसंधान केंद्र में इसकी कीमत 150 रुपये किलो है. डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम मशरूम की बारे में लोग जानकारी प्राप्त करके इसकी खेती कर आजीविका का साधन बना रहे हैं, उन्होंने कहा कि उत्तरी भारत के लोग ज्यादातर इस मशरूम के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए रुचि दिखा रहे हैं.

अब तक करीब 60 किसान अनुसंधान केंद्र में इसकी जानकारी प्राप्त कर चुके हैं. सतीश शर्मा ने बताया कि ग्रामीण महिलाएं और बेरोजगार युवा मशरूम कि इस प्रजाति की खेती करके घर बैठे अच्छी आजीविका कमा सकते हैं. मशरूम की इस प्रजाति की खेती कम लागत से होती है.

Intro:दिमागी नसें खोलने औऱ यादाश्त बढ़ाने में हिरेशियम मशरूम फायदेमंद

:- नर्वस सिस्टम और बॉडी इम्यूनिटी सिस्टम को करता है इम्प्रूव

:- कम लागत की इस मशरूम की खेती से बेरोजगार युवा और महिलाये के लिए बन सकता है आजीविका का साधन

दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए अब आपको दवाइयां और टॉनिक की जरूरत नहीं है। देश के इकलौते राष्ट्रीय खूब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने मशरूम की ऐसी प्रजाति को तैयार किया है जो कि आपके नर्वस सिस्टम को कभी भी बिगड़ने नहीं देगा साथ ही आपको भूलने की बीमारी को भी दूर करेगा।

ख़ुम्भ निदेशालय ने इस प्रजाति को हीरेशियम नाम दिया है,केंद्र के वैज्ञानिकों ने 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद सफलता पाई है। अब जल्द ही इसे मार्केट में उतारने की भी तैयारी की जा रही है।

खुम्भ अनुसंधान निदेशालय के मशरूम वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम प्रजाति कि मशरुम औषधीय गुणों से भरपूर है इसमें बीटागम ,ग्लूकॉन, साईकेन, हरेशिमान तत्व पाया जाता है जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद होता है। इससे इंसान की सोचने की शक्ति बढ़ती है इसमें विटामिन-डी भी भरपूर मात्रा में है जो हड्डियों को मजबूत बनाती है, इसका सेवन अन्य मशरूम की तरह भोजन के लिए किया जा सकता है।


Body:लकड़ी के बुरादे में उगाई जाती हिरेशियम मशरूम:-
वैज्ञानिक सतीश शर्मा ने बताया कि इस मशरूम को लकड़ी के बुरादे में उगाया जाता है । ब्लॉक बनाने के बाद इसमें मशरूम का बीज डाला जाता है, और इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है, थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 23 से 25 डिग्री तापमान में रखते हैं ।यह मशरूम 35 से 40 दिन में तैयार हो जाती है।

150 रुपये किलो है बाजार में कीमत:-
हिरेशियम मशरूम आसानी से लोगों को बाजार में भी उपलब्ध करवाई जा रही है वही कुंभ अनुसंधान केंद्र में इससे 150 रुपए किलो के भाव से लोगों को दिया जा रहा है।




Conclusion:
ट्रेनिंग लेकर इसे बना रहे है आय का साधन:-
डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम मशरूम की बारे में लोग जानकारी प्राप्त करके,इसकी खेती कर आजीविका का साधन बना रहे हैं, उन्होंने कहा कि उत्तरी भारत के लोग ज्यादातर इस मशरूम के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए रुचि दिखा रहे हैं।उन्होंने बताया कि अभी तक 50-60 लोग इस बारे में जानकारी हासिल कर चुके हैं।


ग्रामीण महिलाओं और बेरोजगार युवाओं के लिए बन सकता है आजीविका का सहारा:-
डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि ग्रामीण महिलाएं और बेरोजगार युवा मशरूम कि इस प्रजाति की खेती करके अच्छी मात्रा में आजीविका कमा सकते हैं क्योंकि यह खेती कम लागत के साधनों से तैयार की जाती है।
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