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हिमाचल में मौसम की बेरुखी, बारिश-बर्फबारी नहीं होने से बागवान परेशान, नहीं हो रही नए पौधों की खरीद

हिमाचल में इस साल मौसम की बेरुखी देखने को मिल रही है. इस सीजन में हिमाचल में बर्फबारी और बारिश नहीं होने से किसान और बागवान परेशान हैं. वहीं, नौणी विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए स्टोन फ्रूट्स और सेब के पौधे की खरीद में कमी देखी जा रही है.

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हिमाचल में मौसम की बेरुखी
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 18, 2024, 5:34 PM IST

Updated : Jan 18, 2024, 7:48 PM IST

हिमाचल में मौसम की बेरुखी

सोलन: हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी नहीं होने से सभी लोग परेशान हैं. न तो पर्यटक हिमाचल का रुख कर पा रहे हैं और न ही फसलों के लिए मौसम अनुकूल है. बारिश और बर्फबारी न होने से सबसे ज्यादा परेशान इन दिनों किसान और बागवान हैं. क्योंकि नए पौधे चाहे वो स्टोन फ्रूट्स के हो या फिर सेब के उन्हें लगाने के लिए अभी किसान और बागवानों को इंतजार करना पड़ रहा है. किसान और बागवानों बड़ी बेसब्री से बारिश और बर्फबारी का इंतजार कर रहे है.

इन दिनों डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी परिसर और विश्वविद्यालय के अन्य केंद्रों पर सेब सहित स्टोन फ्रूट के पौधे की बिक्री की जा रही है, लेकिन बारिश और बर्फबारी नहीं होने से किसान बागवान सेब के पौधे लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. सभी बिक्री केंद्रों पर अभी सिर्फ 50% ही सेब के पौधों को किसान और बागवानों ने खरीदा है. जबकि अभी तक विश्वविद्यालय यह अनुमान लगा रहा था कि सभी पौधों की बिक्री हो जाएगी.

समय से बारिश और बर्फबारी न होने के चलते किसान और बागवान इन पौधों को लेने से डर रहे हैं. उन्हें डर सता रहा है कि अगर बारिश-बर्फबारी समय से नहीं हुई तो उनके लिए हुए पौधे खराब हो जायेंगे. बता दें कि नौणी विश्वविद्यालय द्वारा इस साल सवा दो लाख पौधे तैयार किए गए हैं, जिनमें से सिर्फ लगभग एक लाख ही पौधे बिक पाए है.

नौणी विश्वविद्यालय के फल विज्ञान विभाग के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ धर्मपाल शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नौणी विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर और अन्य केंद्र पर इस बार 11 दिसंबर 2023 से पौधों की बिक्री को शुरू किया गया था. जिनमें स्टोन फ्रूटस और सेब के पौधे शामिल थे, लेकिन स्टोन फ्रूटस के मुकाबले सेब के पौधों की बिक्री कम हुई है.

उन्होंने कहा इसका कारण समय से बारिश और बर्फबारी न होना है. किसान और बागवान बारिश-बर्फबारी का इंतजार कर रहे हैं. किसान सोच रहे हैं कि कब बारिश होगी और कब वे पौधे लेंगे? वहीं, किसानों को डर सता रहा है कि बारिश और बर्फबारी नहीं होती है तो उनके द्वारा लिए गए पौधे कहीं खराब न हो जाए.

वहीं, किन्नौर से पौधे लेने नौणी विश्वविद्यालय पहुंचे सेब बागवानों ने बताया कि इस बार समय से बर्फबारी और बारिश नहीं हो पा रही है, जिससे वे लोग सेब के पौधों की खरीद नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा नालों का पानी इन दिनों जमना शुरू हो चुका है. वहीं, वे लोग अगर यह पौधे ले भी लेते है तो बारिश-बर्फबारी कब तक होगी? इसका कोई भी अंदाजा नहीं है.

बता दें कि नौणी विश्वविद्यालय की ओर से किसान बागवानों को सेब, कीवी, पलम, खुरमानी, आड़ू, अखरोट, चेरी, आनर, नेक्टरिन, परसिमन, पेकननट, अंगूर, नाशपती के पौधे उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. इन पौधों की बिक्री नौणी विवि के अंतर्गत आने वाले सोलन के कृषि विकास केंद्र कंडाघाट, किन्नौर के केवीके शारबो, लाहौल स्पीति के केवीके ताबो, शिमला के केवीके रोहड़ू, केवीके चंबा और क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र बजौरा और मशोबरा में की जा रही है.

ये भी पढ़ें: औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा देश में सबसे दूषित, ड्राई स्पेल की मार से बढ़ रहा खतरा

हिमाचल में मौसम की बेरुखी

सोलन: हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी नहीं होने से सभी लोग परेशान हैं. न तो पर्यटक हिमाचल का रुख कर पा रहे हैं और न ही फसलों के लिए मौसम अनुकूल है. बारिश और बर्फबारी न होने से सबसे ज्यादा परेशान इन दिनों किसान और बागवान हैं. क्योंकि नए पौधे चाहे वो स्टोन फ्रूट्स के हो या फिर सेब के उन्हें लगाने के लिए अभी किसान और बागवानों को इंतजार करना पड़ रहा है. किसान और बागवानों बड़ी बेसब्री से बारिश और बर्फबारी का इंतजार कर रहे है.

इन दिनों डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी परिसर और विश्वविद्यालय के अन्य केंद्रों पर सेब सहित स्टोन फ्रूट के पौधे की बिक्री की जा रही है, लेकिन बारिश और बर्फबारी नहीं होने से किसान बागवान सेब के पौधे लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. सभी बिक्री केंद्रों पर अभी सिर्फ 50% ही सेब के पौधों को किसान और बागवानों ने खरीदा है. जबकि अभी तक विश्वविद्यालय यह अनुमान लगा रहा था कि सभी पौधों की बिक्री हो जाएगी.

समय से बारिश और बर्फबारी न होने के चलते किसान और बागवान इन पौधों को लेने से डर रहे हैं. उन्हें डर सता रहा है कि अगर बारिश-बर्फबारी समय से नहीं हुई तो उनके लिए हुए पौधे खराब हो जायेंगे. बता दें कि नौणी विश्वविद्यालय द्वारा इस साल सवा दो लाख पौधे तैयार किए गए हैं, जिनमें से सिर्फ लगभग एक लाख ही पौधे बिक पाए है.

नौणी विश्वविद्यालय के फल विज्ञान विभाग के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ धर्मपाल शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नौणी विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर और अन्य केंद्र पर इस बार 11 दिसंबर 2023 से पौधों की बिक्री को शुरू किया गया था. जिनमें स्टोन फ्रूटस और सेब के पौधे शामिल थे, लेकिन स्टोन फ्रूटस के मुकाबले सेब के पौधों की बिक्री कम हुई है.

उन्होंने कहा इसका कारण समय से बारिश और बर्फबारी न होना है. किसान और बागवान बारिश-बर्फबारी का इंतजार कर रहे हैं. किसान सोच रहे हैं कि कब बारिश होगी और कब वे पौधे लेंगे? वहीं, किसानों को डर सता रहा है कि बारिश और बर्फबारी नहीं होती है तो उनके द्वारा लिए गए पौधे कहीं खराब न हो जाए.

वहीं, किन्नौर से पौधे लेने नौणी विश्वविद्यालय पहुंचे सेब बागवानों ने बताया कि इस बार समय से बर्फबारी और बारिश नहीं हो पा रही है, जिससे वे लोग सेब के पौधों की खरीद नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा नालों का पानी इन दिनों जमना शुरू हो चुका है. वहीं, वे लोग अगर यह पौधे ले भी लेते है तो बारिश-बर्फबारी कब तक होगी? इसका कोई भी अंदाजा नहीं है.

बता दें कि नौणी विश्वविद्यालय की ओर से किसान बागवानों को सेब, कीवी, पलम, खुरमानी, आड़ू, अखरोट, चेरी, आनर, नेक्टरिन, परसिमन, पेकननट, अंगूर, नाशपती के पौधे उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. इन पौधों की बिक्री नौणी विवि के अंतर्गत आने वाले सोलन के कृषि विकास केंद्र कंडाघाट, किन्नौर के केवीके शारबो, लाहौल स्पीति के केवीके ताबो, शिमला के केवीके रोहड़ू, केवीके चंबा और क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र बजौरा और मशोबरा में की जा रही है.

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Last Updated : Jan 18, 2024, 7:48 PM IST
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