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Mushroom की दुनिया में DMR का नया शोध, ईजाद किया कैंसर से लड़ने वाला ग्राइफोला मशरूम - Mushroom Center Solan News

खुम्ब अनुसंधान केंद्र मशरूम की नई प्रजातियां की खोज करके देशभर को इससे परिचित करवाता है. इसी कड़ी में करीब 4 सालों की मेहनत के बाद खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने कैंसर से लड़ने वाली एक नई मशरूम (Mushroom) ईजाद की है. जिसका नाम ग्राइफोला मशरूम. जापान और चीन के लोग सैकड़ों वर्षों से इस मशरूम का उपयोग विभिन्न प्रकार के औषधीय उद्देश्यों के लिए करते आए हैं. वहीं, कैंसर के इलाज में इसका उपयोग और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग होता है.

Grifola mushroom solan news, ग्राइफोला मशरूम सोलन न्यूज
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Published : Feb 28, 2021, 5:19 PM IST

Updated : Mar 1, 2021, 8:16 AM IST

सोलन: मशरूम की नई प्रजातियों से अवगत करवाने के लिए खुम्ब अनुसंधान केंद्र को देश भर में जाना जाता है. खुम्ब अनुसंधान केंद्र (Directorate of Mushroom Research) मशरूम की नई प्रजातियां की खोज करके देशभर को इससे परिचित करवाता है. इसी कड़ी में करीब 4 सालों की मेहनत के बाद खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने कैंसर से लड़ने वाला एक नया मशरूम ईजाद किया है. जिसका नाम है ग्राइफोला मशरूम.

ग्राइफोला मशरूम को मैटाके मशरूम और शीशेड मशरूम के रूप में भी जाना जाता है. इनमें से कुछ मशरूम का वजन 10 पाउंड यानी (4.54) किलोग्राम या उससे अधिक भी होता है. इसमें लहराती हल्की भूरी टोपी होती है और यह आमतौर पर ओक के पेड़ के आधार पर पाई जाती है.

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ग्राइफोला मशरूम.

जापान और चीन सैंकड़ो वर्षों से कर रहे हैं इस मशरूम का उपयोग

बता दें कि जापान और चीन के लोग सैकड़ों वर्षों से इस मशरूम (Mushroom) का उपयोग विभिन्न प्रकार के औषधीय उद्देश्यों के लिए करते आए हैं. जिनमें उच्च रक्तचाप, गठिया और पाल्सी के उपचार शामिल है. कैंसर के इलाज में इसका उपयोग और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग होता है.

वीडियो रिपोर्ट.

ग्राइफोला मशरूम में कई विटामिन और खनिज होते हैं. कई व्यंजनों में इसका उपयोग किया जाता है. यह मैग्नेशियम, कैल्शियम और पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है. ग्राइफोला फ्रोडोसा मशरूम में बी और डी विटामिन के साथ-साथ नियासिन भी होता है.

जापान में व्यवहारिक स्तर पर होती है इसकी खेती

पारंपरिक जापानी दवा ने मशरूम (Mushroom) का उपयोग उच्च रक्तचाप के उपचार और प्रतिरक्षा प्रणाली को ऊंचा करने के लिए किया. इसका उपयोग कोलेस्ट्रॉल को स्तर को कम कर के हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए भी किया जाता है. मैटाके मशरूम यानी ग्राइफोला फ्रोडोसा मशरूम की खेती जापान में व्यवहारिक स्तर पर हो रही है. इस मशरूम से 'ग्रीफोन नामक दवा बनाई जाती है. इसमें प्रचुर मात्रा में उपस्थित बीटा-1, 6-डी. ग्लूकॉन शरीर की कैंसर व अन्य रोगरोधी क्षमता को बढ़ाता है.

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ग्राइफोला मशरूम.

4 सालों की मेहनत लाई रंग

खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा की मानें तो ग्राइफोला मशरूम की खोज करने में खुम्ब अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों को करीब 4 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा. उन्होंने कहा कि यह मशरूम ज्यादातर चीन में इस्तेमाल की जाती है, लेकिन अब लंबे शोध के अंतराल के बाद भारत में भी इस प्रजाति को ईजाद किया गया है.

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ग्राइफोला मशरूम.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: अपना वजूद खो रही टांकरी, यतिन ने संभाला लिपि को बचाने का जिम्मा

उन्होंने बताया कि ग्राइफोला मशरूम जंगलों में पाई जाती थी, लेकिन अब किसान इसे घर पर ही लकड़ी के उत्पाद का इस्तेमाल कर इसकी खेती कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि यह मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है विश्व स्तर पर अगर इस मशरूम की बात की जाए तो कैंसर से लड़ने वाली गेनोडर्मा मशरूम के बाद इस मशरूम का विश्व भर में दूसरा नंबर आता है. उन्होंने कहा कि खुम्ब अनुसंधान केंद्र में मशरूम की खेती विकसित हो चुकी है और आने वाले समय में किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा.

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ग्राइफोला मशरूम.

कैंसर, डायबिटीज और लंग्स की बीमारी के लिए फायदेमंद

इस मशरूम के औषधीय गुणों के बारे में बातचीत करते हुए मशरूम वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि वैसे तो दवाइयों के तौर पर इस्तेमाल होने वाली मशरूम बहुत है, लेकिन ग्राइफोला मशरूम कैंसर (Cancer) से लड़ने के लिए विश्व भर में जानी जाती है. इस मशरूम में एंटी डायबटिक, एंटी कैंसर (Anti cancer) और लंग्स जैसी बीमारियों को ठीक करने के औषधीय गुण मौजूद हैं.

सब्जी बनाकर और पाउडर के रूप में भी कर सकते हैं इस्तेमाल

उन्होंने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर जितनी भी मशरूम हैं उन्हें लोग सब्जी बना कर खा नहीं सकते हैं, लेकिन इस ग्राइफोला मशरूम को लोग खा भी सकते हैं और यदि इस मशरूम का उपयोग लोग लंबे समय तक करना चाहते हैं तो इसे सुखाकर इसका पाउडर बनाकर भी ले सकते हैं.

बता दें कि खुम्ब अनुसंधान केंद्र अभी तक करीब 10 से 15 ऐसे औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम को इजाद कर चुका है जो कैंसर, एड्स, इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने, नर्वस सिस्टम को ठीक करने, स्टेमिना बढ़ाने जैसी बीमारियों के इस्तेमाल की जाती है. खुम्ब अनुसंधान केंद्र देश का ऐसा इकलौता केंद्र है जहां पर मशरूम की नई-नई किस्में ईजाद कर इसके बारे में किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- मंडी में 800 मीटर गहरी खाई में गिरी कार, दर्दनाक हादसे में 3 की मौके पर मौत

सोलन: मशरूम की नई प्रजातियों से अवगत करवाने के लिए खुम्ब अनुसंधान केंद्र को देश भर में जाना जाता है. खुम्ब अनुसंधान केंद्र (Directorate of Mushroom Research) मशरूम की नई प्रजातियां की खोज करके देशभर को इससे परिचित करवाता है. इसी कड़ी में करीब 4 सालों की मेहनत के बाद खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने कैंसर से लड़ने वाला एक नया मशरूम ईजाद किया है. जिसका नाम है ग्राइफोला मशरूम.

ग्राइफोला मशरूम को मैटाके मशरूम और शीशेड मशरूम के रूप में भी जाना जाता है. इनमें से कुछ मशरूम का वजन 10 पाउंड यानी (4.54) किलोग्राम या उससे अधिक भी होता है. इसमें लहराती हल्की भूरी टोपी होती है और यह आमतौर पर ओक के पेड़ के आधार पर पाई जाती है.

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ग्राइफोला मशरूम.

जापान और चीन सैंकड़ो वर्षों से कर रहे हैं इस मशरूम का उपयोग

बता दें कि जापान और चीन के लोग सैकड़ों वर्षों से इस मशरूम (Mushroom) का उपयोग विभिन्न प्रकार के औषधीय उद्देश्यों के लिए करते आए हैं. जिनमें उच्च रक्तचाप, गठिया और पाल्सी के उपचार शामिल है. कैंसर के इलाज में इसका उपयोग और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग होता है.

वीडियो रिपोर्ट.

ग्राइफोला मशरूम में कई विटामिन और खनिज होते हैं. कई व्यंजनों में इसका उपयोग किया जाता है. यह मैग्नेशियम, कैल्शियम और पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है. ग्राइफोला फ्रोडोसा मशरूम में बी और डी विटामिन के साथ-साथ नियासिन भी होता है.

जापान में व्यवहारिक स्तर पर होती है इसकी खेती

पारंपरिक जापानी दवा ने मशरूम (Mushroom) का उपयोग उच्च रक्तचाप के उपचार और प्रतिरक्षा प्रणाली को ऊंचा करने के लिए किया. इसका उपयोग कोलेस्ट्रॉल को स्तर को कम कर के हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए भी किया जाता है. मैटाके मशरूम यानी ग्राइफोला फ्रोडोसा मशरूम की खेती जापान में व्यवहारिक स्तर पर हो रही है. इस मशरूम से 'ग्रीफोन नामक दवा बनाई जाती है. इसमें प्रचुर मात्रा में उपस्थित बीटा-1, 6-डी. ग्लूकॉन शरीर की कैंसर व अन्य रोगरोधी क्षमता को बढ़ाता है.

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ग्राइफोला मशरूम.

4 सालों की मेहनत लाई रंग

खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा की मानें तो ग्राइफोला मशरूम की खोज करने में खुम्ब अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों को करीब 4 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा. उन्होंने कहा कि यह मशरूम ज्यादातर चीन में इस्तेमाल की जाती है, लेकिन अब लंबे शोध के अंतराल के बाद भारत में भी इस प्रजाति को ईजाद किया गया है.

Grifola mushroom solan news, ग्राइफोला मशरूम सोलन न्यूज
ग्राइफोला मशरूम.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: अपना वजूद खो रही टांकरी, यतिन ने संभाला लिपि को बचाने का जिम्मा

उन्होंने बताया कि ग्राइफोला मशरूम जंगलों में पाई जाती थी, लेकिन अब किसान इसे घर पर ही लकड़ी के उत्पाद का इस्तेमाल कर इसकी खेती कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि यह मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है विश्व स्तर पर अगर इस मशरूम की बात की जाए तो कैंसर से लड़ने वाली गेनोडर्मा मशरूम के बाद इस मशरूम का विश्व भर में दूसरा नंबर आता है. उन्होंने कहा कि खुम्ब अनुसंधान केंद्र में मशरूम की खेती विकसित हो चुकी है और आने वाले समय में किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा.

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ग्राइफोला मशरूम.

कैंसर, डायबिटीज और लंग्स की बीमारी के लिए फायदेमंद

इस मशरूम के औषधीय गुणों के बारे में बातचीत करते हुए मशरूम वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि वैसे तो दवाइयों के तौर पर इस्तेमाल होने वाली मशरूम बहुत है, लेकिन ग्राइफोला मशरूम कैंसर (Cancer) से लड़ने के लिए विश्व भर में जानी जाती है. इस मशरूम में एंटी डायबटिक, एंटी कैंसर (Anti cancer) और लंग्स जैसी बीमारियों को ठीक करने के औषधीय गुण मौजूद हैं.

सब्जी बनाकर और पाउडर के रूप में भी कर सकते हैं इस्तेमाल

उन्होंने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर जितनी भी मशरूम हैं उन्हें लोग सब्जी बना कर खा नहीं सकते हैं, लेकिन इस ग्राइफोला मशरूम को लोग खा भी सकते हैं और यदि इस मशरूम का उपयोग लोग लंबे समय तक करना चाहते हैं तो इसे सुखाकर इसका पाउडर बनाकर भी ले सकते हैं.

बता दें कि खुम्ब अनुसंधान केंद्र अभी तक करीब 10 से 15 ऐसे औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम को इजाद कर चुका है जो कैंसर, एड्स, इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने, नर्वस सिस्टम को ठीक करने, स्टेमिना बढ़ाने जैसी बीमारियों के इस्तेमाल की जाती है. खुम्ब अनुसंधान केंद्र देश का ऐसा इकलौता केंद्र है जहां पर मशरूम की नई-नई किस्में ईजाद कर इसके बारे में किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- मंडी में 800 मीटर गहरी खाई में गिरी कार, दर्दनाक हादसे में 3 की मौके पर मौत

Last Updated : Mar 1, 2021, 8:16 AM IST
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