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पंचतत्व में विलीन हुए सियाचिन शहीद मनीष, दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा - मनीष को अलविदा कहा गया

सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद हुए के कुनिहार के जवान मनीष का बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर सेना में भर्ती हुए था मनीष.

cremation of martyred soldier manish form solan
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Published : Nov 20, 2019, 7:21 PM IST

सोलन: सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद हुए सोलन जिला के कुनिहार से ताल्लुक रखने वाले मनीष का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस मौके पर आर्मी के जवानों द्वारा सलामी देते हुए मनीष को अलविदा कहा गया.

बता दें कि लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बीते सोमवार को भारी हिमस्खलन हुआ था. उस समय सेना के 6 जवान और 2 पोर्टल पेट्रोलिंग कर रहे थे. करीब 19,000 फीट की ऊंचाई वाले बर्फीले इलाके में हिमस्खलन की चपेट में आकर सभी दबान दब गए थे. आर्मी ने हेलीकॉप्टर की मदद से राहत कार्य को चलाया था और सभी को अस्पताल पहुंचाया था, लेकिन सोलन जिला के रहने वाले मनीष को शहादत नसीब हुई.

वीडियो.

मनीष की शहादत का जैसे ही पता चला वैसे ही पूरे परिवार और गांव में दुखों का पहाड़ टूट गया. वहीं, पूरे कुनिहार क्षेत्र में शोक की लहर छा गई थी. मनीष को देश सेवा करने का जुनून बचपन से था. आर्मी में भर्ती होने के लिए मनीष ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़ दी थी.

मनीष को आर्मी में भर्ती होने का इतना जुनून था कि वह सुबह चार बजे उठकर इसके लिए प्रैक्टिस करते थे. मनीष का जन्म 9 अप्रैल 1998 को हुआ था और उन्होंने कुफटू राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला से जमा दो की परीक्षा पास की थी. इसके बाद वह महाविद्यालय अर्की बातल में आगे की पढ़ाई करने गए.

देश सेवा का शौक पाले मनीष कॉलेज की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के बीच मे ही दिसंबर 2017 में सेना की डोगरा 6 रेजिमेंट में भर्ती हो गए. मनीष अभी 22 साल के थे और देश सेवा का जज्बा लिए मनीष अपने साथियों के साथ सियाचिन ग्लेशियर में अपनी सेवा दे रहा था कि पेट्रोलिंग के दौरान भारी हिमस्खलन होने की वजह से वो साथियों सहित उसकी चपेट में आ गया.

मनीष अपने घर में छोटा बेटा होने के कारण सभी का दुलारा था. दादी नानकी देवी, पिता रामस्वरूप, माता मीरा देवी को बेटे की मौत का गहरा अघात लगा है. वहीं, मनीष के एक बड़े भाई हैं जो दुबई के एक होटल में कार्यरत हैं. जब आखिरी बार मनीष की अपने माता-पिता से बातचीत हुई थी तो उसने जल्द घर आने को कहा था.

दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा
देश की सुरक्षा में सियाचिन सेक्टर में तैनात कुनिहार के मनीष ठाकुर के अंदर सेना में भर्ती होने का जज्बा इतना था कि उन्होंने अपने दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर अपने कदम आगे बढ़ाए. जब उनकी सेना में ज्वाइनिंग की तारीख आई थी, उसी रात उनके दादा स्वर्गवासी हो गए.

अब उस वक्त मनीष ठाकुर के ऊपर ऐसा संकट छाया कि एक तरफ अपने दादा का दुख और दूसरी तरफ देश सेवा करने का अवसर. ऐसे में उन्होंने अपने दादा के पूरे होने का गम अपने सीने पर रखकर सेना में ज्वाइनिंग देने की ओर कदम बढ़ा दिए.

वहीं, देवभूमि के लाल की शहाददत पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, सांसद सुरेश कश्यप और मंत्री राजीव सैजल सहित अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. जवान की शहाददत पर मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा था, 'ईश्वर जवान की आत्मा को शांति एवं शोकग्रस्त परिवार को इस असहनीय दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.'

सोलन: सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद हुए सोलन जिला के कुनिहार से ताल्लुक रखने वाले मनीष का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस मौके पर आर्मी के जवानों द्वारा सलामी देते हुए मनीष को अलविदा कहा गया.

बता दें कि लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बीते सोमवार को भारी हिमस्खलन हुआ था. उस समय सेना के 6 जवान और 2 पोर्टल पेट्रोलिंग कर रहे थे. करीब 19,000 फीट की ऊंचाई वाले बर्फीले इलाके में हिमस्खलन की चपेट में आकर सभी दबान दब गए थे. आर्मी ने हेलीकॉप्टर की मदद से राहत कार्य को चलाया था और सभी को अस्पताल पहुंचाया था, लेकिन सोलन जिला के रहने वाले मनीष को शहादत नसीब हुई.

वीडियो.

मनीष की शहादत का जैसे ही पता चला वैसे ही पूरे परिवार और गांव में दुखों का पहाड़ टूट गया. वहीं, पूरे कुनिहार क्षेत्र में शोक की लहर छा गई थी. मनीष को देश सेवा करने का जुनून बचपन से था. आर्मी में भर्ती होने के लिए मनीष ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़ दी थी.

मनीष को आर्मी में भर्ती होने का इतना जुनून था कि वह सुबह चार बजे उठकर इसके लिए प्रैक्टिस करते थे. मनीष का जन्म 9 अप्रैल 1998 को हुआ था और उन्होंने कुफटू राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला से जमा दो की परीक्षा पास की थी. इसके बाद वह महाविद्यालय अर्की बातल में आगे की पढ़ाई करने गए.

देश सेवा का शौक पाले मनीष कॉलेज की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के बीच मे ही दिसंबर 2017 में सेना की डोगरा 6 रेजिमेंट में भर्ती हो गए. मनीष अभी 22 साल के थे और देश सेवा का जज्बा लिए मनीष अपने साथियों के साथ सियाचिन ग्लेशियर में अपनी सेवा दे रहा था कि पेट्रोलिंग के दौरान भारी हिमस्खलन होने की वजह से वो साथियों सहित उसकी चपेट में आ गया.

मनीष अपने घर में छोटा बेटा होने के कारण सभी का दुलारा था. दादी नानकी देवी, पिता रामस्वरूप, माता मीरा देवी को बेटे की मौत का गहरा अघात लगा है. वहीं, मनीष के एक बड़े भाई हैं जो दुबई के एक होटल में कार्यरत हैं. जब आखिरी बार मनीष की अपने माता-पिता से बातचीत हुई थी तो उसने जल्द घर आने को कहा था.

दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा
देश की सुरक्षा में सियाचिन सेक्टर में तैनात कुनिहार के मनीष ठाकुर के अंदर सेना में भर्ती होने का जज्बा इतना था कि उन्होंने अपने दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर अपने कदम आगे बढ़ाए. जब उनकी सेना में ज्वाइनिंग की तारीख आई थी, उसी रात उनके दादा स्वर्गवासी हो गए.

अब उस वक्त मनीष ठाकुर के ऊपर ऐसा संकट छाया कि एक तरफ अपने दादा का दुख और दूसरी तरफ देश सेवा करने का अवसर. ऐसे में उन्होंने अपने दादा के पूरे होने का गम अपने सीने पर रखकर सेना में ज्वाइनिंग देने की ओर कदम बढ़ा दिए.

वहीं, देवभूमि के लाल की शहाददत पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, सांसद सुरेश कश्यप और मंत्री राजीव सैजल सहित अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. जवान की शहाददत पर मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा था, 'ईश्वर जवान की आत्मा को शांति एवं शोकग्रस्त परिवार को इस असहनीय दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.'

Intro:


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हिमाचल ने फिर खोया एक और वीर सपूत.... राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुआ कुनिहार का मनीष.... 22 वर्षीय मनीष को सियाचिन में मिली शहादत


:-बचपन से था देश सेवा करने का जुनून.....आर्मी में जाने के लिए बीच मे छोड़ दी थी ग्रेजुएशन की पढ़ाई.....4 बजे उठकर करता था आर्मी में जाने की तैयारी.......

:-दादी का था दुलारा... आखिरी बार फोन पर माँ बाप से की थी अगले महीने घर आने की बात





सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से सोलन शहर कुनिहार से ताल्लुक रखने वाला मनीष का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर आर्मी के जवानों द्वारा सलामी देते हुए मनीष को अलविदा कहा गया।इस मौके पर एसडीएम सोलन भी मौजूद रहे।हों


बता दें कि लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बीते सोमवार को भारी हिमस्खलन हुआ था। उस समय सेना के 6 जवान और 2 पोर्टल पेट्रोलिंग कर रहे थे। करीब 19000 फीट की ऊंचाई वाले बर्फीले इलाके में हिमस्खलन की चपेट में आकर सभी दबान दब गए थे,आर्मी ने हेलीकॉप्टर की मदद से राहत कार्य को संभाल कर सभी को अस्पताल पहुंचाया था,लेकिन सोलन जिला के रहने वाले मनीष को शहादत नसीब हुई।



Body:खबर मिलने से पूरा इलाका था सुन्न........
सोमवार को सियाचिन में ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन की चपेट में 8 सैनिक आ गए थे जिसमें जिला सोलन के कुनिहार क्षेत्र के गांव दोची के मनीष कुमार भी इसकी चपेट में आ गए थे। जैसे ही इस सूचना का पता लगा तो पूरे परिवार और गांव में दुखों का पहाड़ टूट गया वहीं पूरे कुनिहार क्षेत्र में शोक की लहर छा गई थी।



बचपन से था देश सेवा करने का जुनून.....आर्मी में जाने के लिए बीच मे छोड़ दी थी ग्रेजुएशन की पढ़ाई.....4 बजे उठकर करता था आर्मी में जाने की तैयारी.......

9 अप्रैल 1998 को जन्मे मनीष कुमार ने रावमापा कुफ़टू से जमा दो की परीक्षा पास की थी तथा उसके बाद महाविद्यालय अर्की बातल में अपनी आगे की पढ़ाई आरम्भ की ।
मनीष को बचपन से ही सेना में भर्ती होकर देश सेवा का शौक था। इसी शौक़ को पाले मनीष कॉलेज की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के बीच मे ही दिसंबर 2017 में सेना की डोगरा 6 रेजिमेंट में भर्ती हो गए। देश सेवा का जज्बा लिए मनीष अपने साथियों के साथ सियाचिन ग्लेशियर में अपनी सेवा दे रहा था कि पेट्रोलिंग के दौरान भारी हिम् स्खलन के कारण अन्य साथियों के साथ हिम् स्खलन की चपेट में आ गया


दादी का था दुलारा... आखिरी बार माँ बाप से थी फोन पर घर आने की बात.....

उसकी दादी- नानकी देवी, पिता - राम स्वरूप, माता - मीरा देवी को बेटे की मौत का गहरा आघात लगा व उन्हें अभी भी विश्वास नही हो रहा कि मनीष अब हमारे बीच नही रहा। मनीष का बड़ा भाई राहुल दुबई में होटल मे कार्यरत है।
मनीष ने अंतिम बार घर फोन करके मां और पिता से बात की थी अब बताया था कि वह अगले महीने कि छूट्टी आ रहा है।


Conclusion:सियाचिन शहीद मनीष ने दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा:-


देश की सुरक्षा में सियाचिन सेक्टर में तैनात कुनिहार के मनीष ठाकुर के अंदर सेना में भर्ती होने का जज्बा इतना था कि उन्होंने अपने दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर अपने कदम आगे बढ़ाए। जब उनकी सेना में ज्वाइनिंग की तारीख आई थी, उसी रात उनके दादा स्वर्गवासी हो गए। अब उस वक्त मनीष ठाकुर के ऊपर ऐसा संकट छाया कि एक तरफ अपने दादा का दुख और दूसरी तरफ देश सेवा करने का अवसर। ऐसे में उन्होंने अपने दादा के पूरे होने का गम अपने सीने पर रखकर सेना में ज्वाइनिंग देने की ओर कदम बढ़ा दिए।
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